नालंदा में बीएस फोर क्लस्टर का अधिवेशन हुआ संपन्न...!!
नालन्दा, 03 सितम्बर 2023 : रविवार 03 सितम्बर की देरशाम मूलनिवासी संघ द्वारा नालंदा में बीएस फोर क्लस्टर का जिला अधिवेशन संपन्न हुआ। यह नालन्दा रेलवे स्टेशन के बगल स्थित परफेक्ट मैरेज हॉल नालन्दा में आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता बामसेफ राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य के डॉ. एम पाल एवं बामसेफ राज्य कार्यकारणी सदस्य डॉ. राजीव रंजन ने की।
अधिवेशन का शुभारंभ ध्वजारोहण सह प्रतिज्ञा समारोह से हुआ! तत्पश्चात अधिवेशन सभागार में एक दिवसीय अधिवेशन का आयोजन प्रारंभ हुआ! यह अधिवेशन दो सत्रों में चला! प्रथम सत्र 10.30 बजे से 1.30 बजे तक चला! प्रथम सत्र का विषय- लोकतांत्रिक व्यवस्था में ब्राह्मणी तानाशाही के विरूद्ध राष्ट्रव्यापी जनांदोलन-समय की मांग रखा गया! अधिवेशन के प्रथम सत्र उद्धघाटक के रूप में शुरू हुआ जिसमें उद्धघाटक डॉ. विवेकानंद रहे, मुख्य अतिथि पटना जिला बामसेफ के उपाध्यक्ष डॉ. कादम्बनी रही। स्वागत नालन्दा बामसेफ के उपाध्यक्ष राजेश कुमार रमन द्वारा किया गया, प्रस्तावना बामसेफ जिलाध्यक्ष मू. केशो जमेदार द्वारा रखी गई, जिसका संचालन नालन्दा जिला बामसेफ उपाध्यक्ष राजेश कुमार रमन द्वारा किया गया।
तत्पश्चात 2 बजे से 4 बजे तक दूसरा सत्र चला इस सत्र का विषय- भारत का संविधान और लोकतंत्र के लाभार्थियों का कर्तव्य उद्घोष रखा गया था। इस सत्र का संचालन केशो जमेदार जिलाध्यक्ष बामसेफ नालन्दा ने किया। प्रस्तावना तथा स्वागत भाषण बामसेफ जिला सचिव मो. जाहिद हुसैन ने किया।
अधिवेशन में अध्यक्षता करते हुए बामसेफ राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य के डॉ. एम पाल ने कहा कि हम संवैधानिक भारत के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। यहाँ कागज पर विधि का शासन स्थापित है परन्तु जमीन पर ब्राह्मणी अधिशासन हावी है। ब्राह्मणी व्यवस्था की इतनी हिम्मत बढ़ गई है कि वह चुपके से लोकतांत्रिक व्यवस्था में घुसकर तानाशाही का कानून लागु कर रही है। यह अत्यंत घातक और विध्वंसक कृत्य है। मानव ने लोकतंत्र को इस लिए अपनाया है की मानव- मानव का सहजीवन शांतिपूर्ण रहे। उनमें वैचारिक टकराव की स्थिति में हिंसा, रक्तपात और मानव संहार न हो। मामले आपसी वार्तालाप और वैचारिक बहस से हल हो जाय। जिसके लिए संसदीय प्रणाली का विकास हमारे पुरखों ने किया है। लेकिन ब्राह्मणी तत्व हिंसा के सहारे शासन-प्रशासन में अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे है। और भारत की जनता को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक दृष्टि से विभाजति किया जा रहा है। यह अत्यंत दुखद है और राष्ट्र की एकता और अखंडता के हित में नहीं है।
मौके पर राज्य कार्यकारिणी सदस्य सह नालंदा कलस्टर प्रभारी प्रख्यात शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि भारत का लोकतंत्र अत्यंत भयानक संकट की स्थिति से गुजर रहा है। यहाँ एकाधिकार और वर्चस्ववादी तत्व लोकतंत्र और मानवता का अंत करने पर तुले हुय हैं। आतंक, दंगा-फसाद और खरीद-फरोख्त की राजनीति उनके हथयार हैं। इसे देखकर सामान्य आदमी हैरान और परेशान है। सामान्य आदमी के मन में रोष तो है परन्तु "प्रचंड बहुमत" के दुष्प्रचार के दबाव में वह असहाय महसूस कर रहा है। यद्यपि वह तथाकथित "प्रचंड बहुमत" EVM से प्राप्त जाली कारनामा है तथापि इसकी अनुभूति व्यापक नहीं है। इसलिए हमने निर्णय किया है कि वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए हम व्यापक रूप से जनमानस को जागृत करेंगे।
अधिवेशन में बामसेफ के प्रदेश अध्यक्ष मूलनिवासी आलोक कुमार ने कहा- लोकतांत्रिक व्यवस्था जो हमारे पुरखों ने बड़े ही मेहनत से स्थापित की, उसपर लगातार वैचारिक हमले हो रहे हैं। ब्राह्मणी तानाशाही का जहर समाज में फैलाया जा रहा है। इसे न्यायसंगत ठहराने के भरसक प्रयास किये जा रहे है। भेदभाव पूर्ण ब्राह्मणी व्यवस्था की तानाशाही देश में अपना नंगा नाच दिखा रही है। तानाशाही के नशे में बेहोश ब्राह्मणी तत्वों का गिरोह निर्लज्जता की हदें पार कर रहा है, और संविधान की मूल भावना को तहस नहस किया जा रहा है और जिसका दुष्प्रभाव सम्पूर्ण भारत पर हो रहा है। अत: यह एक राष्ट्रव्यापी संकट है। ऐसी स्थिति में हम मूक दर्शक बनकर खड़े नहीं रह सकते। केवल टीका-टिप्पणी कर अपनी जिम्मेवारी से हाथ नहीं झाड़ सकते। अत: यह समय की मांग है कि हर हाल में ब्राह्मणी तानाशाही के नशे में चूर लोगों का नशा लोकतांत्रिक वैचारिकी से उतारा जाय और लोकतंत्र का बोलबाला किया जाय । संविधान की गरिमा बरक़रार और शासन बुलंद किया जाय।
अधिवेशन में संविधान प्रबोधक मूल निवासी श्रीकांत कुमार, बामसेफ के जिला उपाध्यक्ष राकेश बिहारी, मूलनिवासी सरदार वीर सिंह, पूर्ण कालिक प्रचारक मूलनिवासी सुरेश पासवान, मूलनिवासी डॉ. गनौरी पंडित, मूलनिवासी उपेंद्र पासवान, मूलनिवासी आदित्य प्रधान, मूलनिवासी सुनील यादव, मूलनिवासी चंदन कुमार मुखिया, मूलनिवासी साक्षी कुमारी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
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