भारत का 75 वां गणतंत्र दिवस पर विशेष..!!

लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव साहित्यिक मंडली शंखनाद
हर वर्ष 26 जनवरी का दिन भारत में गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत में इस साल 75 वां गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। दरअसल 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था। भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया। इस वजह से हर साल 26 जनवरी का दिन राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर, 1949 को देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था, इसलिए इस दिन को देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। पहली बार गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया था। इसी दिन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ तिरंगा फहराया था। आजादी से पहले 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था।
 करीब 18 वर्ष तक 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) मनाया जाता रहा। आजादी के आंदोलन से लेकर देश में संविधान लागू होने तक, 26 जनवरी की तारीख का अपना महत्व रहा है। 31 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर भारत के लिए पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी। कहा गया कि अगर ब्रिटिश सरकार ने 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का दर्जा (डोमीनियन स्टेटस) नहीं दिया, तो भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा। 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगा फहराया था। फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। इस तरह आजादी मिलने से पहले ही 26 जनवरी, अनौपचारिक रूप से देश का स्वतंत्रता दिवस बन गया था। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया। साल 1950 में देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी के दिन भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। इस दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्हें तोपों की सलामी दी गई। तब से तोपों की सलामी की यह परंपरा बनी हुई है। स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर कार्यक्रम जहां लाल किले पर होता है और प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं जबकि गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम राजपथ पर होता है और राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। राष्ट्रपति देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं। दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड, राजपथ पर न होकर इर्विन स्टेडियम (आज का नेशनल स्टेडियम) में हुई थी। साल 1950-1954 के बीच दिल्ली में गणतंत्र दिवस का समारोह, कभी इर्विन स्टेडियम, किंग्सवे कैंप, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में आयोजित हुआ। राजपथ पर साल 1955 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड शुरू हुई। आठ किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह परेड रायसीना हिल से शुरू होकर राजपथ, इंडिया गेट से गुजरती हुई लालकिला पर खत्म होती है।
हर साल इस मौके पर किसी न किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता है। वर्षों से ये परंपरा चलती आ रही है। इस साल फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन 75 वें गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि होंगे। 

गणतंत्र दिवस 2024 के लिए थीम है

गणतंत्र दिवस 2024 परेड की थीम 'विकसित भारत' और 'भारत-लोकतंत्र की मातृका' है, जो लोकतंत्र के पोषक के रूप में भारत की भूमिका पर जोर देती है और शुक्रवार, 26 जनवरी को सुबह 10:30 बजे नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर शुरू होने वाली है। इसके लगभग 90 मिनट तक चलने की उम्मीद है।

 गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि    

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस परेड पर मुख्य अतिथि बनना किसी भी देश के राष्ट्र प्रमुख के लिये विशेष सम्मान की बात होती है। परेड के मौके पर मुख्य अतिथि कौन होगा इसका फैसला भारत के राजनयिक हितों के मद्देनजर तय किया जाता है।
गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि की यात्रा एक राजकीय यात्रा के समान है। मुख्य अतिथि को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। वह शाम को  भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित स्वागत समारोह में भाग लेते हैं। वे राजघाट पर पुष्पांजलि भी अर्पित करते हैं। उनके सम्मान में भोज होता है। उनके लिए प्रधानमंत्री द्वारा दोपहर में लंच आयोजित किय़ा जाता है। मुख्य अतिथि की यात्रा का केंद्र बिंदु यह होता है कि वह भारत के राष्ट्रपति के साथ आते हैं। यह मुख्य अतिथि को भारत के गौरव और खुशी में भाग लेने के रूप में चित्रित करती है। भारत के राष्ट्रपति और मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए दो लोगों के बीच मित्रता को दर्शाती है।

कैसे किया जाता है अतिथि का चुनाव

सरकार सावधानीपूर्वक विचार के बाद किसी देश या उस देश के सरकार के प्रमुख को अपना निमंत्रण भेजती है। यह प्रक्रिया गणतंत्र दिवस से लगभग छह महीने पहले शुरू होती है। कई  मुद्दों पर विदेश मंत्रालय विचार करता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है भारत के उस देश के साथ संबंध जिस देश के अतिथि को निमंत्रण दिया जाता है। इसके अलावा अन्य कारकों में राजनीतिक, आर्थिक, और वाणिज्यिक संबंध, पड़ोस, सैन्य सहयोग, क्षेत्रीय समूहों में प्रमुखता आदि है। इन सभी बातों पर विचार करते हुए मुख्य अतिथि का चयन एक चुनौती जैसा बन जाता है।

मुख्य अतिथि के साथ उनके देश का मीडिया साथ आती है

जो भी मुख्य अतिथि होते हैं उनके साथ उनके देश की मीडिया आती है जो उस देश की यात्रा के बारे में बताती है। दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों और उनके आगे के विकास के लिए यह आवश्यक है कि अतिथि राष्ट्र की यात्रा को सफल माने। साथ ही मुख्य अतिथि को लगना चाहिए कि देश के प्रमुख ने उनका स्वागत सही तरीके से किया और उनको सम्मान मिला। वहीं हमारा देश यह दर्शाता है कि हमारा सत्कार हमारी परंपराओं, संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है।

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