बामसेफ का राष्ट्रीय अधिवेशन 25 दिसंबर से 28 दिसंबर को नागपुर में होना तय ...!!
बिहारशरीफ,19 सितम्बर 2022 : बामसेफ (बैंकवर्ड एंड माइनोरिटी कम्युनिटी इम्पलॉयज फेडरेशन) नालंदा की बैठक रविवार की देरशाम सिंगारहाट स्थित बामसेफ कार्यलय में हुई। जिसकी अध्यक्षता बामसेफ के जिला उपाध्यक्ष राजेश कुमार रमन ने की। बैठक के मुख्य अतिथि राज्य अध्यक्ष आलोक कुमार तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में ख्याति प्राप्त चिकित्सक डॉ. राजीव रंजन मौजूद रहे। बैठक में सबसे पहले राजगीर स्थित अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में बामसेफ के 21 वां बिहार राज्य अधिवेशन की समीक्षा की गई।
मौके पर समीक्षा के उपरांत बैठक के मुख्य अतिथि राज्य अध्यक्ष आलोक कुमार ने बामसेफ के सदस्यों से जोर देते हुए कहा कि बामसेफ एवं औफ़सूट विंग्स के सभी सदस्यों को किसी भी बैठक में बामसेफ के ड्रेसकोड (उजला शर्ट, ब्लू पैंट,काला जूता, उजला मौजा और कला बेल्ट) में रहना अनिवार्य है। उन्होंने BS4 (भारतीय संविधान, सम्मान, सुरक्षा, संवर्धन पर गम्भीर चर्चा करते हुए सभी सदस्यों को ग्रामीणों के बीच जन सामाजिक कार्यवाही समिति का निर्माण करना है। समिति में बामसेफ के सदस्य एक सदस्य रहेंगे और ग्रामीणों के बीच से कार्यकारणी का निर्माण पंचायत स्तर से प्रखंड स्तर पर करना है। साथ ही साथ उन्होंने कहा- नालंदा के सभी बामसेफ कार्यकर्ताओं को बामसेफ का राष्ट्रीय अधिवेशन जो 25 दिसंबर से 28 दिसंबर को नागपुर के “राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले सामाजिक क्रांति संस्थान रिगना वाड़ी नागपुर” में होना है, नालंदा जिला से सैकड़ो बामसेफ के कार्यकर्ता राष्ट्रीय अधिवेशन में सम्मिलित हों और बामसेफ के आंदोलन को सफल करें।
उन्होंने नालंदा के अध्यक्ष से कम से कम 250 सदस्य बनाने के लिए आग्रह किया और नारा देते हुए कहा-
*जाति की नहीं जमात की बात करो
कास्ट की नहीं क्लास की बात करो
एससी/एसटी/ओबीसी को जोड़कर मूलनिवासी बहुजन बनो*
बैठक के विशिष्ट अतिथि बामसेफ के राज्य परिषद् सदस्य ख्याति प्राप्त चिकित्सक डॉ. राजीव रंजन ने मौके पर अपने सम्बोधन में कहा कि हमारी सामाजिक समस्या जाति व्यवस्था है। साथियों यदि हमें यह पता हो जाये की जाति व्यवस्था कैसे पैदा हुयी है तो हमको इसको समाप्त करने का उपाय भी मिल जायेगा। विदेशी आर्य के आगमन से पूर्व हमारे समाज के लोग प्रजातांत्रिक एवं स्वतंत्र सोच के थे और उनमे कोई भी जाति व्यस्था नहीं थी। सब मिलकर प्रेम एवं भाईचारे के साथ रहते थे। ऐसा इतिहास सिन्धु घाटी की सभ्यता का मिलता है। फिर बिदेशी आर्य आज से लगभग चार हजार वर्ष पूर्व भारत आये और उनका यहाँ के मूलनिवासियो के साथ संघर्ष हुआ। आर्य लोग साम, दाम, दंड एवं भेद की नीत से किसी तरह संघर्ष में जीत गए परन्तु आर्यों की समस्या यह थी कि ज्यादा लोगो को ज्यादा समय तक नियंत्रित कैसे रखा जाय? इसलिए उन्होंने मूलनिवासियो को 6743 टुकडो में तोड़ा और उनमे श्रेणीबद्ध असमानता का सिधांत अर्थात जाति व्यवस्थाका सिधांत, लागु किया और उनको वेदों एवं शास्त्रों के माध्यम से मानसिक रूप से गुलाम बनाया। इसलिए साथियों इतिहास हमें यही बताता है कि, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग और इनसे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक आपस में ऐतिहासिक रूप से भाई-भाई है। सभी इस देश के मूलनिवासी है। विरोधियों ने हमें कई छोटे-छोटे टुकडो अर्थात छोटी-छोटी जातियों में तोडा और हमारी मूल पहचान मिटा कर अपने साथ अपमान जनक पहचान के साथ जोड़ा। हमारे महापुरुषों ने हमें फिर से हमें उनसे अलग करके, एक नाम एवं एक सम्मानजनक पहचान के साथ पुनः आपस मे जोड़ा।
तथागत बुद्ध ने सबसे पहले हमें प्रतीत्य समुत्पाद के सिधांत और अनित्य, अनात्म एवं दुख के सिधांत पर बहुजन पहचान के नाम से जोड़ा।
फिर संत रैदास, संत कबीर, गुरु नानक, गुरु घासीदास, नारायण गुरु ने आर्यों (ब्राह्मण वाद) से मुक्ति के लिए मुक्ति आन्दोलन चलाया और मूर्तिपूजा, बहुदेव वाद, कर्मकांड, तीर्थ व्रत एवं पाखंड के स्थान पर एक देव जो अदृश्य (निराकार) है के नाम पर जोड़ा।
राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले ने हमें शुद्र-अतिशुद्र पहचान के साथ सत्यशोधक के नाम से जोड़ा।
बाबा साहेब ने ब्राह्मणो द्वारा तोड़े गए 6743 टुकडो को संबिधान के माध्यम से कानूनी रूप मे तीन जगह इकठ्ठा किया। 2000 जातियों को एक उपवर्ग, अनुसूचित जाति(SC) बनाया। 1000 जातियों को एक उपवर्ग, अनुसूचित जनजाति(ST) बनाया।
और शेष बची 3743 जातियों को एक उपवर्ग, अन्य पिछड़ी जाति(OBC) बनाया।
फिर उन्होने इन तीन उपवर्गों SC/ST/OBC/एवं इनसे धर्मपरिवर्तित अल्पसंख्यकों को मिलाकर संबिधान के अनुच्छेद 15(4) एवं 16(4) मे सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के नागरिक के रूप मे एक वर्ग बनाया। आज संबैधानिक एवं क़ानूनी रूप भारत में से केवल 2 वर्ग है, एक है पिछड़ा वर्ग एवं दूसरा है सामान्य वर्ग है और 4 जातियां है SC/ST/OB /General है। इसी पिछड़े वर्ग को मान्यवर कांशी राम साहेब ने फिर से बहुजन कहा और इसे देश की आबादी का 85% बताया। और इसी पिछड़े वर्ग को फिर यशकायी डी के खापर्डे ने ऐतिहासिक रूप से और अधिक स्पष्ट करते हुये मूलनिवासी बहुजन कहा।
जाति की पहचान हमारी अपनी वास्तविक पहचान नहीं है। यह विदेशी आर्यों द्वारा हम पर जबर्दस्ती थोपी गयी एक अपमान जनक पहचान है। जाति आर्यों द्वारा अपने हित मे बनाई गई है, इसलिए जाति के मजबूत होने से ब्राह्मण वाद मजबूत होता है। बाबा साहब जाति विहीन प्रबुद्ध भारत का सपना देखा था। इसलिए हमे अपनी जाति या उप जाति की पहचान छोड़ देनी चाहिए और आज हमें मूलनिवासी बहुजन पहचान जो सम्मानजनक एवं ऐतिहासिक पहचान है या बौद्ध पहचान जो हमारी धार्मिक पहचान है के आधार पर संगठित होना चाहिए।
मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को चाहिए वे अपने बच्चों को अंग्रेजी भाषा और कंप्यूटर शिक्षा जरूर दें : मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा
बामसेफ के मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा ने उपस्थित लोगों से कहा कि अंग्रेजी भाषा और कंप्यूटर का ज्ञान आज इतना आवश्यक हो गया है कि जिनको अंग्रेजी भाषा और कंप्यूटर का ज्ञान नहीं उन्हें आजकल पढ़ा लिखा नहीं अनपढ़ की श्रेणी में रखा जाता है। सारा कुछ अब ऑनलाइन हो रहा है इसलिए दुनिया में सम्मान जनक जीवन जीने के लिए कंप्यूटर का ज्ञान बहुत ही आवश्यक हो गया है। वैसे ही पूरे दुनिया की अच्छी किताबें अंग्रेजी भाषा में हैं। बाबा साहब अंबेडकर की किताबें भी अंग्रेजी और हिंदी भाषा में ही हैं। इसलिए अंग्रेजी का ज्ञान भी बहुत आवश्यक है क्योंकि अंग्रेजी भाषा जानने से रोजगार मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
आज सभी टीवी चैनल प्रचार-प्रसार के द्वारा उच्च वर्ग के अनुरूप जनमत निर्माण में लगे हुए हैं। वे टीवी पर केवल अपनी खबरें दिखाते हैं और टीवी चैनल पर अपने ही लोगों को बुलाते हैं और अपने ही मुद्दे पर बहस कराते हैं। मूलनिवासी बहुजन समाज के मुद्दे पर बहस नहीं करते हैं बल्कि जो उनके मुद्दे हैं उसी पर दिन-रात बहस करते रहते हैं और इस प्रकार अपने मुद्दों के अनुरूप अपने पक्ष में जनमत का निर्माण करते हैं और उस जनमत का उपयोग करके चुनाव जीतते हैं।
बामसेफ के जिला सचिव मू. जाहिद हुसैन, कार्यालय सचिव श्यामनन्दन चौहान, कोषाध्यक्ष रमेश पासवान, मू. सरदार वीर सिंह, मू. वीरेंद्र प्रसाद, मू. रंजीत कुमार, मू. शिववालक पासवान, राजदेव पासवान सहित दर्जनों लोगों ने भाग लिया।
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