भारत रत्न राजीव गांधी की 79 वीं जयंती पर विशेष

 लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न राजीव गाँधी जी के जन्म दिवस को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के सभी धर्मों के बीच सामुदायिक समरसता, राष्ट्रीय एकता, शांति, प्यार और लगाव को लोगों में बढ़ावा देने के लिए यह दिवस हर साल ’20 अगस्त’ को मनाया जाता है। शांति के अग्रदूत और भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना देखने वाले श्री राजीव गाँधी जी के अतुलनीय शांति प्रयासो के लिए ही उन्हें याद किया जाता है। इसे ‘समरसता दिवस’ तथा ‘राजीव गाँधी अक्षय ऊर्जा दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है। सद्भावना का मतलब है एक दूसरे के प्रति अच्छी भावना रखना।  

 राजीव गांधी का जन्म शिक्षा-दीक्षा और पारिवारिक जीवन 

राजीव गांधी एक आधुनिक सोच वाले और ऊर्जावान व्यक्ति थे, प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने 21 वीं सदी के भारत का सपना देखा और इसी तर्ज पर भारत को एक तकनीकी समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य किया। राजीव गांधी किसी पहचान के मोहताज नहीं लेकिन आपको बता दें कि राजीव गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बेटे तथा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाती थे। राजीव गांधी का जन्म इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े बेटे के रूप में 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून के मशहूर दून स्कूल में हुई थी। राजीव जी ने आगे की पढ़ाई 1965 में ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के इम्पीरियल कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी। भारत लौटने के बाद राजीव गांधी ने कमर्शियल पायलेट का लाइसेंस हासिल किया। 1968 में इंडियन एयरलाइंस के लिए पायलट के तौर पर काम करने लगे। लंदन में ही राजीव की इटली निवासी सोनिया से मुलाकात हुई। और 1968 में सोनिया गांधी से शादी करने के दो साल बाद उन्होंने एयर इंडिया में बतौर पायलट नौकरी कर ली। इसी साल राहुल गांधी और उसके दो साल बाद प्रियंका गांधी का जन्म हुआ।

राजीव गांधी का राजनीति में प्रवेश 
 
राजीव गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी और वो एक एयरलाइन पाइलट की नौकरी करते थे। परन्तु 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता श्रीमती इन्दिरा गांधी जी को सहयोग देने के लिए सन् 1981 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश लिया। 
31 अक्टूबर 1984 को अचानक भारतीय राजनीति में उथल-पुथल मच गई, एक ऐसा संकट भारत पर आया जिसकी आशंका भी न थी। इस दिन इंदिरा गांधी के आवास पर ही उनके बॉडीगार्ड्स ने ही उनकी हत्या कर दी जिसके 24 घंटे के भीतर राजीव गांधी को देश के प्रधानमंत्री का कार्यभार सौंपा गया। पद संभालने के बाद संसद भंग कर दोबारा चुनाव कराए गए जिसमें राजीव गांधी की पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की और 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी 40 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। वो अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने थे। दिसंबर 1984 में लोक सभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया। लेकिन 1989 के आखिर में हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गयी।

सूचना क्रांति के जनक और पड़ोसी देश से तालमेल बनाने वाले राजीव

राजीव गांधी ने अल्पकाल में देश को आधुनिक व युवा गति प्रदान की। उनकी सोच थी कि भारत व भारत के नौजवान विश्व में अपना नाम ऊंचा करें। राजीव जी ने मतदाता की उम्र 21 वर्ष से कम कर 18 वर्ष करके नौजवानों को मताधिकार देना पंचायती राज व्यवस्था लागू करना, सूचना व कम्प्यूटर के क्षेत्र में प्रगति स्व. गांधी की ही सोच थी। वे भारत में सूचना क्रांति के जनक माने जाते हैं, देश में कंप्यूटराइजेशन और टेलीकम्युनिकेशन क्रांति का श्रेय उन्हीं को जाता है। राजीव गांधी का मानना था कि देश की युवा पीढ़ी को आगे ले जाना है तो उसके लिए कंप्यूटर और विज्ञान की शिक्षा जरूरी है, इसके लिए उन्होंने देश में डिजिटाइजेशन और कंप्यूटराइजेशन पर विशेष ध्यान दिया। कंप्यूटर तकनीक को भारत में बढ़ावा देने में उनका योगदान अमूल्य था। कंप्यूटर की कीमतें घटाने के लिए अहम फैसला लेकर उन्होंने इसे सरकारी नियंत्रण से अलग किया और असेंबल कंप्यूटर्स का आयात शुरू किया। भारत के विकास के लिए राजीव गांधी जी का योगदान अभूतपूर्व था, उन्होंने देश में कई योजनाएं लाई। महिलाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्होंने 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की। रेल यातायात को कम्प्यूटर से जोड़कर आरामदाह बनाया। लाखों कुए खुदवाए, कमजोर वर्गों के लिए मकान बनवाए और नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की योजना भी बनाई, इसके अलावा और भी कई महत्वपूर्ण समझौते राजीव गांधी के कार्यकाल में हुए जिनमें पंजाब समझौता, मिजोरम समझौता, त्रिपुरा समझौता, के अलावा मणिपुर दार्जिलिंग, नागालैंड में शांति बहाली जैसे कार्यों से लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की। बाल श्रमिक योजना बनाकर उन्होंने बच्चों को शोषण उत्पीड़न से मुक्त कराया। आज हर हाथ को काम, हर हाथ में मोबाइल उन्हीं की सोच का परिणाम है। सर्व धर्म समभाव की भावना राजीव जी के मन, वचन कर्म में रची बसी थी। राजीव जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत समन्वय था।

राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की

राजीव गांधी एक आधुनिक सोच वाले और ऊर्जावान व्यक्ति थे, प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने 21 वीं सदी के भारत का सपना देखा और इसी तर्ज पर भारत को एक तकनीकी समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में कार्य किया। अपने कार्यकाल की शुरूआत में ही उन्होंने माइक्रो कंप्यूटर्स पॉलिसी की नींव रखी। इसके तहत प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को 32 बिट कंप्यूटर्स बनाने का अधिकार मिला। देश में एमटीएनएल, बीएसएनएल, और पीसीओ की शुरुआत हुई। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की शुरूआत की ताकि ग्रामीण विद्यार्थी अच्छी शिक्षा से वंचित न रहें, इसके साथ ही गांवो में पंचायती राज का फैसला भी उन्होंने लिया। किसी भी कार्य को करने और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता थी राजीव गांधी में।

राजीव जी ने किसानों को देश की रीढ़ बताया 

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी का देश के लिए योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। देश को संभालने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर उस समय आ पड़ी थी जिस समय वह इसके लिए तैयार भी नहीं थे बावजूद इसके उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी संभाला। राजीव गांधी भारत को दुनिया के बीच एक आत्मनिर्भर और विकसित देश के रूप में देखना चाहते थे,  जिसके लिए उनके प्रयासों से ही भारत को विकास की  गति मिली।
राजीव गांधी जी का मानना था कि किसान हमारे देश की रीढ़ हैं। खेती-किसानी की तरक्की के बिना देश की तरक्की संभव नहीं है। राजीव जी ने अपने प्रधानमंत्री काल में कृषि में ज्यादा पूंजीनिवेश का प्रावधान किया। कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए जल संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया। राजीव जी ने हरितक्रांति की समीक्षा की और यह पाया कि हरितक्रांति से गेहूं का उत्पादन तो काफी बढ़ा है, परंतु तिलहन और दलहन के क्षेत्र में अधिक सुधार की जरूरत है। उन्होंने तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए तिलहन टेक्नोलॉजी मिशन बनाया। दलहन के लिए राष्ट्रीय परियोजना शुरू की।

राजीव गांधी गरीबों के हमदर्द

राजीव जी के मन में गरीबों के प्रति सच्ची हमदर्दी थी। वे एक ऐसे समाज की स्थापना के लिए आतुर थे जिसमें सब बराबरी के साथ अपनी जिन्दगी जिएं और स्वाभिमान के साथ अपना गुजर-बसर कर सकें। सबकी सुनना और सबको साथ लेकर चलना राजीव जी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता थी। वे आमजन की समस्याओं को बड़े ध्यान से देखते थे और फिर सही दिशा-निर्देश देकर उसको सुलझाने का काम करते थे, यही उनकी कार्यशैली थी।

राजीव गांधी सांप्रदायिकता के खिलाफ और शांति के अग्रदूत

सांप्रदायिकता के खिलाफ राजीव जी की दृष्टि और दिशा दोनों बहुत स्पष्ट थी। राजीव जी ने लगातार फिरका-परस्त ताकतों, घृणा, आतंकवाद, अशिक्षा एवं गरीबी के खिलाफ संघर्ष किया। धर्म निरपेक्षता के पक्षधर राजीव गांधी अहिंसा, सौहार्द और शांति के अग्रदूत थे। राजीव गांधी कौमी एकता और सद्भाव को देश की सांस्कृतिक अस्मिता और गौरवशाली विरासत की धुरी मानते थे। वे जाति, धर्म और सम्प्रदाय के संकीर्ण दायरे से देश को उबारना चाहते थे। राजीव जी ने कभी भी बदले या द्वेष की भावना की राजनीति नहीं की। द्वेष शब्द तो उनकी डिक्शनरी में था ही नहीं।

राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण के पक्षधर  


राजीव गांधी पर्यावरण, प्रदूषण तथा मानव सभ्यता पर इसके घातक प्रभाव की समस्या से चिंतित थे। उन्होंने वन एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए। राजीव जी का मानना था कि पर्यावरण संरक्षण और विकास की अवधारणा में संतुलन आवश्यक रूप से होना चाहिए। उन्होंने केन्द्रीय गंगा विकास प्राधिकरण की स्थापना कर गंगा नदी की सफाई का अभियान शुरू किया। 

राजीव गांधी दल-बदल कानून के विरोधी  

राजीवजी ने दल-बदल कानून लाकर राजनीति में फैली “आया राम, गया राम“ की विकृति पर अंकुश लगाने की पहल की, एवं राजनीति में शुचिता को विशेष महत्व दिया। राजीव गांधी ने समय की चुनौतियों को समझने एवं उसके मुताबिक देश को आगे ले जाने का साहसिक प्रयास किया। राजीव जी को नौजवानों की क्षमता और विवेक पर पूरा भरोसा था। उन्होंने नौजवानों को 18 वर्ष की उम्र में मताधिकार दिलाकर उनकी लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित की। 

राजीव गांधी का असमय निधन

राजीव गांधी का असमय चले जाना भारत की प्रगति के लिए कितना गहरा धक्का है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। कह सकते हैं कि इससे भारत 10-20 साल पीछे रह गया। राजीव वैज्ञानिक मिजाज, तार्किक सोच, आधुनिक विचार वाले व्यक्ति थे। वह वैश्विक दृष्टि वाले ऐसे इंसान थे जिसमें देश और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान था। गरीबों और ग्रामीण भारत के लिए चिंता थी। 1991 में हो रहे लोक सभा चुनाव के प्रचार के लिए राजीव गांधी तमिलनाडु के दौरे पर थे। 21 मई 1991 का दिन था जिसने देश को हिलाकर रख दिया, इस दिन राजीव गांधी आम चुनाव के अंतिम चरण में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनाव प्रचार को गए थे जब श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज श्रीलंका के एक अलगाववादी समूह लिट्टे के हमलावर धनु ने विस्फोटक भरी माला पहनाकर राजीव गांधी जी की जान ले ली।" राजीव जी ने इक्कीसवीं सदी की उन्नत अपेक्षाओं के अनुरूप भारत को गढ़ने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। राजीव जी का भारत को आधुनिक, खुशहाल और सशक्त राष्ट्र बनाने में विशेष योगदान रहा। भारत रत्न राजीव गांधी ऐसी विभूतियों में से एक हैं जिनका स्मरण हमें सदैव आलोकित करता रहेगा।

महात्मा गांधी के रामराज्य की भावना और दूरदर्शन पर रामायण

महात्मा गांधी के रामराज्य की भावना का प्रभाव राजीव पर था और उन्हीं की कोशिशों के कारण वर्ष 1985 में दूरदर्शन ने रामानंद सागर के रामायण का प्रसारण शुरू किया था। 1986 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को राम जन्मभूमि स्थल के ताले खोलना पड़े थे। नवंबर 1989 में राम मंदिर के शिलान्यास की अनुमति दी गई थी और तत्कालीन गृहमंत्री बूटा सिंह को शिलान्यास में शामिल होने के लिए भेजा गया था। चेन्नई में राजीव गांधी ने अपनी आखिरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राम मंदिर अयोध्या में ही बनेगा।

राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार की शुरुआत

राजीव गांधी की मृत्यु के एक साल बाद 1992 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। इसके जरिए 10 लाख रुपए का नकद पुरस्कार और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से सद्भावना बढ़ाने और शांति स्थापित की है। इसके अलावा सद्भावना दिवस पर देशभर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

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