साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना में बलिदानी सप्ताह पर वीर बाल दिवस मनाया गया ....!!
सोहसराय-बबुरबन्ना, 26 दिसम्बर 2023 : सोहसराय क्षेत्र के साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना मोहल्ले स्थित बिहारी सभागार में 25 दिसम्बर 2023 की देरशाम में शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार प्रोफेसर (डॉ.) लक्ष्मीकांत सिंह की अध्यक्षता में बलिदानी सप्ताह के मौके पर वीर बाल दिवस मनाया गया। जिसका संचालन शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने किया।
कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ गुरु गोबिंद सिंह महाराज के चार साहिबजादों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया।
मौके पर कार्यक्रम का संचालन करते हुए शंखनाद के महासचिव साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने चारों साहिबजादों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि सिख और सत्य-सनातन मानव धर्म की रक्षा के लिए कुर्बानी देने वाले चार साहिबजादों की याद में प्रत्येक वर्ष 21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर तक बतौर बलिदानी सप्ताह के रूप में देश भर में "वीर बाल दिवस" मनाया जाता है। बलिदानियों में साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे। उन्होंने अपनी शहादत दे दी, लेकिन अपनी धार्मिक आजादी पर आंच नहीं आने दी। उन्होंने कहा- मानवता की रक्षा के लिए जीवन का बलिदान करने का ऐसा उदाहरण दुनिया में बिरले मिलता है। गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने अपना पूरा परिवार सत्य व मानव धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया, लेकिन हार नहीं मानी। ऐसे महान बलिदानियों के जीवन से युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
मौके पर शंखनाद के कोषाध्यक्ष सरदार वीर सिंह ने कहा कि मुगल शासनकाल के दौरान पंजाब में सिखों के धर्म गुरु गुरुगोबिंद सिंह के चार बेटे थे,उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता है। वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। धार्मिक उन्माद और उत्पीड़न से असहाय आम लोगों एवं सिख समुदाय की रक्षा करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी। तीन पत्नियों से गुरु गोबिंद सिंह के चार पुत्र थे, ये पुत्र अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, सभी खालसा का हिस्सा थे। उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया था।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष इतिहासज्ञ प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की शहादत जुल्मी शासन के खिलाफ मानवीय संघर्ष के इतिहास का ऐसा सुनहरा पन्ना है, जिसका उदाहरण बिरला ही मिलता है। मानवता की रक्षा और स्थापना के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इस कारण उन्हें सरबंस दानी भी कहा गया। उनके चारों बेटों की याद में सिख बलिदानी सप्ताह यानी शहीदी दिहाड़ा मनाते हैं। पंजाब में 25 से 28 दिसम्बर तक हर साल जोर मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें न केवल पंजाब, बल्कि अन्य राज्यों से भी लाखों लोग शामिल होते हैं।
मौके पर जिले के नामचीन शायर तंग अय्यूवी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के पुत्रों ने आज के दिन तत्कालीन शासन के जुल्मों के खिलाफ अपनी शहादत दी थी। उन्होंने कहा- वीर बाल दिवस खालसा के इन चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
मौके पर नव बिहार दूत हिंदी दैनिक समाचार पत्र के प्रधान संपादक अमरजीत मौआर ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों ने छोटी उम्र में मातृभूमि व मानवता की रक्षा हेतु दुश्मनों का बहादुरी से सामना किया। उनकी शौर्यगाथा हमारा ऐतिहासिक धरोहर हैं जिसका स्मरण कर शंखनाद साहित्यिक मंडली परिवार 'वीर बाल दिवस' मना रही है। साहिबजादों, माता गुजरी व गुरु गोविंद सिंह जी की वीरता व बलिदान को मैं सादर नमन करता हूँ।
समाजसेवी धीरज कुमार ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबज़ादों बाबा ज़ोरावर सिंह जी व बाबा फ़तह सिंह जी तथा पूजनीय माता गुजरी जी के शहीदी दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धासुमन। मुगल शासकों के अत्याचारों का अडिग रहकर सामना करते हुए अल्पायु में उनका बलिदान शौर्य और वीरता का अद्वितीय उदाहरण है।
इस अवसर पर समाजसेवी नरेश पासवान, शुभम कुमार शर्मा, अरुण बिहारी शरण, सविता बिहारी, रामप्रसाद चौधरी, रंजीत कुमार चौधरी, अजित पासवान सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
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