सनीचरा कवि गोष्ठी में कवि सम्मेलन का आयोजन, शहर के साहित्यकारों ने लिया भाग ...!!
बिहारशरीफ, 29 सितम्बर 2024 : 28 सितम्बर 2024 की देरशाम सनीचरा कवि सम्मेलन नालंदा के द्वारा छोटी पहाड़ी सुभाषचंद्र पासवान के आवास स्थित सभागार में सनीचरा कवि सम्मेलन के अध्यक्ष सुभाषचंद्र पासवान की अध्यक्षता में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन दो सत्र में किया गया। गोष्ठी का मंच संचालन युवा कवि व शायर नवनीत कृष्ण ने किया।
कार्यक्रम का उद्घाटन शंखनाद साहित्यिक मंडली अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा, प्रोफेसर शकील अहमद अंसारी, शायर बेनाम गिलानी, गजलकार आफताब हसन शम्स ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
उद्घाटन भाषण में शंखनाद के अध्यक्ष ने कहा कि यह कवि सम्मेलन साहित्य, संस्कृति और संस्कार का अनुपम संगम है, जो हमारे जिले में विभिन्न धर्मों व भाषाओं के साहित्यकारों व कवियों की बड़ी जमात है। इस सनीचरा कवि गोष्ठी में जिले के कई नामचीन कवि, शायर व साहित्यकारों ने भाग लिया। दरअसल 28 सितंबर को पूरे देश भर में क्रांतिकारी भगतसिंह की जयंती मनाई जाती है। इस उपलक्ष्य में आज सनीचरा कवि गोष्ठी में भगतसिंह को भी याद किया गया।
सनीचरा कवि गोष्ठी के प्रथम सत्र में परिचर्चा का आयोजन किया गया। जो पूर्व से ही गोष्ठी का विषय निर्धारित था। परिचर्चा का विषय था- ‘नालन्दा अतीत और वर्तमान’ जिसे इतिहासकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह को लिखने के लिए कहा गया था। डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने विषय-वस्तु पर गंभीरता एवं बारीकी से नालन्दा के अनछुए पहलूओं पर चर्चा किया। शायर एवं गजलकार आफताब हसन शम्स ने भी ‘नालंदा विश्वविद्यालय के अतीत और वर्तमान’ की तथ्य आधारित विशलेषण किया और कई इतिहासकारों व शोधकर्ताओं के द्वारा खोजपरक शोध रोचक ढंग से पढ़कर सुनाया।
कवि गोष्ठी के दूसरे सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया
मौके पर शंखनाद के महासचिव कवि राकेश बिहारी शर्मा ने अपनी कविता भगत सिंह को समर्पित करते हुए- ‘हंसते-हंसते भगतसिंह ने, फंदे को गले लगाया था। देख वीरता बलिदानी की, काल कुटिल भी शरमाया था। सभी मोमबत्तियां गईं बुझ, हर तरफ़ अंधेरा छाया था। फांसी के फंदे पर जब, उन वीरों को लटकाया था’...। सून उपस्थित श्रोताओं के आँखों से आँसू छलक पड़े।
शंखनाद के अध्यक्ष डॉ लक्ष्मीकांत सिंह ने– ‘साहिल तक पहुंचाने का जिसने विश्वास दिया, उसी ने बीच मझधार में कश्ती डुबो दिया’...सुनाया। आफताब हसन शम्स – ‘मुसबत ख्याल शायरी का इफ्तिखार है। आए ही खयाल क्यूँ जो बाहियात हो।। शायर बेनाम गिलानी ने- ‘जिसकी है जो जबान उसी उसी में हो गुफ्तगू। हैवन से न करिये कभी आदमी की बात’।। सुभाष चंद्र पासवान- हक न पढ़ने न बोलने का दिया। पढ़लिया तो सर कलम किया मेरा...’।। शायर नवनीत कृष्णा –‘तबाही का नया सामान कैसे। सर-ए-बाजार लाया जा रहा है’...।। रणजीत चन्द्रा- ‘कहां तक पहुंचे और कितना बाकी है। संघर्ष के रास्ते पर सफर कितना बाकी है’...।। तनवीर साकित- ‘जब्द की भी है एक हद साकित। हद से आगे गुजर ना जायें हम’...।। अरशद रजा- ‘गुजर रही है मेरी जिंदगी ये क्या कम है। कहां से लाऊं मैं चंग-ओ- ख्वाब का मंजर...।। प्रोफेसर शकील अंसारी- ‘कर चुका है बिष वमन ये अत्यधिक। सांप अब फन कुचलना चाहिए...।। कामेश्वर प्रसाद- ‘आंधी में आशियाने भी उजड़े न प्रेम के, परिंदों को मिले छांव मौसम बहार के’...। चंद्रशेखर प्रसाद सिंह और अमित सौरभ ने भी अपनी कविताओं से खूब हँसाए और गुदगुदाए। कवि गोष्ठी में उपस्थित सभी कवियों व शायरों ने अपनी दमदार काव्य पाठ से दर्शकों की खूब तालियाँ चटोरी। नालंदा के चर्चित कवियों ने अपनी वीर रस, श्रृंगार रस, ओज, हास्य-व्यंग की कविताओं से खूब हँसाए और गुदगुदाए।
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