राम कृपाल बाबू एक सच्चे इन्सान एवं सच्चे समाज सेवी थे..!!

अरौत-नालंदा, 14 मार्च 2023 : समाजसेवी शिक्षाविद् स्वर्गीय राम कृपाल सिंह जी की तृतीय पुण्यतिथि 13 मार्च दिन सोमवार की देरशाम को राम कृपाल सिंह टीचर ट्रेनिंग कॉलेज अरौत, हरनौत (नालंदा) में ख्याति प्राप्त वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार श्री गौरी शंकर प्रसाद ‘मधु’ की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। 
उपस्थित अतिथियों ने टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के संस्थापक शिक्षाविद् राम कृपाल सिंह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित तथा दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के ख्याति प्राप्त वरिष्ठ कवि शिक्षाविद् गौरी शंकर प्रसाद ‘मधु’ ने स्वर्गीय राम कृपाल सिंह के व्यक्तित्व ओर कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के दर्द को जानने की उनमें अनोखी कला थी।
मौके पर संस्थान के प्रो. योगेन्द्र सिंह ने कहा कि शिक्षाविद् स्व. राम कृपाल सिंह जी का जन्म 03 जून 1939 को अरौत ग्राम में हुआ था। वे एक सच्चे इन्सान एवं सच्चे समाज सेवी थे, उनके जीवन का एक मात्र लक्ष्य स्वस्थ शिक्षित समाज की संरचना मैं अपना योगदान देना। इस लक्ष्य की पूर्ति हेतु वे मनुष्य की सेवा का व्रत धारण किये हुए थे।
मौके पर संस्थान के सचिव स्व. राम कृपाल सिंह के पुत्र दिनेश कुमार सिंह ने बतायाकि स्व. राम कृपाल बाबू जी 22 अगस्त 1963 को उच्च विद्यालय हरनौत (नालन्दा) से नौकरी का शुभारंभ किये तथा सेवानिवृति 03 जून 1999 को उच्च विद्यालय फतुहा (पटना) से किया था। नालन्दा के इतिहास में उनकी छवि एक कर्मठ और जुझारू व्यक्तित्व वाले इंसान के रूप में थी जो मृत्यु के बाद हमारे परिवार और नालन्दा वासियों के आदर्श और पथ प्रदर्शक के रूप में हैं। 
मौके पर शंखनाद के महासचिव कवि व साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा- आज स्व. राम कृपाल बाबू जैसे शख्सियत की निष्ठा, कर्तव्य परायणता और तत्परता से नालंदा के अरौत ज्ञान रूपी धरती के शिरोमणि साबित हो रहे हैं। स्वर्गीय रामकृपाल बाबू का व्यक्तित्व अनुकरणीय था। वह सदैव हमारी याद में रहेंगे। उनसे हमने जीवन में बहुत कुछ सीखा था। शिक्षाविद् स्व.राम कृपाल सिंह का व्यक्तित्व अद्वितीय था। वे हमेशा कहा करते थे की लोग मंदिर नहीं अधिक से अधिक विद्यालयों का निर्माण कराएं, क्योंकि मंदिरों से पुजारी का निर्माण होता है और विद्यालय से पदाधिकारियों का निर्माण होता है। वे मानवता के पुजारी थे।
मौके पर श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए स्वर्गीय राम कृपाल बाबू के पुत्र अरुण कुमार ने कहा कि मेरे पिताजी स्वर्गीय राम कृपाल बाबू गरीब छात्रों के हितैसी तथा सामाजिक न्याय के मजबूत स्तम्भ थे। स्व. राम कृपाल बाबू ने जीवन का हर क्षण गरीबो के कल्याण व जिले व प्रदेश के युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित किया।
कार्यक्रम के दुसरे सत्र में हुआ काव्य गोष्ठी का आयोजन 

बेटा तो नादान है, मगर हम बाप का किरदार भूल जाएँ...
कार्यक्रम के दुसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का शुभारंभ शंखनाद के मीडिया प्रभारी एवं संस्थान के पूर्व छात्र नामचीन राष्ट्रीय शायर व गजलकार नवनीत कृष्ण ने सरस्वती वंदना के साथ किया।
काव्य गोष्ठी में मंच संचालन करते हुए राष्ट्रीय शायर व गजलकार नवनीत कृष्ण ने ‘तेरी बातो में हम रह गए, ख़ुद से ग़ाफ़िल सनम रह गए। उनको दुनियाँ की सब राहतें, मेरे हिस्से में ग़म रह गए...। सुनाकर पुरजोर तालियाँ बटोरी। 
वहीं कवि व साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपनी कविता ‘युद्ध नहीं हमें विश्वशांति चाहिए, भारत की एक सनातन चिंतनधारा चाहिए। युद्ध नहीं विश्वशांति संकल्प हमारा है। युद्ध दो देशों के जन या सैन्य के खिलाफ़ नहीं होता, वह सीमा के भीतर और बाहर भी चलता है। ज्यादातर वह माँग व माँओं के साथ होता है...सुना कर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने अतीत और वर्तमान पर कटाक्ष करते हुए सुनाया ‘बेवफाई से  दामन बचा  लिया मैंने... रब से अपना दिल लगा...लिया मैंने... हर तरफ़ कशीदे कीना-कशी हैं... इनसे अपना ईमान बचा लिया मैंने...। अतीत और वर्तमान कविता के माध्यम से सुनकर लोग सोचने पर मजबूर हो गए जिसे खूब पसंद किया और सराहा।
शंखनाद के सक्रिय सदस्य व गया का नामचीन राष्ट्रीय शायर कुमार आर्यन गयावी ने परिवारिक जमीनी सचाई बताते हुए सुनाया ‘बेटा तो नादान है, मगर हम बाप का किरदार भूल जाएँ एक ग़लती हो तो ठीक साहब बोलिए हर बार भूल जाएँ’...। इनकी कविता दर्शकों को गुदगुदाये बिना नहीं रहा।
शंखनाद के सक्रिय कवयित्री अल्पना आंनद ने अपने सुमधुर स्वर में ‘सुनो, चलोगे जीवन पथ पर थाम के मेरा हाथ? कहो, क्या दोगे मेरा साथ? शाम सुनहरी बन जाएगी जब अँधियारी रात, कहो तब दोगे मेरा साथ’...? अपनी गंभीर कविताओं से लोगों को तालियाँ बजाने पर विवश कर दिया।
कवि अभिमन्यु प्रजापति ने ‘शहीदों की जब चली यात्रा, श्मशानों तक शव पर! सब सुख निज भेंट चढ़ा दूँ,इस परम् शोक उत्सव पर! ये कैसा शोक दिवस है,है बजता ढोल नगाड़े’...!
शायर अमन नालंदवी ‘लोग इस कदर से पेश क्यों आते है मै गले मिलता हूँ वो हाथ मिलाते है मौत दे मगर ऐसी ज़िंदगी मत दे खुदा अब मेरे दुश्मन भी मुझपे तरस खाते है...। सुना कर खूब तालियाँ बटोरी। 
कवि जैनेन्द्र प्रसाद रवि' ने ‘बोलते थे खुलकर, खुश होते मिलकर, कलिकाल देवरूप, इंसाँ बेमिसाल थे।जो भी कोई पास आता, खाली हाथ नहीं जाता, तन- मन-धन से-बनाते मालामाल थे...अपने सुमधुर स्वर में सुनाया।
कवि अमित कुमार ने गाँव में बदलाव कविता ‘जहाँ जनमे, जहाँ खेले जहाँ दुख-सुख सभी झेले जिसके वन-बाग को नंदन, खेतों की मिट्टी को चंदन जहाँ के पानी को अमृत, माना जिस भू को सदा पवित्र न वह मेरा गाँव रहा अब बदला-बदला है वहाँ सब... सुनाया।
इस दौरान सभी कवियों एवं शायरों ने अपनी-अपनी रचनाओं व शेरों-शायरी से समां बांध दिया। और दर्शकों को गुदगुदाये बिना नहीं रहा तथा लोगों को खूब मनोरंजन किया।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित कवियों व साहित्यकारों को संस्थान की ओर से अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संजय कुमार दत्त, आनंद उर्फ पप्पू जी, अनीता कुमारी संस्थान के प्रधान लिपिक-भुवनेश्वर प्रसाद, नेता जीतू यादव शिक्षक नेता प्रकाश चन्द्र भारती, दीपक कुमार, रियांश, गोलू कुमार, कुंती देवी, संजू देवी, प्रणिता कुमारी, अशोक कुमार, प्रियंका कुमारी, डॉ. अन्नू, अस्मिता कुमारी, गार्गी, रियांश, श्रेयांक, जानकी देवी, राखी कुमारी, आद्रीति एवं श्रीकांत वर्मा के साथ-साथ बी. एड./डी. एल. एड. के सभी छात्र-छात्रा, अध्यापक, अध्यापिका सहित कई लोग इस दौरान उपस्थित थे।

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