मध्य विद्यालय ककडिया में 75 वाँ गणतंत्र दिवस श्रद्धा से मनाया गया ..!!
नूरसराय-ककड़िया, 26 जनवरी 2024 : स्थानीय मध्य विद्यालय ककडिया के प्रांगण में 75 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार के द्वारा झंडा फहराया गया। तत्पश्चात शिक्षक जितेन्द्र कुमार मेहता के संचालन में यह समारोह अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया और राष्ट्रगान की सुमधुर धुन से विद्यालय गूंज उठा। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रकृति प्रेमी, वृक्ष मित्र एवं हड्डी रोग के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार जी मौजूद रहे।
गणतंत्र दिवस के इस जोश को कुहासा और कड़ाके की ठंड ने भी न रोक सका। आसमान में लहराते तिरंगे को सम्मान देते हुए छोटे-छोटे बच्चों ने पीटी के माध्यम से अनुशासन एवं समायोजन का प्रदर्शन किया। भीषण ठंड के बावजूद शिक्षकों, छात्र-छात्राओं तथा अभिभावकों में उत्साह का माहौल रहा। मौके पर छात्र- छात्राओं ने मनमोहक देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रकृति प्रेमी वृक्ष मित्र एवं हड्डी रोग के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज के ही दिन देश का संविधान लागू हुआ था, परंतु इसकी सार्थकता तब होगी जब हम स्वयं उसे आत्मसात कर उसका पालन करें। तिरंगा ही हम हिंदुस्तानियों की पहचान है। हमारे देश भारत में मूल रूप से तीन राष्ट्रीय पर्व मनाए जाते हैं। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 2 अक्टूबर (गाँधी जयंती) भारत के राष्ट्रीय पर्व हैं। ये तीनों ऐसे पर्व हैं जो किसी जाति या समुदाय विशेष के न होकर, हर देशवासी के लिए समान महत्व रखते हैं। उन्होंने कहा- भारत माता की जय का अर्थ बताते हुए कहा कि भारत माता भारत की भूमि है। लोग हैं पर्यावरण है यदि इसे सुरक्षित रखना है तो आवश्यक है अधिक से अधिक पेड़ लगाना। पेड़ लगाकर हम न केवल पर्यावरण की रक्षा करते हैं बल्कि देशभक्ति भी प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें, स्कूल से जाने के बाद अपने घर पर भी स्वच्छता बनाए रखे, जल ज्यादा गिरने से बचाएं।
मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने देश के लिए अपना सबकुछ बलिदान करने वाले शहीदों को नमन किया। उन्होनें कहा कि आज ही के दिन भारत का संविधान लागू हुआ था और भारत एक लोकतांत्रिक देश बना था। भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव भी प्राप्त है। उन्होंने कहा कि भारत देश में संविधान की ओर से नागरिकों को कुछ मूल अधिकार दिए गए है जो उन्हें समाज में सिर उठाकर जीने का अधिकार देते हैं और आत्मनिर्भर बनाते हैं।
मौके पर शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज पूरा देश 75वां गणतंत्र दिवस का जश्न मना रहा है। 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था और भारत गणतंत्र बना था। इसीलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा- गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के नियम और तरीके अलग-अलग हैं। दोनों ही अवसर पर देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत देशवासी जश्न- मनाते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं के महान बलिदान व योगदान को लोग याद करते हैं। जहां गणतंत्र दिवस पर लोगों को भव्य परेड का इंतजार रहता है तो वहीं स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन का। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस-दोनों ही अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, उसका सम्मान किया जाता है, लेकिन दोनों के तौर-तरीके बहुत अलग होते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से पहले उसे बांधकर पोल (खंभे) के पास रखा जाता है। जब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए डोरी खींचते हैं तो पहले तिरंगा धीरे-धीरे ऊपर उठता है और फिर फहराता है, इसे ध्वजारोहण कहते हैं। वहीं गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने से पहले उसे बांधकर पोल के शीर्ष पर बांध दिया जाता है, जब राष्ट्रपति डोरी खींचते हैं तो वह फहरने लगता है। इसे झंडा बंधन या झंडा फहराना कहा जाता है।
प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं
इसके पीछे की वजह है कि जब देश आजाद हुआ था, तब तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने ब्रिटिश सरकार का झंडा उतारकर भारत के झंडे को धीरे-धीरे ऊपर चढ़ाकर फहराया था। उस वक्त भारत का कोई आधिकारिक राष्ट्रपति नहीं था। उस वक्त लॉर्ड माउंटबेटन भारत के गर्वनर थे, लेकिन वे ब्रिटिश सरकार के अफसर थे। इसलिए यह काम प्रधानमंत्री जी ने किया था। जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने तो उन्होंने 26 जनवरी, 1950 को पहले गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया, उस वक्त राष्ट्रीय ध्वज पहले से ही ऊपर बंधा था तो उसे खोलकर फहराया गया था, ऊपर उठाकर नहीं। तब से हर साल गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।
गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों में भी अंतर होता है
स्वतंत्रता दिवस का ध्वजारोहण लाल किले की प्राचीर से किया जाता है, जबकि गणतंत्र दिवस तिरंगा राजपथ (कर्तव्य पथ ) पर फहराया जाता है। 26 जनवरी को राष्ट्रपति ध्वज फहराते हैं, जबकि 15 अगस्त पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दूसरे देश के राजनायिकों को आमंत्रित किया जाता है, जबकि स्वतंत्रता दिवस पर किसी भी अतिथि को नहीं बुलाया जाता है। गणतंत्र दिवस समारोह का समापन 29 जनवरी को सैन्य समारोह (बीटिंग रिट्रीट) के साथ होता है, स्वतंत्रता दिवस पर आयोजन 15 अगस्त को खत्म हो जाता है। गणतंत्र दिवस पर देश की सैन्य ताकत व सांस्कृतिक समृद्धि की झलक देशवासियों के सामने झांकियों के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है जबकि स्वतंत्रता दिवस पर देश की उपलब्धियां प्रधानमंत्री बताते हैं।
समारोह संचालन करते हुए शिक्षक जितेन्द्र कुमार मेहता ने कहा कि गणतंत्र दिवस हर बार हमें यह याद दिलाता है कि हम अपने ही आचरण को स्वयं परखें कि हम भारत माता के हित में क्या कर रहे हैं? एक-दूसरे को प्रेरणा देकर तथा शहीदों को श्रद्धांजलि देकर हम गणतंत्र दिवस को और अच्छी तरह मना सकते हैं।
शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद ने कहा कि आज ही के दिन 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ जो भारत अनेकता में एकता का मार्ग-दर्शक है। यह हमें समानता का अधिकार प्रदान करता है। आज हम जिस तिरंगे की छांव में खड़े हैं वो हमें जीवन जीने के सही तरीके सिखाता है। इस तिरंगे में सबसे ऊपर दिखने वाला केसरिया रंग देश की ताकत और साहस का प्रतीक है। वहीं, बीच में सफेद रंग शांति, सदभावना और सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। तिरंगे के सबसे निचली पट्टी पर हरा रंग देश के विकास और समृध्दि का प्रतीक है। झंडे के बीच में बना अशोक चक्र हमे निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। भारत की संस्कृति को उसके झंडे में देखा जा सकता है। समारोह के अंत में विद्यालय में उत्कृष्ट कार्य करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.अरुण कुमार ने नवनिर्मित कार्यालय का उद्घाटन किया और विद्यालय के लिए एक कंप्यूटर का पूरा सेट देने की घोषणा की।
मौके पर शिक्षिका पूजा कुमारी, शिक्षक सुरेन्द्र कुमार, अनुज कुमार, रणजीत कुमार सिन्हा, सुरेश कुमार, सतीश कुमार, मुकेश कुमार, वार्ड सदस्य दिलीप पासवान, छात्रा सोनाली कुमारी, जुली कुमारी,नन्दनी कुमारी, साजन कुमारी, शिल्पी कुमारी, छात्र वीरमणि कुमार, मोहन कुमार, रवीश कुमार, ललन कुमार, अजय कुमार, अंकित राज, आदित कुमार, हिमांशु कुमार आदि सहित विद्यालय परिवार कई ग्रामीण गणमान्य लोग मौजूद थे।
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