नएवर्ष सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मनाया जाता है ...!!

लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव साहित्यिक मंडली शंखनाद
धीरे-धीरे ये साल भी बीतने वाला है। हम सभी का सामना जल्द ही नए साल 2023 से होने वाला है। आने वाला साल कैसा होगा, कैसा नहीं ये तो आगे जाकर ही पता चलेगा। लेकिन ये बीता हुआ साल कैसा रहा इससे हम सभी वाकिफ हैं। लोगों को नए साल का इंतज़ार है।
पिछले साल पूरी दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा है। लेकिन जो वक्त बीत गया सो बीत गया। अब हमें उसकी परवाह करना छोड़ देना चाहिए। बीता हुआ वक्त कैसा भी रहा हो, चाहे वो अच्छा रहा हो अथवा बुरा रहा हो..! हर हाल में उसे छोड़ कर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि बीता हुए समय की याद हमें या तो दुख देता है या फिर पछतावे का अनुभव कराता है।
ऐसे में इस नए साल पर आप खुद से एक वादा कीजिये कि आप बीते हुए वक्त को भूलकर खुद के भविष्य ने आने वाले समय के बारे में निर्णय लेंगे। भविष्य के बारे में विचार करेंगे। नए साल का उत्सव सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के देशों में मनाया जाता है। 1 जनवरी को नया साल मनाने का चलन अँग्रेजी कलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। चूंकि 31 दिसंबर को एक वर्ष का अंत होने के बाद 1 जनवरी से नए अंग्रेजी कैलेंडर वर्ष की शुरूआत होती है। नए साल का जश्न 31 दिसम्बर की रात से ही शुरू हो जाता है। जो कि अगले दिन यानी कि 1 जनवरी तक चलता रहता है। चारों तरफ़ नए वर्ष की बधाई की सौगात और खुशी और जश्न का लहर देखने को मिलता है। बच्चो से लेकर युवाओं और बुजुर्गों तक मे नए वर्ष के पर्व का जोश देखने को मिलता है।
नया साल एक नई शुरूआत को दर्शाता है और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देता है। पुराने साल में हमने जो भी किया, सीखा, सफल या असफल हुए उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जिस प्रकार हम पुराने साल के समाप्त होने पर दुखी नहीं होते बल्किे नए साल का स्वागत बड़े उत्साह और खुशी के साथ करते हैं, उसी तरह जीवन में भी बीते हुए समय को लेकर हमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो बीत गया उसके बारे में सोचने की अपेक्षा आने वाले अवसरों का स्वागत करें और उनके जरिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।
दुनिया के अधिकांश देशों में ईसाई मान्यता प्राप्त कैलेंडर चल रहा है। भारत में भी इसी का प्रचलन है। यद्यपि राष्ट्रीय संवत् शक संवत् है तथा सर्वमान्य संवत् विक्रमी संवत् है तथापि सरकारी विद्यालयों, कार्यालयों तथा कामकाजी व्यापारिक संस्थानों में ईसाई सन् ही चलता है। इसमें भी बारह महीने हैं। पहला महीना जनवरी है तथा इसकी पहली तारीख न्यू ईयर्स डे कहलाती है। 
25 दिसंबर को क्रिसमस त्योहार के एक सप्ताह पश्चात् यह त्योहार आता है। अतः जो भी मेले, बाजार आदि सजाएँ जाते हैं, वे दोनों को ध्यान में रखकर ही सजाए जाते हैं। इस अवसर पर लोग तथा संस्थाएँ अपने प्रिय मित्रों, संबंधियों को तथा बड़ी फर्म अपने ग्राहकों को शुभकामनाओं के संदेश कार्डों के माध्यम से प्रेषित करती हैं। आजकल फोन और मोबाइल का उपयोग भी शुभकामना संदेश भेजने के लिए होने लगा है। इन संदेशों में प्रायः आने वाले वर्ष के मंगलमय होने की कामना लिखी या कही जाती है। नववर्ष के उपलक्ष्य में गिरजाघरों (चर्च) को खूब सजाया जाता है। 31 दिसंबर की रात को ही अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। रात को 12 बजे पुराना वर्ष समाप्त होता है तथा नया वर्ष प्रारंभ होता है। गिरजाघरों में घंटियाँ बजती हैं तथा प्रार्थनाएँ की जाती हैं। रेडियो तथा टेलीविजन द्वारा भी इस अवसर पर मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। नववर्ष का आरंभ होते ही बम-पटाखे छोड़कर भी लोग स्वागत करते हैं। पादरी धर्मोपदेश भी करते हैं। नववर्ष की प्रातः से लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं तथा मिठाई बाँटते हैं। अनेक स्थानों पर नृत्य एवं संगीत के आयोजन किए जाते हैं। बड़े संस्थान, बड़े- बड़े नेता अपने यहाँ दावतों की व्यवस्था करते हैं। बड़े उत्साह एवं उल्लासपूर्वक नववर्ष का स्वागत किया जाता है। मेलों में तरह-तरह के खेल तमाशे तथा स्टॉल लगाए जाते हैं। धार्मिक त्योहार होते हुए भी चर्च की ओर से शराब के सेवन पर पाबंदी की घोषणा नहीं होती। इसीलिए खुशी का यह अवसर कई तरह की दुर्घटनाओं तथा हादसों का भी साक्षी बनता है।
नया साल यह केवल एक नई शुरुआत ही नहीं, यह हमें निरंतर आगे बढ़ने की, नित नया कुछ न कुछ सीखने की सीख भी देता है। बीते वर्ष में हमने जो भी किया, सीखा, सफल हुए या असफल उससे सीख लेकर, एक नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। एक तारीख लगते ही नववर्ष लगा जाता है यानी सभी के लिए नए-नए अवसर लेकर आता है, इस दिन हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करके और सच बोलने की भी प्रेरणा देता है।
जिस प्रकार हम पुराने साल के समाप्त होने पर दुखी नहीं होते बल्कि  नए साल का स्वागत बड़े उत्साह और खुशी के साथ करते हैं, उसी तरह जीवन में भी बीते हुए समय को लेकर हमें दुखी नहीं होना चाहिए। जो बीत गया उसके बारे में सोचने की अपेक्षा आने वाले अवसरों का स्वागत करें और उनके जरिए जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करें।
अभी फिर से कोरोना वायरस महामारी ने दस्तक दे दी है। अत: इस समय हमें नववर्ष मनाने के साथ ही पहले से भी बहुत अधिक सर्तक रहने की आवश्यअकता है। अब हमें खुद से एक वादा करना हो कि हम भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाकर घर पर ही नया साल मनाएंगे, यह इसीलिए जरूरी है कि हम और दूसरे भी सुरक्षित रह सकें।
तो आयें हम सभी मिलकर नववर्ष पर पुराने दुख, परेशानियां, चुनौतियां, संकट और बुरे अनुभवों को भूलाकर सभी के अच्छे स्वास्थ्य, अच्छा भाग्य और सुख प्राप्ति की कामना करें तथा कोरोना के इस समय में एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएं और सभी जीवों के प्रति समान भाव रखते हुए सभी के जीवन की सुरक्षा का संकल्प लें। हमें इस त्योहार को पूरी पवित्रता के साथ मनाना चाहिए।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ककड़िया विद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा के बलिदान को किया याद...!!

61 वर्षीय दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का निधन, मानववाद की पैरोकार थी ...!!

ककड़िया मध्य विद्यालय की ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन...!!