वृक्ष हमारे जीवन दाता हैं, स्वयं विष पीकर अमृत बरसाते हैं....!!
पेड़ हमारे लिए बेहद जरूरी हैं। यह पौधों और पेड़ों की वजह से है कि हम इस ग्रह पर जीवित रहने में सक्षम हैं। पेड़ जीवन देने वाली ऑक्सीजन को बाहर निकाल देते हैं जिसके बिना मनुष्य या अन्य प्रजातियों के लिए जीवित रहना संभव नहीं होगा। हालांकि, यह एकमात्र कारण नहीं है कि पेड़ हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। उनके पास पर्यावरण के साथ-साथ जीवित प्राणियों के लिए बहुत कुछ है। ऑक्सीजन देने के अलावा, पेड़ पर्यावरण से विभिन्न हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं जिससे ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव कम होता है।
पेड़ पर्यावरण का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे विभिन्न प्रजातियों के जीवों के अस्तित्व के लिए पर्यावरण को सुंदर और फिट बनाते हैं। पेड़ों के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होगा। वे कई मायनों में हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि पेड़ हमें जीवन देते हैं।
हमारे जीवन में वृक्षों का महत्व
हमारे जीवन में वृक्षों का महत्व कितना है? अगर ये जानना है तो इसके बारे में भारतीय जीवन दर्शन को देखना सबसे प्रामाणिक और महत्वपूर्ण होगा। क्योंकि विश्व में सनातन धर्म एवं भारतीय जीवन दर्शन में वृक्षों को जितना महत्व दिया गया है उतना शायद ही किसी अन्य धर्म या जीवन दर्शन में आपको दिखाई दे।
भारतीय पौराणिक शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता। इसी तरह धर्म शास्त्रों में सभी तरह से हमारे जीवन में वृक्षों का महत्व सहित प्रकृति के सभी तत्वों के महत्व की विवेचना की गई है।
वृक्ष हमारे जीवन और पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वृक्ष में देवताओं का वास होता है या कि वृक्ष महज एक वृक्ष से ज्यादा कुछ नहीं, जिसे व्यक्ति कभी भी काटकर जला सकता है और वह वृक्ष उस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वृक्ष हमारे जीवन और धरती के पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वृक्ष से एक और जहाँ ऑक्सीजन का उत्पादन होता है तो वहीं दूसरी ओर यही वृक्ष धरती के प्रदूषण को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दरअसल, यह धरती के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलन प्रदान करते हैं।
धरती पर औषधीय गुणों का भंडार है वृक्ष
वृक्ष औषधीय गुणों का भंडार होते हैं। नीम, तुलसी, जामुन, आंवला, पीपल, अनार आदि अनेक ऐसे वृक्ष हैं, जो हमारी सेहत को बरकरार रखने में मददगार सिद्ध होते हैं। वृक्ष से हमें भरपूर भोजन प्राप्त होता है, जैसे आम, अनार, सेवफल, अंगूर, केला, पपीता, चीकू, संतरा आदि ऐसे हजारों फलदार वृक्षों की जितनी तादाद होगी, उतना भरपूर भोजन प्राप्त होगा। आदिकाल में वृक्ष से ही मनुष्य के भोजन की पूर्ति होती थी।
वृक्ष से जीवन में मानसिक संतुष्टि मिलती है
वृक्ष के आसपास रहने से जीवन में मानसिक संतुष्टि और संतुलन मिलता है। वृक्ष हमारे जीवन के संतापों को समाप्त करने की शक्ति रखते हैं। माना कि वृक्ष देवता नहीं होते लेकिन उनमें देवताओं जैसी ही ऊर्जा होती है। हाल ही में हुए शोधों से पता चला है कि नीम के नीचे प्रतिदिन आधा घंटा बैठने से किसी भी प्रकार का चर्म रोग नहीं होता। तुलसी और नीम के पत्ते खाने से किसी भी प्रकार का कैंसर नहीं होता। इसी तरह वृक्ष से सैकड़ों शारीरिक और मानसिक लाभ मिलते हैं।
ऋषि-मुनियों ने भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे ऋषि-मुनियों ने पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्ष से संबंधित अनेक मान्यताओं को प्रचलन में लाया।
वैज्ञानिक कारणों से हमारे पूर्वज और ऋषि-मुनि भली-भांति परिचित थे और इस तरह वे पारिस्थितिकी "वातावरण और जीव-समुदाय के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन को पारिस्थितिकी कहते हैं।" संतुलन के लिए और उसकी रक्षा के लिए वृक्ष को महत्व देते थे, लेकिन उन्हें यह भी मालूम था कि मनुष्य आगे चलकर इन वृक्षों का अंधाधुंध दोहन करने लगेगा इसलिए उन्होंने वृक्षों को बचाने के लिए प्रत्येक वृक्ष का एक देवता नियुक्त किया और जगह-जगह पर प्रमुख वृक्षों के नीचे देवताओं की स्थापना की।
ग्रंथों में भी वृक्ष का महत्व
गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं, ‘हे पार्थ वृक्षों में मैं पीपल हूं।’ मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः। अग्रतः शिव रूपाय अश्वत्त्थाय नमो नमः।।
अर्थात इसके मूल में ब्रह्म, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास होता है। इसी कारण ‘अश्वत्त्थ’ नामधारी वृक्ष " बरगद का पेड़, पीपल के पेड़" को नमन किया जाता है। दरअसल, वृक्ष हमारी धरती पर जीवन का प्रथम प्रारंभ हैं। जीवों ने या कहें आत्मा में सर्वप्रथम प्राणरूप में खुद को वृक्ष के रूप में ही अभिव्यक्त किया था। जब धरती पर स्वतंत्र जीव नहीं थे, तब वृक्ष ही जीव थे। यही जीवन का विस्तार करने वाले थे, जो आज भी हैं। इसके बाद जब चेतना परम पद को प्राप्त कर लेती है, तो वह वृक्षों जैसी ही स्थिर हो जाती है। अनंत ऐसी आत्माएं हैं जिन्होंने वृक्ष को अपना शरीर बनाया है। वृक्ष इस धरती पर ईश्वर के प्रथम प्रतिनिधि या दूत हैं। वेद शास्त्रों और पुराणों को पढ़ने पर इस बात का खुलासा होता है।
तहं पुनि संभु समुझिपन आसन। बैठे वटतर, करि कमलासन।। अर्थात कई सगुण साधकों, ऋषियों यहां तक कि देवताओं ने भी वटवृक्ष में भगवान विष्णु की उपस्थिति के दर्शन किए हैं।
वृक्ष धरती पर ऊर्जा का सकारात्मक वर्तुल (वृत्ताकार) बनाते हैं,
धरती पर जितने ज्यादा वृक्ष होंगे, वर्षा उतनी ज्यादा होगी
धरती के दो छोर हैं- एक उत्तरी ध्रुव और दूसरा दक्षिणी ध्रुव। वृक्ष इन दोनों ध्रुवों से कनेक्ट रहकर धरती और आकाश के बीच ऊर्जा का एक सकारात्मक वर्तुल बनाते हैं। वृक्ष का संबंध या जुड़ाव जितना धरती से होता है उससे ज्यादा कई गुना आकाश से होता है। वैज्ञानिक शोधों से यह बात सिद्ध हो चुकी है कि धरती के वृक्ष ऊंचे आसमान में स्थिैत बादलों को आकर्षित करते हैं। जिस क्षेत्र में जितने ज्यादा वृक्ष होंगे, वहां वर्षा उतनी ज्यादा होगी। धरती के वर्षा वनों के समाप्त होते जाने से धरती पर से वर्षा ऋतु का संतुलन भी बिगड़ने लगा है जिसके चलते कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ के नजारे देखने को मिलते हैं। इससे यह तो सिद्ध होता है कि वृक्षों का संबंध आकाश से है।
पेड़ लगाओ- जीवन बचाओ का संदेश
पेड़ों की महत्ता के बारे में हमें बचपन से बताया जाता रहा है। इसके बावजूद हम पेड़ों को काट रहे हैं। पेड़ लगाने के लिए हर व्यक्ति को सोचना होगा। तभी जाकर यह धरती बचेगी। वृक्ष जब तक हैं तभी तक हमारा जीवन भी है। तो हम अपने जीवन को बचाने का प्रयास क्यों नहीं करते, हम आनेवाली पीढ़ी को क्या देना चाहते हैं?
मनुष्य सहज जीवन का आदी हो गया है। पेड़ों से हमें मिलने वाली कई चीजें हमारे लिए एक आवश्यकता बन गई हैं, जिससे हम वनों की कटाई और आगामी खतरे के प्रति बधिर और अंधे हो गए हैं।
वृक्षों को काटते समय हमारी कई आवश्यक मांगों को पूरा करना आवश्यक हो गया है। इसके अलावा, अधिनियम को संतुलित करने के लिए हमें इसे अधिक से अधिक पेड़ लगाने की जिम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए। हम में से प्रत्येक को नियमित रूप से पेड़ लगाने चाहिए और उनकी देखभाल भी करनी चाहिए। प्रत्येक पड़ोस को नियमित वृक्षारोपण गतिविधि आयोजित करनी चाहिए।
पेड़ों को बचाने और उनके महत्व पर छात्रों को सबक दिया जाना चाहिए। स्कूल प्रबंधन को नियमित रूप से वृक्षारोपण गतिविधि का संचालन करना चाहिए और प्रत्येक छात्र को इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। हम अपने लिए और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर पर्यावरण बनाएंगे और अधिक पेड़ लगाएंगे। इसी तरह, पेड़ों को पानी देने और उनकी वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नियमित गतिविधियों को भी किया जाना चाहिए। यह उन्हें तेजी से खिलने में मदद करेगा।
गुरुआश्रम में कल्पवृक्ष पूजने की परम्परा
यदि आप किसी प्राचीन या ऊर्जा से भरपूर वृक्षों के झुंड के पास खड़े होकर कोई मन्नत मांगते हो तो यहां आकर्षण का नियम तेजी से काम करने लगता है। वृक्ष आपके संदेश को ब्रह्मांड तक फैलाने की क्षमता रखते हैं और एक दिन ऐसा होता है जबकि ब्रह्मांड में गया सपना हकीकत बनकर लौटता हैं।
वैज्ञानिक कहते हैं, मानव मस्तिष्क में 24 घंटे में लगभग 60 हजार विचार आते हैं। उनमें से ज्यादातर नकारात्मक होते हैं। नकारात्मक विचारों का पलड़ा भारी है तो फिर भविष्य भी वैसा ही होगा और यदि मिश्रित विचार हैं तो मिश्रित भविष्य होगा। जो भी विचार निरंतर आ रहा है वह धारणा का रूप धर लेता है। ब्रह्मांड में इस रूप की तस्वीर पहुंच जाती है फिर जब वह पुन: आपके पास लौटती है तो उस तस्वीर अनुसार आपके आसपास वैसे घटनाक्रम निर्मित हो जाते हैं अर्थात योगानुसार विचार ही वस्तु बन जाते हैं।
यदि आप निरंतर वृक्षों की सकारात्मक ऊर्जा के वर्तुल में रहते हैं तो आपके सोचे सपने सच होने लगते हैं इसीलिए वृक्षों को “कल्पवृक्ष” की संज्ञा दी गई है।
इसीलिए वृक्ष पूजा अपने नियमित दिनचर्या का हिस्सा जरूर रखिए। क्योंकि इस संसार को जीवंत रखने के लिए हमारे जीवन में वृक्षों का महत्व सबसे अधिक है।
पेड़ जीवन रक्षक हैं। हम अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन का आनंद तभी ले सकते हैं, जब हमारे आसपास प्रचुर मात्रा में पेड़ हों। हमें पेड़ों को काटने से बचना चाहिए और उनमें से अधिक से अधिक पौधे लगाना चाहिए। हमें अपने आसपास के लोगों को भी पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
पेड़ों के महत्व पर समय-समय पर जोर दिया गया है। यह समय है कि हमें यह महसूस करना चाहिए कि पेड़ों को काटने से हमारे अपने जीवन को खतरा है। पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए वनों की कटाई को रोका जाना चाहिए। पेड़ों की हानि को उनमें से कई और पौधों को लगाकर फिर से भरना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को पेड़ लगाने चाहिए और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में योगदान देना चाहिए।
इसलिए, हम देखते हैं कि पेड़ सकारात्मकता को प्रस्तुत करते हैं और लोगों की सामाजिक मदद करते हैं। हरे पेड़ों और पौधों के साथ सुंदर पार्क नए लोगों से मिलने के लिए एक जगह के रूप में काम करते हैं।
कई कारणों से धरती पर वृक्ष कम हो रहे हैं। इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ेगा। जलस्रोत सूख रहे हैं। गर्मी बढ़ रही है। भू-क्षरण हो रहा है। मौसम का मिजाज बदल रहा है। हमें समय रहते चेत जाना होगा। नहीं तो इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे।
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