मोगलकुआँ में श्रीगुरु अर्जुन देव जी का 417 वां शहीदी गुरु पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया..!!

बिहारशरीफ-मोगलकुआँ, 23 मई 2023 : शहर के मोगलकुआँ स्थित श्री गुरुनानक देव शाही संगत गुरुद्वारा में सिखोंके पांचवें गुरु श्रीगुरु अर्जुन देव जी महाराज का 417 वां शहीदी गुरु पर्व श्रद्धा एवं सौहार्द के साथ मनाया गया। गुरुद्वारा में श्री सुखमनी साहिब के पाठों के भोग के बाद धार्मिक दीवान सजाए गए। जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुई।  
मौके पर शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि आज समूह मनुष्यता को श्री गुरु अर्जुन देव जी के पवित्र जीवन से सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा समाज में से सभी लड़ाई झगड़े खत्म हो सकते हैं यदि श्री गुरु अर्जुन देव जी के सहनशीलता के गुण को अपना लिया जाए। उन्होंने कहा- सिख धर्म के इतिहास की यह पहली शहादत थी। सिखों के पांचवें गुरु के रूप में गुरु अर्जन देव जी ने देश और धर्म के नाम पर बलिदान होने की ऐसी मिसाल पेश की है जो इतिहास के सुनहरे पन्नों और लोगों के दिलों में अंकित है। मानवता की रक्षा और मानवीय मूल्यों की रक्षा के सिलसिले में दी गई पहली शहादत है। इसी कारण श्री गुरु अर्जुन देव जी को शहीदों का सरताज कहा जाता है। देश और धर्म की रक्षा के लिए जुल्मों को सहते हुए उन्होंने शहादत दी थी। गुरु अर्जन देव जी को भयंकर यातनाएं दी गई लेकिन गुरु जी ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया। इसी कारण इस पर्व को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मौके पर गुरुद्वारा के भाई रवि सिंह ग्रंथी ने गुरुबाणी के शब्दों का सुंदर कीर्तन कर लोगों को भक्तिरस में डूबो कर कार्यक्रम प्रारम्भ किया। उन्होंने उपस्थित लोगों के बीच सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु महराज के त्याग और बलिदान को सिक्ख समाज कभी नहीं भुला सकता। उन्होंने बतायाकि श्री गुरु अर्जुन देव जी ने गुरुग्रंथ साहिब का संपादन किया, जो मानव जाति की सबसे बड़ी देन है। संपूर्ण मानवता में धार्मिक सौहार्द पैदा करने के लिए अपने पूर्ववर्ती गुरुओं की वाणी को जगह-जगह से एकत्र कर उसे धार्मिक ग्रंथ में बांटकर परिष्कृत किया। गुरुजी ने स्वयं की उच्चारित 30 रागों में 2,218 शबदों को भी श्री गुरुग्रंथ साहिब में दर्ज किया है। अपने जीवन काल में गुरुजी ने धर्म के नाम पर आडंबरों और अंधविश्वास पर कड़ा प्रहार किया। श्री अर्जुन देव जी ने अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारे की नींव स्वयं नक्शा बनवाकर रखा था। जिसे आज स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है।  
कार्यक्रम में भाई रवि जी ने श्रीगुरु अर्जुन देव जी महराज के शहीदी दिवस पर लोगों को राहत देने के लिए शीतल मीठा जल (सरवत), छबील प्रसाद (चना प्रसाद), कड़ा प्रसाद (हलवा) का भोग लगाकर वितरण किया।
मौके पर गुरुवाणी प्रचार कमिटी हिसुआ (नवादा) के सचिव सह शंखनाद के कोषाध्यक्ष समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि श्री गुरु अर्जुन देव जी धर्म रक्षक और मानवता के सच्चे सेवक थे और उनके मन में सभी धर्मों के लिए सम्मान था। शहीदों के 'सरताज' कहे जाने वाले वीर योद्धा श्री गुरु अर्जुन देव जी का आज शहीदी दिवस मनाया जा रहा है। मुगल बादशाह जहांगीर ने उनकी जघन्य तरीके से यातना देकर हत्या करवा दी थी। इसी कारण हर साल आज ही के दिन उनका शहीदी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपना जीवन धर्म और लोगों की सेवा में बलिदान कर दिया। गुरु अर्जुन देव जी की अमर गाथा आज भी लोगों के घर में सुनाई जाती है।
शंखनाद साहित्यिक मंडली के अध्यक्ष इतिहासज्ञ डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि गुरु जी ने जात-पात, रंगभेद, नस्ल का अंतर समाप्त करते हुए एकता का संदेश दिया। अर्जुन देव जी को साहित्य से भी अगाध स्नेह था। ये संस्कृत और स्थानीय भाषाओं के प्रकांड पंडित थे। इन्होंने कई गुरुवाणी की रचनाएं कीं, जो आदिग्रन्थ में संकलित हैं। इनकी रचनाओं को आज भी लोग गुनगुनाते हैं और गुरुद्वारे में कीर्तन किया जाता है।
शंखनाद के मीडिया प्रभारी नवनीत कृष्ण ने कहा- शहीदों के सिरताज श्री गुरू अर्जुन देव जी एक महान विभूति संत सतगुरू, कवि थे। जिन्होंने सच्ची गुरबाणी की रचना कर व ऊँची कुर्बानी से सुनहरे, अविस्मरीणय व अदभुत इतिहास का सृजन किया।
सरदार रघुवंश सिंह ने कहा कि राष्ट्र तथा धर्म के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देने वाले, सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जन देव जी के बलिदान कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। गुरु अर्जुन देव जी का पूरा जीवन मानव सेवा को समर्पित रहा है। वे दया और करुणा के सागर थे। वे समाज के हर समुदाय और वर्ग को समान भाव से देखते थे। 
सरदार सत्यनाम सिंह जी ने कहा- सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी दया और करुणा के सागर थे। समाज के हर समुदाय और वर्ग को समान भाव से देखते थे।
सरदार यशपाल सिंह ने कहा- श्री गुरूदेव जी की बहुआयामी शख्सियत अवर्णनीय है। वे महान गुरू हैं जिन्होंने सामाजिक भलाई व परमार्थ द्वारा मानवता की सेवा कर विश्व को नई रौशनी प्रदान की।
मौके पर रिंकू कौर ने उपस्थित लोगों को गुरु अर्जुन देव जी के जीवन के बारे में बताते हुए कहा शांति के पुंज, शहीदों के सरताज, पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी की शहादत अतुलनीय है। मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी श्री गुरु अर्जुन देव अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे।
इस अवसर पर भाई दीप सिंह जी, सोनू कुमार, युवराज सिंह, यशपाल सिंह, शोभा कौर, शिवांश सिंह,बैजू कुमार, अभिजीत कुमार, कन्हैया कुमार, सुनीता कौर, विनोद सिंह, एकामनी कौर, जसप्रीत कौर,  सहित कई लोग मौजूद थे।

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