नागरिकों की सुरक्षा करना टी.पी.सिंह अपना परम कर्त्तव्य समझते थे ..!!

लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली

जैसे देश के सीमा पर फ़ौज तैनात रहती है और हमे आंतकवादियों, दहसतगर्दो से बचाती है। उसी प्रकार पुलिस हमारे समाज में अहम भूमिका निभाती है। देश के अंदर की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की देख-रेख, पुलिस करती है। समाज में किसी भी प्रकार के अपराध को रोकना पुलिस का कर्त्तव्य है। लोग कभी भी अपनी सुरक्षा या किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या के खिलाफ शिकायत  पुलिस से कर सकती है। आम जनता पुलिस से अपने बचाव के लिए मदद मांग सकती है और रिपोर्ट दर्ज करवा सकती है। नागरिकों की सुरक्षा करना पुलिस का परम कर्त्तव्य है।
लोग कानून का गंभीरता से पालन करते है, इसका श्रेय पुलिस को जाता है। पुलिस के बैगर देश और राज्य के प्रशासन की सुरक्षा की कल्पना तक नहीं की जा सकती है। समाज में लोग अच्छी तरह से कानून व्यवस्था और अनुसाशन का पालन करे, पुलिस इसकी निगरानी हमेशा करती है। देश में कोई भी व्यक्ति किसी के साथ गलत हरकत कर रहा है, या फिर कोई भी राह चलता बदमाश किसी को तंग-तबाह करता है तो, ऐसे में पुलिस अपने डंडे की भाषा से अपराधियों को चुप करवाती है और दंड देती है।
पुलिस की वर्दी बहुत शक्तिशाली होती है। पुलिस कड़ी ट्रैनिंग से गुजरते है। वह गुनाहगारो को पकड़कर अदालत में पेश करते है। समाज में पुलिस को कानून का रखवाला कहा जाता है। पुलिस के भय से मुजरिम भागते है। अगर पुलिस ना होती तो समाज में अपराध और अधिक तेज़ी से बढ़ जाते। पुलिस का कर्त्तव्य व दायित्व चौब्बिसो घंटे रहता है। समाज में चोरी, डैकती, हत्या, दंगे जैसे अपराध को काबू में लाना पुलिस का काम होता है।
ऐसे ही नालंदा की धरती पर 1965 से 1984 तक पुलिस जमादार के रूप में टी.पी.सिंह की गाथा से पुलिस प्रशासन नतमस्तक है। नालंदा से प्यार रखने वाले एक ऐसे ही शेर मर्द थे टी.पी.सिंह। जिन्होंने अपनी हिम्मत की कलम से इतिहास के कलेजे पर एक ऐसी इबारत लिखी जिसकी चमक आज भी पुलिस प्रशासन में बरकरार है। 
पुलिस जमादार टी.पी.सिंह की निर्भीकता और इमानदारी की गाथा से नालंदा की नई पीढ़ी भले ही अनभिज्ञ हो, लेकिन नालंदा के अन्यतम वीर टी.पी.सिंह को गरीब और लाचार भला कैसे भूल जाएगा? जमादार की हिम्मत की स्याही से नालंदा की धरती पर लिखी गयी थी।
इंसान जीते जी देश के लिए ऐसा कार्य करता है की वह मरने के बाद भी अमर हो जाता है। लोग उन्हें वर्षों तक याद रखते हैं।
नालंदा की धरती पर पुलिस जमादार टी.पी.सिंह ने अपनी इमानदारी व ड्यूटी के प्रति वफादारी दिखाकर कई मिसाल पेश किया।
पुलिस जमादार टी.पी.सिंह का पूरा नाम तनिक प्रसाद सिंह था। इनके नाम से ही क्षेत्र के नामी-गिरामी रंगदारों की हैकङी़ निकल जाती थीं। इन्होंने अपने समय में आतंक मचाने वाले कई रंगदारों को जेल की हवा खिलाई।
 तनिक प्रसाद सिंह उर्फ टी.पी. सिंह 1965 में तत्कालीन पटना जिले के नगरनौसा थाना से पुलिस सेवा में योगदान दिया। उस समय थाना क्षेत्र में डकैतों नें आंतक मचा रखा था। अपनी ईमानदारी और बहादुरी की बदौलत उन्होंने एक डकैत को पकड़ा, उस डकैत ने उन पर भाला चला दिया था, बावजूद उसे पकड़कर टी.पी.सिंह नें हवालात में डाल दिया।
बिहार थाना में जमादार के पद पर पदस्थापित थे, तो इन्होंने कानून व्यवस्था को सुधारने का कार्य किया, जिसमें वह सफल भी रहे हैं। उन्होंने शहर में आतंक मचा रखा रामनरेश सिंह को एसपी के आदेश पर अपने अधीनस्थ सीनियर के साथ मिलकर गिरफ्तार किया। टी.पी.सिंह ने राम नरेश सिंह को अपराध की दुनिया से निकालकर मुख्यधारा में लाने का कार्य किया।
बिहारशरीफ में अपने ड्यूटी के दौरान इन्होंने एक नेक काम किया, जिसकी चर्चा आज भी नालंदा के लोगों की जुबान से सुनने को मिल जाती है। बताया जाता है कि अगर कोई शराब के नशे में धूत पकडा़ जाता था तो उसे टी.पी.सिंह, उसके पास जितना भी पैसा होता था, उस पैसे का किराना का सामान खरीदवा कर, रिक्शा का भाड़ा देकर, उसके घर तक भिजवा देते थे। इसके पीछे उनकी मंशा थी कि वेतन में मिला पैसा शराबी शराब पर उड़ा देगा, इसीलिए कम से कम किराना का सामान रहेगा तो उसके परिवार वाले को खाना खुराक में दिक्कत ना होगा।
लोगों में इतना खौफ था कि बगल में रुल दबाकर, साइकिल पर चलने वाले टी.पी.सिंह को देखते ही सड़क पर जैसे-तैसे वाहन खड़ा करने वाले लोग अपने लेन में ही चलने लगते थे।
इनके बारे में सबसे चर्चित किस्सा फुलवारी शरीफ में तैनाती के दौरान देखने को मिली थी। बताया जाता है कि इन्होंने एक चोरी के आरोप में एक व्यक्ति को पकड़ा था तथा उसके निशानदेही पर तत्कालीन एसपी के रिश्तेदार के यहां समान मिला। उन्होंने तुरंत एसपी के रिश्तेदार को पकड़कर हाजत में बंद कर दिया। जैसे ही एसपी को इस बात की भनक मिली तो वे फुलवारी शरीफ थाना पहुंचे तथा दरोगा को आदेश दिया कि टी.पी.सिंह को अंदर करो। इस पर टी.पी.सिंह नें एसपी पर हाथ चला दिया, जिससे एसपी का सर फट गया इस आरोप में निलंबित हो गए।
बताया जाता है कि टी.पी.सिंह का तबादला हिलसा थाना में हुआ। उन दिनों इस थाना क्षेत्र में मवेशी चोरी की घटनाएं बहुत घट रही थी। बताया जाता है कि मवेशी चोर, चोरी कर करायपरसुराय में जानवरों को ले जाकर तहखाना में रखते थे तथा जानवरों को पनहा लेकर छोङ़ते थे। इन्होंने पूरी तरह इन धंधेबाजों पर नकेल कसा, जिससे जानवरों की चोरी की घटनाएं बंद हो गई।
टी.पी.सिंह नालंदा जिले के कई थानों में रहे, जहां भी वें रहे उन्होंने कानून व्यवस्था को सुधारने का हर संभव प्रयास किया।
बताया जाता है कि कटौना में एक रंगदार लखन सिंह था। उसके बारे में चर्चा था कि ङोली पर जा रहे हैं नव बहुओं को उतरवा लेता था, जिसके भय से लोग उधर नहीं जाते थे। टी.पी.सिंह ने उस रंगदार लखन सिंह को जेल भिजवाया तथा इसके आंतक से लोगों को छुटकारा दिलाया।
टी.पी.सिंह मूलनिवासी वारसलीगंज थाना क्षेत्र के कोच गांव के थे। परंतु इनका कार्य क्षेत्र नालंदा (तत्कालीन पटना जिला) रहा। वे 1984 में बिहार थाना से सेवानिवृत्त हुए।
अपनी इमानदारी के कारण तथा किसी का गलत पैरवी नहीं सुनने के कारण इन्हें बार-बार मुअत्तल होना पङ़ता था, जिसका असर इनके परिवार पर देखने को मिलता था।
टी.पी.सिंह के बड़े पुत्र डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि घर पर 20 -22 दिन ही खाना खाने को मिलता था। बाकी दिन हम लोगों को जैसे तैसे खाकर रहना पड़ता था। वे बताते हैं कि खुद तथा परिवार के लोगों ने कितना भी कष्ट झेल रहा है, परंतु वें हमेशा अपनी इमानदारी व उसूल पर चलते रहे।
इस जाबांज पुलिस जमादार टी.पी.सिंह ने अपनी अंतिम सांस 15 जनवरी 1991 में ली। वे अब इस दुनिया में नहीं है परंतु, अपने किए हुए कार्यों के कारण हमेशा याद किए जाएंगे।

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