बिहारशरीफ के सुंदर गढ़ में पेरियार की 144 वीं जयंती मनाई गई...!
बिहारशरीफ, 17 सितम्बर 2023 : 17 सितम्बर की देरशाम को बिहारशरीफ के प्रोफेसर कॉलोनी सुंदर गढ़ में अखिल भारतीय अनुसूचित जाति/जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग कर्मचारी परिषद, बिहार के तत्वावधान में पेरियार इरोड बेंकट नायकर रामासामी की 144 वीं जयंती समारोह परिषद के राज्य उपाध्यक्ष रणजीत कुमार की अध्यक्षता में मनाई गई। समारोह में सर्वप्रथम परियार के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गयी।
मौके पर अध्यक्षीय भाषण में परिषद के उपाध्यक्ष रणजीत कुमार ने कहा कि पेरियार का जन्म 17 सितम्बर, 1879 को पश्चिमी तमिलनाडु के इरोड में एक सम्पन्न, परम्परावादी हिन्दू परिवार में हुआ था। परियार साहब का कहना था कि प्रत्येक मनुष्य अपने आप में महान होता है। मनुष्य से बड़ा कुछ भी नहीं है। आज भारत ही नहीं संपूर्ण एशिया में बहुजनों के नायक माने जाते हैं।
बामसेफ नालन्दा के उपाध्यक्ष राजेश कुमार रमण ने अपने संबोधन में कहा कि पेरियार साहेब वैज्ञानिक दृष्टिकोण के व्यक्ति थे और तर्कशील थे। 20 वीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता व गरीबों तथा अभिवंचितों के मसीहा थे। और बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर के समकालीन थे। अपने सिद्धांतो से समाज में फैली बुराइयों का नाश किया।
मौके पर शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि पेरियार जी पुरे एशिया के सुकरात थे। उन्हें राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती व विनोबा भावे सरीखे समाज सुधारकों की पंक्ति में रखा जाता है। उनका दक्षिण भारत के सामाजिक व राजनीतिक परिदृश्य पर असर इतना गहरा है कि कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोलन विचारधारा वाले सभी उनका सम्मान करते हैं। 1919 में उन्होंने अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत कट्टर गांधीवादी और कांग्रेसी के रूप में की थी। वे गांधी की नीतियों जैसे शराब विरोधी, खादी व छुआछूत मिटाने की ओर आकर्षित हुए थे। वर्तमान समय में वैज्ञानिक विचारों को अपनाने से ही हम अपने देश और समाज को प्रगति के रास्ते पर ला सकते हैं। पेरियार ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में व्याप्त आडंबरों को तर्क की कसौटी पर कसा तथा वंचित वर्ग को तार्किक होने के लिए प्रेरित किया।
मौके पर अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ नालन्दा के उपाध्यक्ष भोला पासवान ने कहा- आज बहुजन नायक पेरियार रामास्वामी जी का जन्मदिन है। उन्होंने दक्षिणी भारत में बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के आंदोलन को उनके साथ कंधे से कन्धा मिलकर लड़ा और दक्षिणी भारत में बहुजनों को जगाया था। पेरियार पाखंड और अंधवश्विासों का हमेशा घोर विरोध किया करते थे। वे जाति के आधार पर श्रेष्ठता को नकार दिए थे।
इस दौरान हेमंत कुमार, शिवबालक पासवान,बरखा रानी, इन्दु देवी, गायत्री देवी, पूजा रानी, आशीष रंजन, कुसुम देवी, गौरव कुमार, शाहिल कुमार, दीपक कुमार, वीरेंद्र कुमार सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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