किसान कॉलेज के संस्थापक रामजी प्रसाद की 106 वीं जयंती मनाई गई..!!

बिहारशरीफ, 06 मई 2023 : स्थानीय बबुरबन्ना मोहल्ले में शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा के आवास पर स्थित सभागार में किसान कॉलेज सोहसराय के संस्थापक सचिव स्व. रामजी प्रसाद की 106 वीं जयंती समारोह मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शंखनाद के अध्यक्ष इतिहासज्ञ प्रो. (डॉ.) लक्ष्मीकांत सिंह तथा संचालन मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने की।
मौके पर कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने बाबू रामजी प्रसाद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किये गए कार्यों से लोगो के दिलो में हमेशा उनकी यादे बनी रहती है। वे बहुआयामी, सहज और सरल व्यक्तित्व व देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत थे। उन्होंने कहा- आस-पास के दर्जनों गांवों की लडकियाँ एवं लडकें स्कूली शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाती थी रामजी बाबू ने कॉलेज की स्थापना कर उच्च शिक्षा के लिए दरवाजा खोला। कॉलेज स्थापना के बाद खासकर इस क्षेत्र की लड़कियों का यह सपना साकार हो रहा है। रामजी प्रसाद जी क्षेत्र के एक महान विभूति तथा किसान कॉलेज के दधीचि थे।
अध्यक्षीय सम्बोधन में शंखनाद के अध्यक्ष इतिहासज्ञ डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि बाबू रामजी प्रसाद जी आजादी के पहले त्रिवेणी संघ के सक्रीय कार्यकर्ता थे। उन्होंने कहा- वर्तमान सदी भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में हो रही गिरावट के रूप में याद की जाएगी, जो चिंताजनक है। जबकि बीसवीं सदी भारत में शिक्षा के विकास का स्वर्णिम काल माना जाता है। खासकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई। ब्रिटिश शासन ने शिक्षा का विस्तार किया तथा दबे-कुचले वर्ग के लिए शिक्षा का दरवाजा खोला। जो बंचित और उपेक्षित वर्ग को एक सामान्य नागरिक जीवन जीने की ओर प्रेरित किया। इसके कारण तमाम समपन्न समुदाय ने गावों में स्कूल खोले और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया। इसी क्रम में कई बड़ें जमींदार लोगों ने शहरों में कॉलेज खोला। ताकि बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो। लेकिन आजादी के बाद जनसंख्या बढ़ने पर कालेज कम पड़ने लगे। ऐसी परिस्थितियों में किसान कॉलेज का निर्माण, आम लोगों को शिक्षा से जोड़ने में एक मील का पत्थर साबित हुआ। अँग्रेज़ो के जमाने में शिक्षा एक सामाजिक उपहार था, जो सर्वसमावेशी समाज के निर्माण का द्योतक था। जबकि आज यह व्यापार बन गया है। यह सर्वाधिक चिंतनीय विषय है। इससे समाज में स्वार्थपरता और वैमनस्यता का विकास हो रहा है।जो शिक्षा के मूल उद्देश्य से बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा- शिक्षा के क्षेत्र में हर पीढ़ी को कुछ ना कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आज शिक्षा के क्षेत्र में जनसंख्या वृद्धि की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या वृद्धि पराकाष्ठा पर पहुंची हुई है। उसके अनुरूप हमारे देश में संसाधन और रिसर्च का विकास नहीं हुआ। आज लोग किसी तरह एडमिशन लेकर सिर्फ डिग्री प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन जो शिक्षा चाहिए उन्हें नहीं मिल पाती है। जिसके कारण वे न तो घर के रहते हैं ना घाट के रहते हैं। उन्होंने छात्र- छात्राओं, शिक्षकों अभिभावकों एवं प्रबुद्ध जनों से अपील किया कि कॉलेज जाएं और वहां कमीशन से आए हुए शिक्षक एवं कुछ गेस्ट फैकेल्टी के शिक्षक भी हैं जिससे क्लास संचालित होता है और छात्रों को ज्ञान मिलता है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए पिछड़े लोगों के समुचित विकास के लिए बाबू रामजी प्रसाद ने इस किसान कॉलेज का निर्माण करवाया था।
शंखनाद के कोषाध्यक्ष सरदार वीर सिंह ने कहा रामजी प्रसाद के सकारात्मक सोच और समाज के प्रति चेतना के कारण ही आज किसान कॉलेज अस्तित्व में है। 31 मई 1957 को उन्होंने आस-पास के विद्यार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखकर इस किसान कॉलेज की नींव रखी थी, जिससे यहाँ से पढ़े विद्यार्थी आज देश-विदेश में कई पदों पर अपनी सेवा दे रहें है।
समाजसेवी राजदेव पासवान ने कहा- बाबू रामजी प्रसाद ने सोहसराय क्षेत्र के किसानों से जमीन दान लेकर किसान कॉलेज का निर्माण करवाया था कि इस ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी शिक्षित होकर आगे बढ़े, इस क्षेत्र से अशिक्षा दूर हो सके।
मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने कहा कि बाबू रामजी प्रसाद जी एक युग पुरुष थे, उनके द्वारा संस्थापित किसान कॉलेज सोहसराय से पढ कर निकलने वाले छात्र, जिन्होंने देश ही नही विदेश में भी राष्ट्र के साथ-साथ कॉलेज का नाम रोशन किया है, रामजी बाबू से ये समाज कभी उऋण नहीं हो सकता।
सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा ने कहा- जिस उद्देश्य से किसान कॉलेज की स्थापना बाबू रामजी प्रसाद द्वारा की गई थी, उनके उद्देश्यों को अमलीजामा पहनाने का यथासंभव प्रयास अब भी किया जा रहा है। 
इस दौरान धीरज कुमार, देवनारायण पासवान, विजय कुमार पासवान, युवराज सिंह, राम प्रसाद चौधरी, यशपाल सिंह, अमर सिंह, प्रिंस राज, पृथ्वी राज,ऋतिक कुमार, दीपक कुमार, नारायण रविदास सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मौजूद लोगों ने कहा कि रामजी बाबू की दूरदर्शिता थी कि ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा की कल्पना की।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ककड़िया विद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा के बलिदान को किया याद...!!

61 वर्षीय दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का निधन, मानववाद की पैरोकार थी ...!!

ककड़िया मध्य विद्यालय की ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन...!!