प्रेस की आजादी और निडर पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता ..!!
सोहसराय,बबुरबन्ना-नालंदा, 03 मई 2023 : स्थानीय बिहारशरीफ के बबुरबन्ना मोहल्ले में देर शाम शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में सविता बिहारी निवास स्थित सभागार में 30 वीं विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर परिचर्चा का अयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता सद्भावना मंच (भारत) के संस्थापक दीपक कुमार ने की। परिचर्चा के दौरान इस वर्ष देश में दिवंगत एवं रिपोर्टिंग के दौरान शहीद हुए पत्रकारों को श्रद्धांजलि दी गई।
मौके पर साहित्यिक मंडली शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने निडर पत्रकारिता एवं विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की महत्ता पर अपने गम्भीर विचार रखते हुए और प्रेस की मजबूती तथा स्वतंत्रता के अलावा पत्रकारों के आर्थिक हितों व उनकी सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने अपने सारगर्भित सम्बोधन में कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, क्योंकि यह लोगों के विचारों को प्रभावित करने या परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभाता है। आज के दौर में पत्रकारों का कार्य सराहनीय एवं वंदनीय है। अपनी एवं अपने परिवार की जान जोखिम में डालते हुए अपने राष्ट्र एवं समाज और संस्थान की सेवा में दिन रात लगे हुए हैं, जिनकी जितनी सराहना की जाए, कम है।
अध्यक्षता करते हुए सद्भावना मंच के संस्थापक दीपक कुमार ने कहा- नालंदा जिला में कई वर्षों से लाखों रूपये से निर्मित प्रेस क्लव बनकर तैयार है जो कि उद्घाटन के प्रतीक्षा में धुल फांक रहा है, और अब खंडहर बनता जा रहा है। जिसे कोई देखने वाला नहीं है। यदि प्रेस क्लव को नालंदा जिले के पत्रकारों को दे दिया जाता तो आज यह भवन सुरक्षित होता। उन्होंने कहा- विश्व स्तर पर प्रेस की आजादी को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया, जिसे विश्व प्रेस दिवस के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान समय में पीत पत्रिकारिता तेजी से फल फूल रही है। जोकि प्रेस की आजादी के लिए खतरा है।
विक्रमगंज रोहतास के प्रखंड कल्याण पदाधिकारी नवजोति कुमार ने कहा कि अच्छे पत्रकारों को चाहिए कि वे अपनी बौद्धिकता तथा साधनों का इस्तेमाल उन लोगों के विरुद्ध करें जो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए समाज तथा जन हितों पर कुठाराघात कर रहे हैं।
समाजसेवी सरदार वीर सिंह ने कहा कि आज के समय में पत्रकारिता का कार्य विशेष चुनौतीपूर्ण है। साहसी एवं ईमानदारी पूर्ण कार्य करने वाले पत्रकारों का सम्मान होना चाहिए। वह राष्ट्र के सजग प्रहरी भी हैं, इसलिए उनके कार्यों की सराहना भी होनी चाहिए।
समाजसेवी धीरज कुमार ने कहा कि प्रेस को सदैव लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की संज्ञा दी जाती रही है, क्योंकि लोकतंत्र की मजबूती में इसकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यही कारण है कि स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को बहुत अहम माना गया है। विडंबना यह है कि विगत कुछ वर्षों से प्रेस स्वतंत्रता के मामले में लगातार कमी देखी जा रही है।
साहित्यसेवी सुरेन्द्र प्रसाद शर्मा ने कहा कि एक कहावत है कि जो काम बड़ी-बड़ी तोप, तलवार या गोली नहीं कर सकती, वो काम एक कलम कर सकती है। प्रेस जो काम कर रही है वो बेहद मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है। कई बार इस कलम के आगे बड़े-बड़े धुरंधरों ने भी हार मानी है।
इस दौरान समाजसेवी राजदेव पासवान,सुरेश प्रसाद, विजय कुमार पासवान, राम प्रसाद चौधरी, नारायण रविदास, समाजसेवी डॉ. हजारी लाल सहित दर्जनों उपस्थित लोगों को कलम और डायरी देकर सम्मानित किया गया।
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