ककड़िया विद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा के बलिदान को किया याद...!!
●बिरसा मुंडा की जयंती पर मना जनजातीय गौरव दिवस
● ककड़िया में जनजातीय नायक क्रांतिकारी बिरसा मुंडा को किया याद
नूरसराय-ककड़िया,19 नवम्बर : मध्य विद्यालय ककड़िया में गुरुवार को स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय के दिशा निर्देश पर जनजातीय गौरव पखवारा के तहत् “जनजातीय गौरव दिवस” धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ “भारतीय जनजातीय संस्कृति एवं उनके योगदान” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा के साथ अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनाननियों के जीवनी एवं उनके योगदानों की चर्चा प्रमुखता से की गई। जिसमें विद्यालय के सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों ने सक्रियता से भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य दिलीप कुमार ने कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए महान स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय नायक बिरसा मुंडा के जीवन और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने विद्यार्थियों को बिरसा मुंडा के जीवन और जनजातीय समाज के लिए किए गए संघर्ष और कार्यों से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
मौके पर विद्यालय के शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने जनजातीय गौरव दिवस के बारे में बताते हुए कहा कि भारत में ऐसे कई प्रमुख जनजातिया नायक हुए जिन्होंने स्वाधीनता के यज्ञ में अपने प्राणों की बाजी लगा दी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास आदिवासी योगदान के बिना अधूरा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास लगभग 200 सालों का है। भारत सरकार ने विशेष रूप से आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की विरासत का सम्मान करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 नवंबर 2021 को क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती को प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, जिस पर संपूर्ण जनजातीय समुदाय ने गौरव का अनुभव किया था। यह दिन अब भारत के आदिवासी समुदायों के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिए पूरे देश में मनाया जाता है। इस वर्ष, चौथा जनजातीय गौरव दिवस (आदिवासी गौरव दिवस) पूरे देश में मनाया जा रहा है। आदिवासी समुदायों द्वारा आयोजित क्रांतिकारी आंदोलनों और संघर्षों को उनके अपार साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ देश के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी आंदोलन राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए और देश भर के भारतीयों को प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि आजादी की लडाई में कई जनजातीय नायक-नायिकाओं ने अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया परन्तु उन्हें इतिहास में वो स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार हैं। इन जनजातीय क्रांतिकारियों में प्रमुख हैं- बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, टंटया भील, भीमा नायक, झलकारी बाई, वीरांगना रानी दुर्गावती। हमारे देश में जनजाति समाज के योगदान के बारे में देश के लोगों को जानकारी कम है। समाज को बतलाया ही नहीं गया या पता है तो बहुत सीमित रूप में कि स्वतंत्रता के महायज में इन जनजातीय नायकों ने प्राणों का बलिदान दिया और देश की अस्मिता पर आंच नहीं आने दी। इन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के आगे समर्पण नहीं किया।
शिक्षक जितेन्द्र कुमार मेहता ने कहा कि क्रांतिकारी बिरसा मुंडा और उनके समर्थकों ने जल, जंगल और जमीन के लिए अंग्रेजों के साथ लंबा संघर्ष किया। बिरसा मुंडा की गौरव गाथा युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी।
शिक्षक मनुशेखर कुमार गुप्ता ने कहा- बिरसा मुंडा एक आदिवासी नेता, धार्मिक उपदेशक और लोक नायक थे। उन्होंने 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। उनका जन्म मुंडा जनजाति में हुआ था।
शिक्षक सतीश कुमार ने कहा- बिरसा मुंडा का जीवन आदिवासी समाज की कठिनाइयों और उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। उनका बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता, लेकिन उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास जारी रखा।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों के द्वारा बिरसा मुंडा का अभिनय एवं विविध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। भाषण एवं अभिनय प्रतियोगिता में करण कुमार, सोनाली कुमारी, छोटी कुमारी, शिवानी कुमारी, साहिल कुमार, हीरामणि कुमार, लवली कुमारी, मोहन कुमार और बाल संसद के प्रधानमंत्री सौरभ कुमार ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
मौके पर विद्यालय के शिक्षक अनुज कुमार, अरविन्द कुमार शुक्ल, सुरेश कुमार, रणजीत कुमार सिन्हा, पूजा कुमारी, विश्वरंजन कुमार, मो. रिज़वान अफताब, मुकेश कुमार, रामजी चौधरी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित की।
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