गीतकार मुनेश्वर शमन साहब हमेशा दिलों में मौजूद रहेंगे ।
बड़े ही ब दुःख के साथ कहना पड़ रहा है , कि हमारे ही बीच के एक बड़े कवि ,गीतकार आदरणीय मुनेश्वर शमन सर नहीं रहे ।
यह हमारे ( नवनीत कृष्ण ) सबसे पहले कविता लेखन के आदर्श के रूप में रहे हैं , इन्होंने मुझे 2010 में ( आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था) ही इनकी कविता ... रहे गूँजती अम्बर में ध्वनि भारत के जय गान की , जय हो देश महान की जय जय हिंदुस्तान की ... .... यह कविता मैंने दादा ( मुनेश्वर शमन दादा जी ) जी से लेकर मैंने इनके समाने सुनाया इन्ही की कविता और इसी कविता को मैंने सदर आलम मेमोरियल स्कूल में पढ़ा था कविता पाठ में और प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था । तभी मुझे भी कविता लेखन में और अधिक रुचि जागी थी ....और आज तक मैंने सबसे पहले इन्ही को अपनी कविता लेखन का सबसे पहला आदर्श मानता हूँ ।
उसके बाद आदरणीय गिलानी सर , आदरणीय सुभाष चंद्र पासवान सर , आदरणीय प्रियदर्शी सर एवं अन्य लोग है आज भी सीख रहा हूँ ।
मुनेश्वर शमन जी न केवल हिंदी के बड़े कवि के रूप में थे वे मगही के एक बड़े हस्ताक्षर के रूप में भी थे ।
न ही केवल साहित्यकार में बड़े थे वे नालन्दा के बड़े सम्मानित कवि के रूप में जाने जाते रहे है , इनके विचार काफ़ी उच्च कोटि के हुआ करते थे ।
वे साहित्यकार के साथ साथ नालंदा में सिनियर पदाधिकारी और राजगीर के प्रभारी कार्यपालक दण्डाधिकारी भी रहे हैं।
इन्हें मैं ह्रदय से नमन करता हूँ , 🙏 इनके कार्यों को प्रणाम करता हूँ , इनकी कविता मगही , और हिंदी में कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी है और इंटरनेट पर भी मौजूद है ।
आप हमेशा हम सभी के दिलों में रहेंगे ।
सादर श्रद्धांजलि 🙏🏻🌸🌼
आत्मा को शांति मिले ।
© - नवनीत कृष्ण
बिहार , नालन्दा
शंखनाद - मल्टीमीडिया प्रभारी ।
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