राम आएंगे-आएंगे, शबरी के राम झोपड़ी में आएंगे...!!

लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली
मेरी झोपड़ी के भाग आज जाग जायेंगे …..राम आयेंगे …। महीनों से यही भजन सुन रहा। एक दो चार आठ बार।हर बार वही मधुरता चहुओर है। राम आयेंगे…राम आयेंगे। एक एक पंक्ति को सुनते हुए एहसास होता है राम का आना क्या है? यह विश्वास है। यह उम्मीद है। यह आशा है। राम आयेंगे एक सत्य है। राम आयेंगे एक चेतावनी है। राम आयेंगे एक प्रारब्ध है। संतान के सुख से वंचित मां कौशल्या कितने दिन ये सोच-सोच कर विचलित हुई होंगी कि राम आयेंगे। राम आयेंगे तो भरेगी मेरी सुनी कोख। नारी को ईश्वर को जन्म देने का सौभाग्य मिलेगा। वह जननी बनेगी। राजा दशरथ श्रवण के माता पिता का श्राप सुनकर घबराने से ज्यादा अभिभूत हुए होंगे कि हां पुत्र वियोग होगा। ऋषि ब्राह्मण ऐसा ही करते हैं, उनके दंड, उनके श्राप भी ईश्वर कृपा के साक्षी बनते हैं। यज्ञ करते ऋषि मुनियों को भी प्रतीक्षा रही होगी कभी इन यज्ञों का फल मिलेगा। कभी राम आयेंगे। यज्ञ में अस्थि डालने वाले दैत्य भी सोचते होंगे कभी मुक्ति मिलेगी हमें, कभी राम आयेंगे। इस दृष्टि से देखता हूं तो दोनो के कर्म एक दूसरे के पूरक लगते हैं। दोनो के संयुक्त प्रयास से विधाता आते हैं। राम आए तो ऋषियों को यज्ञ का फल मिला। परमात्मा का दर्शन हुआ। लेकिन राम आए राक्षसों को दंड देने, उन्हें मुक्ति देने के लिए। पत्थर बनी अहिल्या को भी उम्मीद थी राम आयेंगे। गौतम के आशीर्वाद से बड़ा निकला उनका श्राप। राम आए, अहिल्या को दर्शन देने के लिए। क्या पता गौतम श्राप न देते तो राम आते ही नहीं। केवट को पता था राम आयेंगे। उसके नाव की सवारी करने के लिए। गंगा को पता था जरुर आयेंगे। सुतीक्ष्ण, अगस्त्य सबको ज्ञात था राम जरुर आयेंगे। मेरी कुटिया के भाग्य कभी खुलेंगे। गुरुदेव के कहने पर गलियां बुहारती मां शबरी रटती रहीं राम आयेंगे-राम आयेंगे। फूलों को चुनती। उन्हें बिछाती। एक आश। एक विश्वास। राम आयेंगे। उन्हें बेर खिलाऊंगी। कांटे वाले बेर को ही यह सुख मिलना था। प्रभु ने भोग लगाया तो भोलेनाथ ने सर पर धारण कर लिया। जलाभिषेक में बेर चढ़ने लगा। सुग्रीव ने जैसे कष्ट सहे। उन्हें भी आशा थी। अब आयेंगे परमात्मा। उद्धार करने। बालि का जैसे अभिमान बढ़ा। उसे भी पता लग ही गया होगा। चल पड़े हैं मद चूर करने वाले। समुद्र को जितना दंभ था। उसे भी पता था राम उसे बांधने आ रहे हैं। असंभव को संभव तो परमात्मा ही करते हैं।
पक्षीराज जटायु इसीलिए तो लड़ गए। दे दिया प्राण। राम आयेंगे। गोद मिलेगी। जो सुख दशरथ को न मिला वह जटायु को मिल गया। जटायु की प्रतीक्षा बड़ी रही होगी। दसरथ ने जगदम्बा को जाने को कहा था। जटायु ने जगदम्बा को रोकने की कोशिश की। अत्याचारी रावण को भी लगता रहा होगा कि राम आयेंगे। मुझे मुक्ति देंगे। अशोक वाटिका में बैठी मां जानकी को हमेशा पता था कि प्रभु आयेंगे और हर क्षण वहां पहरेदारी कर रही राक्षसियो को भी ज्ञात था की राम आयेंगे। लात पड़ते ही विभीषण को पता लग गया। राम आयेंगे।
नंदीग्राम में बैठे महात्मा भरत जी को भी पता था करूणानिधान 14 साल बाद आयेंगे। अवध के हर नर-नारी, पशु-पक्षी को पता था प्रभु राम आयेंगे। प्रभु प्रतीक्षा का फल हैं। हर प्रतीक्षा के परिणाम के रूप में प्रभु आते हैं। अयोध्या में जले हर दीप की प्रतिक्षा पूर्ण हुई तो प्रभु आए। हर गीत, हर संगीत, हर लय, हर धुन है कि राम आयेंगे। राम दुख को सहते हुए की गई प्रतीक्षाओ का फल हैं। सहने वालों, झेल रहे लोगों! एक दिन तुम्हारे संघर्ष बड़े खूबसूरत ढंग से तुमसे टकरायेंगे, राम आयेंगे। पाप करने वाले खुद सबक सीख जायेंगे…..राम आयेंगे। यही सुंदर मनोहारी राम आएंगे आजकल एक गीत बड़ी जोर शोर से कण-कण में गूंज रहा है राम आएंगे बहुत ही मधुर गीत है, बड़ों के साथ साथ बच्चे इसको बहुत पसंद कर रहे हैं। शायद यह गीत बाइस जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को प्रचारित करने के लिए धूम मचा रहा है या कोई अन्य कर्ण हो मगर मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है कि राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी। हमारे देश के साथ ही पूरा विश्व राम मय हो गया है। हर देश में इस अभियान की प्रशंसा हो रहे है। विदेशी लोग भी इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पहले से ही पहुंच रहे हैं। इस गीत के बारे में कुछ लोग पूछ रहे हैं कि राम कहां से आ रहे हैं शायद उन्होंने पूरा गीत ध्यान से नहीं सुना इस गीत में शबरी भीलनी अपनी झोपड़ी के रास्ते को बुहार रही है और कह रही है की राम आएंगे। ऐसा वह प्रतिदिन करती थी कि क्या पता किस दिन किस घड़ी राम मेरी झोंपड़ी में आ जाएंगे तो रास्ता साफ होना चाहिए, इसी भाव से यह गीत लिखा गया है।
 जिसमें यह अर्थ भी छुपा हुआ है कि राम अपने भव्य मंदिर में पांच सौ साल बाद पुनः प्रतिष्ठित होंगे। इसके पूर्व इस स्थान पर कहते हैं कि तत्कालीन मुगल शासक ने मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बना दी गई थी। और इसका विध्वंस कुछ वर्षों पूर्व ही विश्व हिंदू परिषद के कार सेवकों राम भक्तों द्वारा विवादित ढांचे को गिरा दिया गया था जिसका प्रकरण मुस्लिम पक्ष द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय में दायर किया गया जिसका निर्णय पिछले दिनों सनातनियों के पक्ष में पारित हुआ इसी के चलते राम भगवान का भव्य मंदिर निर्माण होने का मार्ग प्रशस्त हुआ। पूरा देश राम मय हो गया है। बाइस जनवरी को निश्चित ही पूरी दुनिया एक बार फिर घर-घर दीप जलाकर दीपावली मनाएगी खुशी मनाएगी रंगोली सजाएगी। आधुनिक अयोध्या को भी भव्य कलेवर में सजाया गया है। जो हम सभी भारतीयों के लिए गौरव का विषय है। सभी देश वासियों को इस पावन पुनीत अवसर की हार्दिक शुभकामनाएं।

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