माता फुलेश्वरी देवी की 17 वीं पूण्यतिथि पर बुजुर्ग माताओं के बीच वस्त्र वितरण...
●असहायों की सेवा से मन और आत्मा को शांति मिलती है : सविता बिहारी
●माता फुलेश्वरी देवी की स्मृति में महिलाओं के बीच साड़ी वितरण
● पूण्यतिथि पर 50 महिलाओं के बीच साड़ी का किया गया वितरण
सोहसराय-बबुरबन्ना 11 सितम्बर 2025: सोहसराय क्षेत्र के साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना मोहल्ले में बिहारी निवास स्थित सभागार में शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में 10 सितम्बर दिन बुधवार को देर शाम शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा की पत्नी सविता बिहारी के सौजन्य से अपनी सास फुलेश्वरी देवी की 17 वीं पुण्यतिथि पर बृद्ध महिलाओं, समाजसेवियों एवं अभावग्रस्त लोगों के बीच वस्त्र वितरण कर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसका संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी शायर नवनीत कृष्ण ने किया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ माता फुलेश्वरी देवी के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
समाज सेवा की शुरुआत: माता पिता से मिली प्रेरणा
मौके पर शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि मेरी माता स्वर्गीय फुलेश्वरी देवी का निधन आज से सत्रह साल पहले 10 सितम्बर 2008 को हुई थी। वो अपने जीवन काल में निरंतर अंगवस्त्र एवं अन्न दान कर समाजसेवा का कार्य करते रही थी। उनका मानना था जरूरतमंदों की सेवा ही सच्ची सेवा है। माँ हमेशा सामाजिक व धार्मिक कार्यो में बढ़चढ़ कर भाग लिया करती थी। श्रीशर्मा 1978 से अपने बड़े भैया, और माता-पिता के सहयोग से समाज सेवा का कार्य शुरू किया। उस समय उन्होंने जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने, गरीब बच्चों को शिक्षा देने और बीमार लोगों का इलाज कराने में मदद किया करते थे। पिताजी हमेशा समाज सेवा के लिए तत्पर रहते थे, और उन्होंने हमें भी यही सिखाया कि मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। ऐसे में उनकी पुण्यतिथि पर लोगों को कुछ मदद किए जाने से हमें आत्म संतुष्टि मिलती है।
अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष एवं प्रदेश के प्रख्यात् इतिहासज्ञ प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि जरूरतमंद लोगों की मदद से बढ़कर कोई पुनीत कार्य नहीं है। समाज के लोगों को जरूतरतमंदों की मदद में आगे आना चाहिए। शंखनाद साहित्यिक मंडली के सदस्य हर पल गरीब जरूरतमंद की मदद के लिए नि:स्वार्थ भाव से खड़े रहते हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि हम निरंतर जरूरमंद लोगो की मदद करें। इंसान के मन में समाजसेवा का भाव होना बेहद जरूरी है। माँ की स्मृति में जरुरतमंद महिलाओं को साड़ी देने की यह पहल बहुत ही सराहनीय है।
समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षाविद् प्रोफेसर शकील अहमद अंसारी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि माता ही प्राथमिक शिक्षिका होती हैं, उसके शिवा प्यार-दुलार देने वाला इस दुनिया मे कोई नही हैं। माता से ही हमारी दुनिया है। माता के बिना दुनिया अधूरी है। धन्य हैं वे पुत्र जिनकी माता आज उनके साथ हैं। माता-पिता के मुख से निकला हुआ आशीर्वाद जन्म जन्मांतर तक साथ देता है। धन्य है वे पुत्र जो माता की पुण्यतिथि में बुजुर्ग लोंगो की मदद करते हैं। इस समय में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने माता-पिता की सेवा न कर वृद्ध आश्रम में छोड़ देते हैं।
मौके पर समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि समाज में सक्रीय रहने वाले सभी व्यक्तियों का समाजसेवा करना दायित्व है। मानव के मन में समाजसेवा का भाव होना बेहद जरूरी है। अपने लिए तो हर कोई जीवन व्यतीत करता है, लेकिन दूसरों के लिए भी जीना चाहिए।
मौके पर समाजसेविका सविता बिहारी ने कहा- मैं अपनी सास फुलेश्वरी देवी की पुण्य स्मृति को यादगार बनाने का काम कर रही हूँ। हर साल अपनी सास की स्मृति में जरूरमंद लोगों की बीच साड़ी और अंगवस्त्र का वितरण करती हूँ। उन्होंने कहा- असहायों की सेवा से मन और आत्मा को शांति मिलती है।
इस अवसर पर समाजसेवी धीरज कुमार, अरुण बिहारी शरण, पूजा बिहारी, स्वाति कुमारी, अनीता देवी, विमला देवी, गीता देवी, श्यामा देवी, कौशिल्या देवी, मीना देवी, चंद्रमणि देवी, साबो देवी, सुखिया देवी, सुदामी देवी, मनोरमा देवी, कुलवंती देवी, चमेली देवी, कारी देवी, मारो देवी, सुनीता देवी समेत सैकड़ो महिला-पुरुष मौजूद थे।
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