ककड़िया विद्यालय में मना बिहार पृथ्वी दिवस...!!
नूरसराय-ककड़िया, 9 अगस्त 2024 : नूरसराय प्रखंड के मध्य विद्यालय ककड़िया के प्रांगन में अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर “बिहार पृथ्वी दिवस” मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने किया जबकि कार्यक्रम का संचालन शिक्षक जितेन्द्र कुमार मेहता ने किया।
इस दौरान बिहार पृथ्वी दिवस के स्मृति में पर्यावरणविद प्रधानाध्यापक श्री दिलीप कुमार जी के नेतृत्व में बच्चों एवं शिक्षकों ने मिशन हरियाली नूरसराय के द्वारा उपलब्ध 25 पौधे को विद्यालय परिसर में लगाया गया।
मौके पर विद्यालय के शिक्षाविद् शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने ‘बिहार पृथ्वी दिवस’ क्या है? के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि दरअसल बिहार सरकार द्वारा 2011 में हर साल 9 अगस्त को बिहार पृथ्वी दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। इसे 9 अगस्त यानी अगस्त क्रांति के दिन मनाने के पीछे का मकसद यह है कि जिस प्रकार अगस्त क्रांति में करो या मरो का नारा दिया गया था। उसी प्रकार विश्व के पर्यावरण को बचाने के लिए पृथ्वी दिवस के दिन पर्यावरण को बचाने के लिए संकल्प लिया जाता है।
उन्होंने कहा बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण मात्र 9 प्रतिशत रह गया था। बिहार ने साल 2012 में हरियाली मिशन की स्थापना की और 24 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारण किया गया था, जिसमें से 22 करोड़ से ज्यादा पौधारोपण किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत हो गया है।अब 17 प्रतिशत हरित आवरण के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। ग्लोवल वार्मिंग और पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को देखकर बिहार सरकार माननीय नीतीश कुमार ने 13 जुलाई 2019 को सर्वदलीय एक बैठक बुलाई थी। 8 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में पर्यावरण संरक्षण और भू-जल संरक्षण के लिए जल जीन हरियाली अभियान चलाने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने कहा- बगैर पर्यावरण के हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। आज दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बनते जा रहा है। “बिहार पृथ्वी दिवस” भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करता है। उन्होंने बच्चों को प्रकृति से जुडनें की अपील की। उन्होंने वृक्ष की महत्ता को बताया और कहा कि आज भी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन के मामले में अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी न्यूनतम भारत का योगदान है। उन्होंने कहा कि ऐसे सार्थक आयोजन हर नागरिक व बच्चों को करनी चाहिए। पृथ्वी को घुटन हो रही है और पृथ्वी का दम घुट ना जाये इसके लिए समाज के हर तबके को हर व्यक्ति को छोटे और बड़े को जागरूक करना होगा। धरती बचेगी तो हीं हम बचेंगे।
इस लोक हित आयोजन के मौके पर अध्यक्षता करते हुए प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने पर्यावरण समेत पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए कार्यक्रम के दौरान विद्यालय के छात्र-छात्राओं को 11 सूत्री संकल्प दिलाया। संकल्प में छात्र-छात्राओं ने' पर्यावरण संतुलन के लिए सदैव सचेष्ट रहूंगा/रहूंगी, वर्ष में कम से कम एक पौधा लगाकर उसकी देखभाल करूंगा, तालाब, नदी एवं पोखर को प्रदूषित नहीं करूंगा, जल का दुरुपयोग नहीं करूंगा, इस्तेमाल के बाद नल को बंद कर दूंगा, कूड़ा कचरा निर्धारित कूड़ेदान में डालूंगा और लोगों को भी इसे डालने के लिए प्रेरित करूंगा, अपने स्कूल एवं घर को साफ रखूंगा, प्लास्टिक व पॉलिथीन का उपयोग बंद कर कपड़े व कागज के थैलों का इस्तेमाल करूंगा, पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम का भाव रखूंगा, नजदीक के कार्य पैदल अथवा साइकिल से करूंगा व कागज का अनावश्यक उपयोग नहीं करूंगा साथ ही लोगों को अनावश्यक उपयोग नहीं करने के प्रति प्रेरित भी करूंगा, बिजली का उपयोग आवश्यकतानुसार ही करूंगा/करूंगी। घर से बाहर निकलते समय बिजली के बल्ब/पंखा को बंद कर दूगाँ/दूंगी। इत्यादिक संकल्प दिलाया गया। जिसे सभी बच्चों ने दुहराया। उन्होंने बच्चों को बताया कि हमें पृथ्वी पर बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए वैसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए जिससे इसमें वृद्धि हो। पृथ्वी का संरक्षण यह हमारे जीवन का संरक्षण है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है। सामाजिक या राजनीतिक, पारिवारिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाते। हाँ कुछ पर्यावरण प्रेमी जरुर हैं जो कि अपने स्तर व खर्च पर कोशिश कर रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए। सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना चाहिए तभी बात बन सकेगी। पृथ्वी को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें। क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।
मौके पर संचालन करते हुए शिक्षक जितेन्द्र कुमार मेहता ने बच्चों को पृथ्वी के बारे में बताते हुए पृथ्वी के महत्व पर प्रकाश डाला और बच्चों को इसके लिए प्रेरित करते हुए पृथ्वी की रक्षा के लिए प्रदूषण नहीं फैलाने और अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने का आग्रह किया।
वहीं शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद ने बच्चों को 9 अगस्त के ऐतिहासिक महत्व के बारे मे बताते हुए कहा कि देश को आजाद कराने हेतु 9अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुआ था। इसलिए इस दिन को देश में अगस्त क्रांति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही हमारे राज्य बिहार में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने एवं लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष इस दिन को बिहार पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिक्षक सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि यह परमात्मा की चेतावनी है कि यदि हम अपने रहन-सहन एवं कार्य करने की शैली को न बदलेंगे तो करोना जैसे अन्य संकटों का सामना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों एवं वेदों में भी वातावरण एवं पृथ्वी के संरक्षण का संदेश दिया गया है।
मौके पर शिक्षिका पूजा कुमारी ने कहा कि पृथ्वी पर वृक्षों का रहना मानव जीवन के लिए अत्यंत जरुरी है। पेड़ पौधे पर्यावरण संतुलन बनाए रखते हैं। पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण का खतरा को रोकने के लिए वृक्षों का रहना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक लोगों को एक-एक वृक्ष लगाने चाहिए।
इस अवसर पर शिक्षक अनुज कुमार, अरविन्द कुमार शुक्ला, रणजीत कुमार सिन्हा, सतीश कुमार, सुरेश कुमार, मुकेश कुमार, मो. रिजवान आफताब, शिक्षा सेवक रामजी चौधरी, छात्रा दिव्या भारती, सोनाली कुमारी, स्नेहा कुमारी, चांदनी कुमारी, नन्दनी कुमारी, साजन कुमारी, शिल्पी कुमारी, छात्र रवीश कुमार, ललन कुमार, अजय कुमार, अंकित राज, आदित कुमार, हिमांशु कुमार सहित विद्यालय परिवार के समस्त बच्चों एवं शिक्षकों ने भी इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
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