दुनिया का दुर्लभ आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बोटैनिक गार्डन कोलकाता...!!
आपने आजतक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए इंसान को ही देखा होगा, या तो वो अपनी फिटनेस पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहे हैं या फिर अपनी कला की वजह से उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए देखा जा रहा है, कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी उम्र को लेकर भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बने हैं। लेकिन भारत में इंसान नहीं बल्कि एक पेड़ भी अपनी उम्र की वजह से वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। जी हां, कोलकाता द आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन में बरगद का पेड़ है, जो 370 साल पुराना है। इस पेड़ को दुनिया का सबसे विशालकाय बरगद के पेड़ के रूप में जाना जाता है।
कोलकाता में शिबपुर, हावड़ा में स्थित बोटैनिकल गार्डन कोलकाता भारत के सबसे बड़े और प्रमुख बोटैनिकल गार्डनस में से एक है जो लगभग 273 एकड़ क्षेत्र में फैला है। इसको आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बोटैनिक गार्डन के नाम भी जाना जाता है जबकि बर्षो पहले इसे कंपनी गार्डन के रूप में जाना जाता था। बोटैनिकल गार्डन के प्रमुख आकर्षण ‘द ग्रेट बरगद का पेड़’ तथा दुनिया भर से एकत्र किए गए हजारों जीवित बारहमासी पौधे है। इसके अलावा गार्डन में आश्चर्यजनक ऑर्किड और बहुरंगी फूल भी आकर्षण का केंद्र बने हुए है जिन्हें देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते है। इसका प्रबंधन भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) द्वारा किया जाता है, जो भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय के अधीन है।
बोटैनिक गार्डन कोलकाता का रोचक इतिहास :
इस बोटैनिकल गार्डन की स्थापना 1787 में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक सेना अधिकारी कर्नल रॉबर्ट किड ने की थी, जिनका एक ऐसा गार्डन बनाने का सपना था जो व्यापार और वाणिज्य के लिए मूल्यवान पौधों और मसालों के स्रोत के रूप में काम करेगा।
यह गार्डन शुरू में भारत में भोजन की कमी को समाप्त करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के प्रयास में कृषि राजस्व बढ़ाने की इच्छा से प्रेरित था, जो 18 वीं शताब्दी में बड़े पैमाने पर अकाल और राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। किड ने बगीचे में सागौन, तंबाकू, खजूर, चीनी चाय और कॉफी जैसे पौधे स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, जिनका यूरोप में उच्च आर्थिक मूल्य और मांग थी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने किड की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन किया और उसे अपनी परियोजना को पूरा करने के लिए धन और संसाधन प्रदान किए।
हालाँकि, जब 1793 में विलियम रॉक्सबर्ग इस गार्डन के अधीक्षक बने तो गार्डन की नीति में एक बड़ा बदलाव आया। रॉक्सबर्ग एक स्कॉटिश वनस्पतिशास्त्री थे, जो पूरे भारत से पौधे लाए और एक व्यापक हर्बेरियम विकसित किया, जो अब भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का केंद्रीय राष्ट्रीय हर्बेरियम है। सूखे पौधों के नमूनों का यह संग्रह अंततः भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का केंद्रीय राष्ट्रीय हर्बेरियम बन गया, जिसमें 2,500,000 वस्तुएं शामिल हैं। रॉक्सबर्ग ने भारत से दुनिया के अन्य हिस्सों में आम, जूट, कपास और सिनकोना जैसे कई पौधे भी पेश किए। इस गार्डन ने चीन से चाय के पौधों को प्रत्यारोपित करके और विभिन्न स्थानों पर उनकी खेती करके, भारत में चाय उद्योग की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1950 में 'भारतीय वनस्पति उद्यान' कर दिया गया। इस बोटैनिकल गार्डन का नाम प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और वनस्पतिशास्त्री आचार्य जगदीश चंद्र बोस के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पादप शरीर क्रिया विज्ञान और बायोफिज़िक्स के क्षेत्र में अग्रणी योगदान दिया। वह भारत के एक प्रमुख शोध संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के संस्थापक भी थे। 25 जून 2009 में महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस को भारतीय बोटैनिकल गार्डन में आचार्य जगदीश चंद्र बोस के सम्मान से सम्मानित किया गया।
अनुपम प्राकृतिक सोंदर्यता से भरपूर है बोटैनिकल गार्डन कोलकाता :
273 एकड़ क्षेत्र में फैला बोटैनिकल गार्डन कोलकाता की सुरम्य जगह है जो हरे भरे पेड़ पौधे और प्राकृतिक सोंदर्यता से भरपूर है। इस गार्डन में 12,000 अलग-अलग प्रजातियों के पेड़-पौधे देखे जा सकते हैं जिन्हें दुनिया के अलग-अलग देशो से लाया गया है। यहां पाए जाने वाले कुछ सबसे विदेशी पौधों में ब्रेड फ्रूट ट्री, जाइंट वॉटर लिली, डबल कोकोनट, कृष्णबोट, जाइंट वॉटर लिली और शिवलिंगा ट्री शामिल हैं। इनके अलावा इस बगीचे में सबसे आकर्षक बरगद के पेड़, इमली के पेड़, क्यूबा के पालम, महोगनी के पेड़, बहु-झुंड बांस के पेड़, सिसिली के नारियल के पेड़, ब्राजील के पागल पेड़, ऑर्किड, शाखाओं वाले खजूर के पेड़, विभिन्न प्रकार के कैक्टि, बोगनविलिया, बांस के पेड़ भी हैं। बोटैनिकल गार्डन में एक नागिन झील भी है जहाँ पर्यटक नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। साथ ही गार्डन की लाइब्रेरी में पुस्तकों का एक व्यापक और प्रभावशाली संग्रह है।
बोटैनिकल गार्डन का ग्रेट बरगद का पेड़ :
आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान कोलकाता, भारत में एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक वनस्पति उद्यान है। यह कई दुर्लभ और विदेशी पौधों का घर है, लेकिन सबसे उल्लेखनीय और प्रतिष्ठित ‘ग्रेट बरगद का पेड़’ (जीबीटी) है। जीबीटी एक बरगद का पेड़ (फ़िकस बेंघालेंसिस) है जो मोरेसी परिवार से संबंधित है, यह पेड़ भारत का मूल निवासी है। ग्रेट बरगद का पेड़’ 370 वर्ष से अधिक पुराना है और इसका एक लंबा और आकर्षक इतिहास है। यह पेड़ 1864 और 1867 में दो बड़े चक्रवातों से बच गया, लेकिन इसकी कुछ मुख्य शाखाएँ नष्ट हो गईं और इसकी मुख्य तना, जिसे 1925 में फंगल संक्रमण के कारण हटा दिया गया था। हालाँकि, पेड़ अपनी हवाई जड़ों(aerial roots) के माध्यम से फैलता और फलता-फूलता रहा, जो इसकी शाखाओं से बढ़ती हैं और जमीन तक पहुँचती हैं। पेड़ का वर्तमान क्षेत्रफल लगभग 18,918 वर्ग मीटर है। इस पेड़ की 3722 से अधिक हवाई जड़ें और 486 मीटर की परिधि है। सबसे ऊँची शाखा 24.5 मीटर तक ऊँची है। पेड़ की इतनी जड़ें और बड़ी-बड़ी शाखाएं हैं, जिसकी वजह से ये हर किसी को देखने में ऐसा लगता है, जैसे कोई जंगल में आ गया हो। इस देखकर आप अंदाजा नहीं लगा सकते कि ये सिर्फ पेड़ है।
विशाल बरगद वृक्ष (ग्रेट बनयान ट्री) भारत का एक देशी पौधा है जो मोरेसी कुल से संबंधित है तथा इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बंगालेंसिस एल. है। 370 वर्ष से भी अधिक पुराना यह वृक्ष विश्व में सर्वाधिक छत्र धारी पौधों में से एक है। अपने विशाल छत्र के कारण वर्ष 1985 में गिनिज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया। वर्ष 1864, 1867 तथा 2020 के विनाशकारी चक्रवातों के कारण इसे कुछ हद तक नुकसान पहुंचा है। जब इसके धड़ की परिधि 16.5 मी. तथा भूमि से 1.7 मी. ऊँची थी तब यह कवक संक्रमण का शिकार हुआ और इसी कारण वर्ष 1925 में इसके मुख्य धड़ को वृक्ष से पृथक कर दिया गया। वर्तमान में 18,918 वर्ग मी. में व्याप्त इस वृक्ष का शीर्ष परिधि 486 मी. है साथ ही इसके अवस्तंभ मूलों (जटाएं) की संख्या 4290 है। इसके सर्वाधिक लम्बे अवस्तंभ मूल की लंबाई 24.5 मी. दर्ज की गयी है। विभिन्न जीवन प्रारूपों का पोषण करने वाला यह वृक्ष एक विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में अकेला अडिग है। यह ऐतिहासिक उद्यान आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान (एजेसीआईबीजी), पश्चिम बंगाल, भारत का एक जीवंत संकेतिका एवं पहचान है।
बोटैनिकल गार्डन का सबसे प्रमुख आकर्षण है एक ‘बरगद का पेड़’ जिसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। इसे पुरे भारत में सबसे अधिक एरिया में फैले हुए बरगद के पेड़ में भी जाना जाता है जिसकी वर्तमान परिधि 450 मीटर है। इस बरगद के पेड़ में आज से तीन साल पहले 3722 हवाई जड़ें थी जो इस समय 4290 से भी ज्यादा हैं जो सभी जड़ें उपर से जमीन में आकर मिलती है।
इस बोटैनिकल गार्डन की कई विशेषताएं :
इस एक पेड़ पर पक्षियों की 80 से ज्यादा प्रजातियां निवास करते हैं। 14,500 वर्ग मीटर में फैला ये पेड़ करीबन 24 मीटर ऊंचा है। इसकी 3 हजार से अधिक जटाएं हैं, जो अब जड़ों में बदल चुकी हैं। इस वजह से भी इसे दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ या 'वॉकिंग ट्री' भी कहते हैं। आपको जानकार शायद हैरानी हो इस पेड़ पर पक्षियों की 80 से अधिक प्रजातियां निवास करती हैं।
दुर्लभ बड़े-बड़े पेड़ : यहाँ का मुख्य आकर्षण विशाल महान बरगद का पेड़ है, जो लगभग 300 वर्ष पुराना है और इसका छत्र बहुत विस्तृत है। इसे "द ग्रेट बनयान ट्री" भी कहा जाता है।
लाखों दुर्लभ पौधों का संग्रह : गार्डन में 12,000 से अधिक जीवित पौधों की प्रजातियाँ और 2.5 मिलियन सूखी पौधों की नमूने हैं। इनमें औषधीय, सजावटी, और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पौधे शामिल हैं।
गार्डन में सुंदर तालाब और जलाशय : बोटैनिकल गार्डन में कई तालाब और जलाशय हैं जिनमें विभिन्न जलीय पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
विशाल सुंदर हर्बेरियम : बोटैनिकल गार्डन कोलकता का हर्बेरियम भारत के सबसे पुराने और सबसे बड़े हर्बेरियम में से एक है, जिसमें कई दुर्लभ और ऐतिहासिक पौधों के नमूने संग्रहीत हैं।
बोटैनिकल गार्डन कोलकता में जैव विविधता : इस गार्डन में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लाई गई पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो इसे एक वैश्विक वनस्पति उद्यान बनाती हैं।
बोटैनिकल गार्डन कोलकता का ऐतिहासिक महत्व: गार्डन का निर्माण अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी के समय में हुआ था, और इसका उद्देश्य भारतीय वनस्पतियों का अध्ययन और संग्रह करना था। 1974 में, इसे आचार्य जगदीश चंद्र बोस के नाम पर नामित किया गया, जो एक महान भारतीय वैज्ञानिक थे और जिन्होंने पौधों पर महत्वपूर्ण शोध किया था।
बोटैनिकल गार्डन कोलकता में पर्यावरण शिक्षा : गार्डन में पर्यावरण शिक्षा और अनुसंधान के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह स्थान छात्रों, शोधकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन केंद्र है। इस गार्डन का इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता और वैज्ञानिक महत्व इसे भारत के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक बनाते हैं। गार्डन न केवल पौधों के लिए, बल्कि जानवरों के लिए भी स्वर्ग है। बगीचे में कई जंगली जानवरों को स्वतंत्र रूप से घूमते हुए देखा जा सकता है, जैसे सियार, नेवला, लोमड़ी और सांप। ये जानवर बगीचे के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। वे वन्यजीव प्रेमियों और फोटोग्राफरों को उनके प्राकृतिक आवास में उन्हें देखने और कैद करने का अवसर भी प्रदान करते हैं।
बॉटनिकल गार्डन घूमने का सबसे अच्छा समय :
वैसे तो आप बॉटनिकल गार्डन कोलकाता की यात्रा साल के किसी भी समय कर सकते है लेकिन अक्टूबर से मार्च का समय बॉटनिकल गार्डन की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि इस समय मौसम काफी सुखद और यात्रा के लिए अनुकूल होता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें - शंखनाद