योग विद्या के जनक नागवंशी बौद्ध एवं पतंजलि थे...!!

लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली
हर व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन होता है, जिसे हमेशा संजोकर रखना बहुत जरूरी है। स्वस्थ शरीर से ही व्यक्ति को हर कार्य करने में मन लगता है। योगा एक ऐसी कला है, जिससे व्यक्ति अपने आपको स्वस्थ रख सकता है। यहां तक कि योगा से व्यक्ति कई प्रकार के शारीरिक बीमारियों से उभर सकता है। योग कला हमारे प्राचीन संस्कृति की देन है, हमारे पूर्वज योग किया करते थे। यही कारण है कि वे स्वस्थ रहा करते थे।

योग विद्या के जनक नागवंशी बौद्ध एवं पतंजलि थे

भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। अनादिकाल में योग विद्या के जनक नागवंशी बौद्ध थे। महर्षि पतंजलि अंतिम मौर्य सम्राट तथा सम्राट अशोक के पोते बृहद्र्थ के सेनापति पुष्यमित्र शुंग के गुरु थे, तथा पुष्यमित्र ने धोखे से सम्राट बृहद्रथ की हत्या की और बुद्ध धम्म की उन्होंने बड़े पैमाने में क्षति की, लाखो बुद्ध भिक्खु एवं अनुयायियो की निर्मम हत्या की। और धम्म ग्रन्थों को नष्ट कर बौद्धकाल की गौरवशाली कला, साहित्य और संस्कृति को विकृत किया। योग शब्द वेदों, उपनिषदों, गीता एवं पुराणों आदि में अति पुरातन काल से व्यवहृत होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक अति महत्त्वपूर्ण शब्द है। आत्मदर्शन एवं समाधि से लेकर कर्मक्षेत्र तक योग का व्यापक व्यवहार हमारे शास्त्रों में हुआ है। रोगमुक्त तनावमुक्त व्यसनमुक्त बुरे अभ्यासों से मुक्त स्वस्थ, सुखी, समृद्ध व पूर्ण शान्तिमय जीवन जीने का मार्ग है योग। 
योग कोई मजहबी परम्परा या अभ्यास नहीं है, अपितु योग एक वैज्ञानिक, सार्वभौमिक व पंथनिरपेक्ष जीवन पद्धति है। रोगियों के लिए योग एक सम्पूर्ण चिकित्सा (पद्धति) तथा योगियों के लिए एक साधना पद्धति, मुक्ति का मार्ग और जीवन में पूर्णता प्राप्त करने का साधन है। योग की जड़े भारतीय संस्कृति के साथ पौराणिक काल से जुड़ी है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि योग कला को जन्म देने वाले भगवान शिव थे। योग एक प्रकार की ऊर्जा है, जो साधक को पूरी उम्र बीमारियों से बचाती है।
योग में ध्यान के बिना लक्ष्य की प्राप्ति ही असंभव है। भगवान बुद्ध के अनुसार, एकांत में ध्यान करना ही आध्यात्मिक शांति एवं अनासक्ति प्राप्त करने का एकमात्र साधन है। इसके अतिरिक्त बुद्ध धर्म में समाधि की भी चर्चा की गई है। बौद्ध धर्म के अनुसार, समाधि से चित्त एकाग्र हो जाने पर प्रज्ञा की प्राप्ति होती है। गौतम बुद्ध की खोज विपस्सना ध्यान योग विद्या है। 
नौवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस- 2023

21 जून को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्राचीन भारतीय कला के लिए एक अनुष्ठान है। हमारे दैनिक जीवन में योग को जन्म देने से हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। यह हमारे तनावपूर्ण जीवन के लिए एक बड़ी राहत प्रदान करता है।
संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून 2015 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करते हुए पहली बार आयोजन किया गया। जो आज भी विश्वव्यापी समर्थन के साथ जारी है। इस वर्ष दुनिया भर में नौवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इस दिन लोग पार्क अथवा किसी को ले स्थान पर एकत्र होकर सामूहिक रूप से योग के विभिन्न आसन करते हैं।
भारतीय संस्कृति में योग की उत्पत्ति

माना जाता है कि भारतीय पौराणिक युग से योग की जड़े जुडी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह भगवान शिव थे जिन्होंने इस कला को जन्म दिया। शिव, जिन्हें आदि योगी के रूप में भी माना जाता है, को दुनिया के सभी योग गुरुओं के लिए प्रेरणा माना जाता है। सामान्यतया यह माना जाता है कि यह उत्तर भारत में सिंधु-सरस्वती सभ्यता थी जिसने 5000 साल पहले इस शानदार कला की शुरूआत की थी। ऋग्वेद में पहली बार इस अवधि का उल्लेख किया है। हालांकि योग की पहली प्रस्तुति शास्त्रीय काल में पतंजलि द्वारा की गई है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को क्यों मनाया जाता है

21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है और इसे ग्रीष्मकालीन अस्थिरता कहा जाता है। यह दक्षिणायन का एक संक्रमण प्रतीक है जिसे माना जाता है कि यह एक ऐसी अवधि होती है जो आध्यात्मिक प्रथाओं का समर्थन करती है। इस प्रकार योग की आध्यात्मिक कला का अभ्यास करने के लिए एक अच्छी अवधि माना जाता है। इसके अलावा किंवदंती यह है कि इस संक्रमण काल के दौरान भगवान शिव ने उनके साथ योग की कला के बारे में ज्ञान साझा करके आध्यात्मिक गुरुओं को प्रबुद्ध किया था। इन सभी बिंदुओं को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने माना था और 21 जून को अंततः अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी गई थी।
धार्मिक ग्रंथों में योग की कई शाखाएँ हैं- योग की छह शाखाएं हैं। जैसे- हठ योग, राज योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और तंत्र योग हैं। शीर्षासन को योग के सभी आसनों का राजा माना जाता है।
जीवनशैली में योग का महत्व :


हमारी बदलती हुई जीवनशैली के बीच योग का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। अनियमित खान-पान, प्रदूषण भरे माहौल में रहने से एवं सोने-जागने का एक निश्चित वक्त ना होना, इन सब कारणों की वजह से कहीं ना कहीं हमारा स्वास्थ्य बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। जिसका असर हमारी कार्यक्षमता में स्पष्ट तौर पर दिखाई देता है। जब हमारा शरीर और मन स्वस्थ नहीं होता तो हम पूरी ऊर्जा के साथ काम नहीं कर पाते। ऐसे में योग सबसे बड़ी औषधि का काम करता है। योग ना सिर्फ हमारे शरीर को स्वस्थ बनाता है बल्कि मन और मस्तिष्क दोनों को मजबूती प्रदान करता है। योग के कारण हमारे जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है। जिसकी सहायता से हम हर बीमारी से लड़ने के काबिल बनते हैं। योग करने से हमारा मन शांत होता है जिसका सीधा सा अर्थ है कि हम 'ब्लड प्रेशर' जैसी चुनौतियों से अच्छी तरीके से निपट सकते हैं क्योंकि विचलित मन की वजह से ही ऐसी समस्याओं का जन्म होता है।
योग करने से मानव को अनेक लाभ होते हैं। योग के द्वारा मांसपेशियों में लचीलापन आता है। योग पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता है। योग शरीर के अंगों को मजबूत करता है। योग के माध्यम से अस्थमा, मधुमेह, रक्तचाप और हृदय संबंधी बीमारियों का आसानी से इलाज किया जा सकता है। योग करने से चेहरे पर चमक आती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। जिससे एकाग्रता बढ़ती है। योग के द्वारा चिंता, तनाव तथा अवसाद जैसी समस्याओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है। ऐसे ही अनगिनत फायदे हमें योग के द्वारा प्राप्त होते हैं।
विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत :
 
अंतर्राष्ट्रीय योग की सार्वभौमिक अपील को स्वीकार करते हुए 11 दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प 69/131 द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। 21 जून 2015 को 'सद्भाव और शांति के लिए योग' विषय पर पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उद्घाटन किया।
यह भारत वासियों के लिए बड़े ही गर्व का विषय है कि मन और शरीर को फिट रखने के लिए हमारी प्राचीन कला स्वीकार की गई और दुनिया भर में इसकी सराहना की गई। भारत कई तरह के खजानों का देश है और हम दुनिया के साथ उन में से सबसे अच्छे खजानों में से एक को साझा करते हुए बहुत प्रसन्न हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस लोग बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं इस दिन का नजारा कुछ अलग ही होता है जहां देखो वहां लोग अलग-अलग शिविर लगाए योग की मुद्रा में दिखाई देते हैं यही हमारे भारत वासियों के लिए बड़े गर्व की बात है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं योग करो स्वस्थ रहो निरोग रहो।

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