छात्रों के द्वारा काव्यगोष्ठी का आयोजन नव नालन्दा महाविहार के वाटिका में सम्पन्न किया गया..!!
दिनांक 23 दिसंबर 2022 को काव्यगोष्ठी में भाग लिए गए छात्र नव - नालन्दा - महाविहार के द्वारा । इसमें कवि , कवयित्रीयों ने अपनी कविता का पाठ किया , जिसका संचालन पीएचडी की छात्रा वर्षा जी के द्वारा किया गया , तथा इसके अध्यक्षता आदरणीय संजय सिन्हा जी के द्वारा किया गया ।
संचालन करते हुए कवयित्री वर्षा जी ने कहाँ कविता हमारे ह्रदय से निकली हुई शब्द - शब्द को जोड़कर लिखा जाता है जो कोरे कागज़ पर आकर रंगीन करता है , कविता जन -जन की भाषा है यह अपने भाव को सामने लाकर लोगो तक पहुचाती है और उन्होंने कविता पाठ करते हुए कहा -
साथ छोड़कर जाने वाले, क्या लगाऊँ मैं तुमपे इल्जाम।
तुम्हारी इज्जत कभी न जाती, किन्तु मैं बदचलन और बदनाम।
आदरणीय कवि संजय जी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कविता मनुष्य को जीवन जीने की सही शिक्षा देती प्रदान करती है , अच्छे संस्कार और आदर्शवादी बनाती है । कविता पाठ करते हुए ग़ज़ल सुनाते हुए कहा की -
मोहब्बत में चमकते दिल तो हमने कम ही देखें है
जहाँ देखे, दिलों से तो बरसते गम ही देखें है
सभी ने ओढ़ रखी है, हंसी एक मेकअप सी
जो झांका आंख में उनके, उसे फिर नम ही देखें है
क्या है साल का गुजरना ?
साल नहीं , दरअसल हम गुजरते हैं ,
इंसान को अपना बीत जाना पंसद नहीं ,
इसलिए वो कहते हैं कि साल बीत गया
कवयित्री स्वर्ण रश्मि जी ने कविता के माध्यम से कहा कि -
कहो स्वर्ण, यह थ्योरी क्या है?
किताब याद है, आदर्श नहीं
शहर याद है, गॉंव नहीं
कहो स्वर्ण, यह थ्योरी क्या है?
कवयित्री सुरभि जी ने कविता पाठ किया उनकी कविता की चंद पंक्ति -
न सांवली न काली, लड़की हमें तो गोरी चाहिए,
छोटी–मोटी नहीं, ना ही सिम्मर की बोरी चाहिए।
पढ़ी–लिखी प्यारी लगती हो, बस लंबी हो और गोरी लगती हो।
गर प्यार है इक दरिया हम डूब के देखेंगे
जो हमसे हुआ धोखा हम धोखा भी झेलेंगे
ए - हुस्न तेरे दर पर इस दिल के हुए टुकड़े ,
महबूब हमें फिरभी जीना है तो जी लेंगे
नवनीत दीवाना है यह सबकी जवाँ पर है
हम सबको कहे क्या अब यह बाद में सोचेंगे
काव्यगोष्ठी का धन्यवाद ज्ञापन पीएचडी की छात्रा आदरणीय कुमारी सोनी जी ने किया ।
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