प्रख्यात साहित्यकार घमंडी राम उर्फ़ रामदास आर्य के निधन पर श्रद्धांजलि सभा का किया गया आयोजन...!

बिहारशरीफ 24 जुलाई 2023 : स्थानीय बिहारशरीफ-छोटी पहाड़ी स्थित साहित्यसेवी रामसागर राम जी के आवास पर 23 जुलाई दिन रविवार देरशाम शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में हिन्दी, मगही एवं भोजपुरी के प्रख्यात साहित्यकार घमंडी राम उर्फ़ रामदास आर्य की असामयिक निधन पर शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। 
मौके पर शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि 

 घमंडी राम उर्फ रामदास आर्य जी का जन्म बेनी बिगहा, विक्रम, पटना में 19 जनवरी, 1946 को हुआ था। मगही मणि साहित्यकार घमंडी राम की मौत से साहित्य जगत से जुड़े लोग मर्माहत हैं। ये साहित्यकार के साथ-साथ उच्च कोटि के नाटककार एवं कवि थे। अपनी रचना से वे समाज को जागृत करते रहते थे। वर्तमान समय में उनकी रचनाओं को भुलाया नही जा सकता है। विभिन्न साहित्यिक मंचों से आजीवन इनका जुड़ाव रहा। इनके द्वारा दर्जनों पुस्तकों की रचना किया गया है। अचानक हृदयगति रूक जाने से घमंडी राम की मृत्यु हो गई। इन्होंने अब तक कुल 26 पुस्तकों की रचना की है और 13-14 प्रकाशनाधीन हैं, कई पुस्तकों और पत्रिकाओं का भी संपादन किया है। साहित्य की प्रायः सभी विद्याओं यथा कहानी, कविता, शब्दचित्र, एकांकी, लोकगीत, गीत, अभियानगीत, गजल, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, प्रबंधकाव्य, महाकाव्य, इत्यादि में इनकी रचनायें है।  
अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा है कि घमंडी राम जी ने करीब ढाई दर्जन पुस्तकों की रचना की थी। जिसमें हिन्दी, मगही और भोजपुरी विशेष रूप से शामिल थी। उन्होंने विभिन्न विधाओं में रचनाएं की थी। उनकी रचनाओं में गरीबों और मजलूमों की आवाज होती थी।  घमंडी राम लंबे काल तक जनवादी लेखक संघ से जुड़े रहे थे और काफी क्रियाशील थे। उनके निधन से वर्तमान साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। जिसकी भरपाई निकट समय में संभव नहीं है।
मौके पर समाजसेवी मुखिया सतीश कुमार उर्फ पिक्कु यादव ने कहा कि लगभग चार दशक से समकालीन हिंदी-मगही साहित्य का प्रतिनिधित्व करने वाले साहित्यकार घमंडी राम जी हिंदी, मगही, भोजपुरी के मानक संदर्भ थे। इनके आकस्मिक निधन से जो जगह खाली हुई है उसे भर पाना संभव नही हैं।
नालंदा के नामचीन छंदकार व साहित्यकार सुभाषचंद्र पासवान ने कहा कि हमें गर्व है, घमंडी राम जी हमारे मगधांचल के रहने वाले थे। मगही भाषा उनके रग-रग में समाहित था। उनका लेखकीय अवदान हिंदी, मगही एवं भोजपुरी साहित्य में हमेशा आदर के साथ लिया जाएगा।
 
साहित्यकार एवं गीतकार मुनेश्वर शमन ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि देश में जब भी मगही-हिंदी भोजपुरी साहित्य की बात होगी, साहित्यकार घमंडी राम का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण ने मंच संचालन करते हुए कहा कि घमंडी राम जी की कई लिखी किताबें विभिन्न विश्वविद्यालयों के मगही भाषा एवं साहित्य विषय के पाठ्यक्रम में शामिल है। नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एम0 ए0)में एकलव्य (प्रबंध काव्य), कजरिया(कहानी-संग्रह) तथा मगध विश्वविद्यालय(बी0 ए0) में खोंइचा के चाउर (निबंध-संग्रह), माटी के सिंगार (शब्द-चित्र) और माटी के मर्म (शब्द-चित्र) शामिल है। इन्हें साहित्य साधना के लिये ग्रियर्सन पुरस्कार, लोकभाषा साहित्यकार पुरस्कार एवं कृष्णमोहन स्मृति सम्मान सहित कई पुरस्कारो से सम्मानित किया गया है।
साहित्यकार व शायर बेनाम गिलानी ने कहा कि रामदास आर्य उर्फ़ घमंडी राम जी की कई पुस्तकें प्रकाशित हुई है,जो समाज का आईना है। वह घमंडी कवि जी के उपनाम से जाने जाते थे। उनका निधन साहित्य के क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। वे कविता और साहित्य के माध्यम से समाज को संदेश देने का काम करते थे।
इस अवसर पर शंखनाद के कोषाध्यक्ष सरदार वीर सिंह, साहित्यकार मिथिलेश प्रसाद, साहित्यसेवी रामसागर राम, विजय कुमार पासवान, शायर अमन कुमार, सुरेन्द्र कुमार, पुनीत हरे आदि ने उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित किया और अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की। श्रद्धांजलि सभा में दो मिनट का मौन रखकर साहित्यकारों एवं कवियों ने प्रख्यात साहित्यकार घमंडी राम उर्फ़ रामदास आर्य की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ककड़िया विद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा के बलिदान को किया याद...!!

61 वर्षीय दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का निधन, मानववाद की पैरोकार थी ...!!

ककड़िया मध्य विद्यालय की ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन...!!