दीपावाली में एक दीप ऐसा भी जलाएं
लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली
आज दीपावाली है, प्रकाश पर्व। प्रकाश की अनुपस्थिति ही अंधकार का अस्तित्व है। अपने घरों को सजाएं। मिठाइयां बांटे। अपने-अपने विधि विधान से पूजा अर्जना करें।
हम अपने भीतर राग दुद्वेष, ईप्या, लोभ, क्रोध जैसे अनेकों बुराइयों का अंधकार भर लेते हैं। एक दीपक ऐसा भी जलाएं जो हमारे भीतर के इस अंधकार को मिटाएं।
संकल्प लें कि हर दिन कम से कम एक अच्छा काम जरूर करेंगे। रात को सोने से पहले एक बार यह विश्लेषण जरुर करें कि आज कुछ गलत तो नहीं हो गया। सुबह उठते ही एक और दिन देने के लिए भगवान का शुक्रिया करें और कहें कि "सब अच्छे है।"
आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि हो। जीवन फिर से सामान्य हो। इसी कामना के साथ आप सभी मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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