बहुजनों को मूलधारा से जोड़ना ही बामसेफ का मुख्य उद्देश्य : डॉ.संजय इंगोले
राजगीर-नालंदा, 11 सितम्बर 2022 : 10 सितम्बर की देररात तक बामसेफ का दो दिवसीय 21 वां बिहार राज्य अधिवेशन अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर राजगीर में शनिवार को बामसेफ के राष्ट्रीय महासचिव मू. प्रो. डॉ.संजय इंगोले की अध्यक्षता में हुई।
अधिवेशन का उद्घाटन मू. प्रो. डॉ. सत्येन्द्र कुमार ठाकुर सहायक प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने की, जबकि कार्यक्रम का संचालन बामसेफ के बिहार प्रदेश महासचिव राम किशोर बैठा ने किया।
इस अधिवेशन के मुख्य अतिथि के रूप में मूलनिवासी डॉ. प्रज्ञापाल शोध सहायक नवनालंदा महाविहार नालंदा व राष्ट्रीय महासचिव बामसेफ नई दिल्ली मू. प्रो. डॉ. संजय इंगोले तथा प्रदेश अध्यक्ष बामसेफ बिहार आलोक कुमार ने सम्मेलन की शुरुआत बामसेफ के ध्वज से ध्वजोत्तोलन कर की।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए बामसेफ के राष्ट्रीय महासचिव मू. प्रो. डॉ. संजय इंगोले ने कहा कि ब्राह्मण, अंग्रेजों से ज्यादा खतरनाक विदेशी हैं, क्योंकि अंग्रेजों ने हमें हिन्दू और मुसलमान, दो टुकड़ों में बांटा, लेकिन ब्राह्मणों ने हमें हजारों जातियों के टुकड़ों में बांटकर रखा है। इन सभी जातियों के टुकड़ों को जोड़ने का ही हमारा मकसद है। जब मैं ब्राह्मण शब्द का प्रयोग करता हूँ तो यह डीएनए के अनुसार विदेशी कहता हूँ। हम लोगों को बताया जाता है कि अंग्रेजों की एक नीति थी ‘बांटों और राज करो’, लेकिन यह गलत है। यह नीति विदेशी ब्राह्मणों की है। ब्राह्मणों ने वर्ण व्यवस्था बनायी, जातियों का निर्माण किया, अस्पृष्यता लागू की, ओबीसी के ऊपर शुद्रत्व थोपा, आदिवासियों का अलगीकरण किया और महिलाओं की दासता को मजबूत किया। ब्राह्मणों ने अनुसूचित जाति को 17,00 जातियों में बांटा, अनुसूचित जन जाति को 900 जातियों में बांटा और ओबीसी को 3743 जातियों में बांटा, इसलिए ब्राह्मण, अंग्रेजों से तीन हजार गुणा ज्यादा खतरनाक हैं। अंग्रेज भारत छोड़कर चले गये, लेकिन ब्राह्मण तीन हजार साल से भारत में जमा है। और हमें गुलाम बनाये हुए है। बामसेफ़ 1978 से मूलनिवासी के सामाजिक मुद्दों को उठाता आ रहा है। संगठन के माध्यम से मूलनिवासी समाज के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श और चर्चा की जाती है। यह संगठन समाज में गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र के शोषित, निराश, वंचित, हाशिए और गरीब लोगों के लिए शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास के स्पष्ट एजेंडे के साथ एक गैर राजनीतिक संगठन के रूप में काम कर रहा है। बामसेफ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से सभी लोकतांत्रिक प्रणालियों में उन्हें सशक्त बनाने के लिए संवैधानिक स्वतंत्रता, अधिकारों और राष्ट्र के मूलनिवासी लोगों की भागीदारी चाहता है।
संचालन करते हुए बामसेफ के बिहार प्रदेश महासचिव राम किशोर बैठा ने कहा कि बामसेफ संगठन का मूल उद्देश्य ही समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को राष्ट्र निर्माण की मूल धारा से जोड़ना है। इसके लिए देश के सभी मूल निवासियों को एकजुट होना होगा। एकजुट होने से ही संगठन को शक्ति मिलेगी और तभी परिवर्तन के लिए लड़ाई लड़ी जा सकती है।
सम्मेलन के उद्घाटक मू. प्रो. डॉ. सत्येन्द्र कुमार ठाकुर सहायक प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा कि एसटी, एसी, ओबीसी व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मिलाकर बनाई संस्था का नाम बामसेफ है। इस संस्था के माध्यम से उक्त सभी वर्ग के साथ एक वर्ग द्वारा हमेशा शोषण व अत्याचार किया जाता रहा है। इस कारण समाज के कई वर्ग आज भी विकास की दौड़ में शामिल नहीं हो पाए हैं। इन्हीं कारणों से बामसेफ का गठन कर एसटी, एसी, ओबीसी व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का विकास व उत्थान पर चर्चा किए जाने को लेकर दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा- अगर बिखरे हुए समाज को इकठ्ठा करना हैं तो अपने समाज मे जाकर लोगो से मिलना, उनके समस्याओं का पता लगाना और उनके समस्याओं का समाधान देना जरूरी हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में मूलनिवासी डॉ. प्रज्ञापाल शोध सहायक नव नालंदा महाविहार ने कहा कि निजीकरण से देश की पूंजी अमीरों के कब्जे में चली गई है। अमीर और गरीब के बीच की खाई बड़ी हो गई है। भयंकर बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई और मजदूरों का शोषण प्राकाष्ठा पर पहुंच गया है। जाति की जनगणना ना होने के कारण विभिन्न पिछड़ी जातियों को उनके जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा- अगर सरकार निजिकरण, महंगाई और उत्पिडन की घटनाओं पर अंकूश नहीं लगा पाई तो जनता उन्हें सबक सिखाकर रहेगी। उन्होने मूलनिवासी पहचान के साथ गोलबंद होने तथा कड़ाई से जातिवादीयों का मुकाबला करने की अपील की।
विशिष्ठ अतिथि मू. डॉ.राजीव कुमार वरिष्ठ बामसेफ कार्यकर्ता ने कहा कि जाति की जनगणना ना होने के कारण विभिन्न पिछड़ी जातियों को उनके जनसंख्या के अनुपात में हिस्सेदारी नहीं मिल पा रही हैं। इस कारण विद्रोह की भावना उत्पन्न हो रही है। जो आने वाले समय में काफी खतरनाक होगी। इसलिए हर हाल में जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए।
इस अवसर पर बामसेफ बिहार प्रदेश के कार्यालय सचिव आशुतोष कुमार राकेश, शिक्षाविद डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, राज्य परिषद सदस्य डॉ. राजीव रंजन, बामसेफ नालन्दा मीडिया प्रभारी राकेश बिहारी शर्मा, उपाध्यक्ष राजेश कुमार रमन,मो.जाहिद हुसैन,रमेश पासवान, श्यामनन्दन चौहान,वीरेंद्र प्रसाद, श्रीकांत कुमार, रंजीत कुमार, सूरज यादव, शिववालक पासवान सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
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