मोगलकुआँ के शाही संगत में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब जी का 419 वां प्रकाश पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया ...!!
बिहारशरीफ : 16 सितम्बर 2023 ( भाद्रपद अमावस्या, विक्रम संवत् 2080) को देरशाम श्री गुरुनानक देव जी शाही संगत मोगलकुआँ बिहारशरीफ में सिखों के जीवंत गुरु श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के प्रकाश का 419 वां दिवस बड़े ही श्रद्धा के साथ भाई रवि सिंह ग्रंथी जी के देख-रेख में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश द्वारा किया गया। इसके उपरांत पंच बाणी, सुखमनी साहिब का पाठ तथा विशेष दीवान में शबद कीर्तन शाही संगत के भाई रवि सिंह ग्रंथी व साथियों ने सुमधुर शबद कीर्तन अमृत वाणी हर-हर तेरी,सुन-सुन होवै परम् गत मेरी...।आवहु सिख सतगुरु के पियारिहो गावहु सची बाणी”... का शबद कीर्तन गायन किया गया। इसके वाद गुरु साहब की आरती व फूल वर्षा की गई।
मौके पर शाही संगत के भाई रवि सिंह ग्रंथी ने लोगों के बीच अपने उद्गार में कहा कि सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव जी ने 1604 में आज ही के दिन दरबार साहिब में पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया था। 1430 अंग (पन्ने) वाले इस ग्रंथ के पहले प्रकाश पर संगत ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा जी ने बाणी पढ़ने की शुरुआत की। पहली पातशाही से छठी पातशाही तक अपना जीवन सिख धर्म की सेवा को समर्पित करने वाले बाबा बुड्ढा जी इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी बने। आगे चलकर इसी के संबंध में दशम गुरु गोबिंद सिंह ने हुक्म जारी किया। 1603 में 5वें गुरु अर्जन देव ने भाई गुरदास से गुरु ग्रंथ साहिब को लिखवाना शुरू करवाया, जो 1604 में संपन्न हुआ। नाम दिया ‘आदि ग्रंथ’। 1705 में गुरु गोबिंद सिंह ने दमदमा साहिब में गुरु तेग बहादुर के 116 शबद जोड़कर इन्हें पूर्ण किया। जागती जोत श्री गुरु ग्रंथ साहेब जी 1708 ई. को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने तख्त श्री हजूर साहेब नादेड में गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरुता गद्दी देकर सिखों का ग्यारहवें गुरु के रूप में दर्जा दिया गया था।
मौके पर शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि श्रीगुरू ग्रन्थ साहिब 6 गुरूओं, 15 ऋषियों, 11 भाटो की वाणी है, जिसमें संत कबीर, शेख फरीद, नाम देव, संत रविदास, सूरदास और रामानन्दी जैसे महान ऋषियों की वाणी है। गुरु वाणी भेद-भाव, उंच-नीच और आपसी नफरत को मिटाकर आपस में मिल-जुल कर रहने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब में सिर्फ सिख गुरुओं के उपदेश नहीं हैं, बल्कि 30 दूसरे हिन्दू, मुस्लिम विचारकों की बातें भी हैं। इसका संपादन साल 1604 में सिख धर्म के पांचवे गुरु अर्जुन देव ने किया था। इसमें कुल 1430 पन्ने हैं, जो इंसानियत और परोपकार की शिक्षा देते हैं।
भाई सरदार वीर सिंह के द्वारा गुरू साहब की वाणी का गुणगान किया गया। तथा कीर्तन करके संगत को कीर्तन रस से निहाल किया। उन्होंने बताया कि सिखों में जीवंत गुरु के रूप में मान्य श्री गुरु ग्रंथ साहिब केवल सिख कौम ही नहीं बल्कि समूची मानवता के लिए आदर्श व पथ प्रदर्शक हैं। दुनिया में यह इकलौते ऐसे पावन ग्रंथ हैं जो तमाम तरह के भेदभाव से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव, भाईचारे, मानवता व समरसता का संदेश देते हैं। आज के माहौल में अगर इनकी बाणियों में छिपे संदेश, उद्देश्य व आदेश को माना जाए तो समूची धरती स्वर्ग बन जाए। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज बाणी की विशेषता है कि इसमें समूची मानवता को एक लड़ी में पिरोने का संदेश दिया गया है। गुरबाणी के इस अनमोल खजाने का संपादन गुरु अर्जन देव ने करवाया।
साहित्यिक मंडली शंखनाद के मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर व गजलकार नवनीत कृष्ण, शिक्षाविद रणजीत कुमार, जसप्रीत कौर, एकामनी कौर, रिंकू कौर ने ‘सुन सुन जीवा तेरी बाणी..., ‘संता के कारज..., ‘भगता की टेक तू..., ‘सच्चा सिरजनहारा..., दिले में ना जाने सतगुरु क्या रंग भर दिया है, छोड़ेंगे अब ना दर तेरा इकरार कर लिया है...,
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत...,गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है..., शबद गायन से संगत को निहाल किया।
इस पावन अवसर पर भाई युवराज सिंह के द्वारा गुरूबाणी का पाठ करने के बाद सामूहिक अरदास की गई, एवं उपस्थित लोगों के बीच खीर और कड़ा प्रसाद का वितरण किया गया।
इस दौरान समाजसेवी धीरज कुमार, शोधार्थी आकाश कुमार,भाई दीप सिंह, सतनाम सिंह, पुरुषोत्तम पाण्डेय, बिक्की कुमार, रघुवंश सिंह, महेंद्र सिंह सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहकर इंसानियत और परोपकार की शिक्षा ली एवं गुरूबाणी के अनमोल संदेशों का आत्मसात किया।
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