कर्मचारी महासंघ व ट्रेड यूनियन ने मनाया मजदूर दिवस, शहीद श्रमिकों को दी श्रद्धांजलि..!!

बिहारशरीफ, 01 मई 2023 : सोमवार की देरशाम बिहार शरीफ के बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ भवन में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया गया। इस मजदूर दिवस के मौके पर कर्मचारी महासंघ, भाकपा एवं ट्रेड यूनियन के शिक्षाविदों एवं सदस्यों ने एक विचार गोष्ठी एवं अपनी एकजुटता प्रदर्शित किया। 
जिसकी अध्यक्षता बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष जय वर्द्धन ने किया। इस दौरान ईंट जोडने वाले एक मजदूर शनिचर प्रसाद ने लाल झंडा फहराकर झंडोत्तोलन किया और अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
अध्यक्षता करते हुए कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष जय वर्द्धन ने मई दिवस के अवसर पर शिकागो के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज का दिन पूरे विश्व में मजदूर वर्ग के संघर्ष, कुर्बानी और शिकागो के मजदूरों का इतिहास को याद करने का दिन है। मजदूरों ने कुर्बानी देकर जो अधिकार हासिल किए थे, उन अधिकारों को भी ये तानाशाह, नव फासीवादी सरकार हमसे छिन लिए है। हमें पूंजीवादी-साम्राराज्यवादी बर्बरता के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा।
आयोजित गोष्ठी में शिक्षक नेता राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि भारत में मजदूर दिवस तो अब एक रस्म बनकर रह गया है, सच बात तो यह है कि अब एक मई को न कोई याद करता है न कहीं मजदूर दिवस का कोई बड़ा सा आयोजन ही होता है। आज भी मजदूरों को भारत सहित कई देशों में मूलभूत सविधाये उपलब्ध नही है। वर्तमान समय में मजदूरों को अपने हक की लड़ाई को और तेज करने की जरूरत है। संगठन को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है। आने वाले दिनों में मजूदरों पर दमन तेजी से बढ़ने वाली है। 12 घंटे का कार्य दिवस, ट्रेड यूनियनों पर रोक, वेतन में कटौती जैसे हमलों को रोकने के लिए और मेहनतकशों की मुक्ति के लिए हमें एक साथ आकर सोचने की जरुरत है, सभी सगंठनो को संयुक्त रूप से संघर्ष को तेज करने की जरूरत है। मजदूर तबका समाज की रीढ़ है।
मौके पर भाकपा नेता मोहन प्रसाद ने कहा कि वर्तमान समय में मजदूर संगठनों की मान्यता रद्द किया जा रहा है और मजदूर संगठनों पर प्रतिबंध भी लगाया जा रहा है। वर्तमान सरकार खुलकर पूंजीपतियों के पक्ष में खड़ी है। केंद्र की सरकारे मजदूर से ज्यादा कम्पनियों के लिए फिक्रमंद हैं। श्रम कानूनों में मालिकपक्षीय संशोधनों से मजदूरों की हालात नारकीय हो गई है। समान काम के लिये समान वेतन का फैसला सरकारी फाइलों की शोभा बढ़ा रहा है। मैं मजदूर का बेटा हूं, और मैंने श्रमिक संघ का नेतृत्व किया है, मुझे पता है, श्रमिकों के समक्ष खड़ी समस्याओं से निपटने के लिए और बहुत कुछ करने की जरूरत है। महत्वपूर्ण पहला कदम यह हो कि निर्णय लेने में श्रमिकों की उपेक्षा बंद हो, श्रमिकों की आवाज को पुनर्जीवित किया जाए।
बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के पूर्व प्रदेश महासचिव मो. तस्लीमुद्दीन ने कहा कि मजदूर वर्ग को अपने आर्थिक लड़ाई के साथ-साथ राजनीतिक लड़ाई को भी तेज और सशक्त करने की जरूरत है। क्योकि पूंजीवाद, साम्राज्यवाद मानव जाति की रक्षा नहीं कर सकता। इनका नव-उदारवादी नीतियां, इनका खोखलापन, बढ़ता संकट इनकी हकिकत दुनिया के सामने आ चुका है। इस कठिन समय में भी फासिस्ट सरकार ने सम्प्रदायिक, फ़ासीवादीकरण तेजी से बढ़ रही है। हम सभी को संगठित होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है।
महासंघ के जिला मंत्री संजय कुमार ने कहा कि सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार व महंगाई से मजदूर वर्ग इस समय सबसे ज्यादा परेशान हुआ है। मजदूरों की समस्याओं का समाधान कराने की बजाय उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया जाता है।
मौके पर भाकपा नेता विजय कुमार ने कहा कि मोदी सरकार का अब तक का कार्यकाल निराशाजनक और हर मोर्चे पर विफल रहा है। यह सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट करने पर तुली हुई है। दलितों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं। दलित प्रेम का नाटक किया जा रहा है।
समाहरणालय की संयोजिका ज्योति सिंह ने कहा- श्रम से ही बनता है इंसान और समाज। अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस आज की दुनिया के निर्माण में श्रमिकों के योगदान और बलिदान को दर्शाता है। आज के दिन को हम श्रमिकों के लंबे संघर्ष के लिए याद करते हैं।
 
माले नेता विनोद रजक ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जाति और धर्म के नाम से देश में नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है। मौजूदा सरकार इस संकट का बोझ मजदूर वर्ग के पीठ पर लाद देना चाहती हैं बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई तेजी से बढ़ रही है। केंद्र की फासिस्ट सरकार जो कॉर्पोरेटो के इशारे पर 44 श्रम कानूनों को बदल कर 4 श्रम कोड लाया है, जो मजदूरों को मालिको का गुलाम बनाने के लिए है।
इस दौरान महासंघ के कोषाध्यक्ष धीरज समैयार, नदीम नीलम कुमारी, नदीम, जनार्दन प्रसाद, रामप्रीत केवट, किशोर साव, अजय कुमार, धर्म कुमार सहित कई लोग मौजूद रहे।

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