शहादत दिवस पर याद किये गये बिहार लेनिन शहीद जगदेव बाबू..!

बिहारशरीफ, 5 सितम्बर 2024 : , बिहारशरीफ रामचन्द्रपुर स्थित मोहल्ले के रीत मोटल, मंगला स्थान में शोषित समाज दल के संस्थापक बिहार लेनिन अमर शहीद जगदेव प्रसाद का 50 वाँ शहादत दिवस समारोह मनाया गया। जिसकी अध्यक्षता मा० शिवकुमार कुशवाहा, अध्यक्ष सम्राट अशोक जागृति मंच, कुशवाहा महासभा, नालन्दा ने तथा संचालन राष्ट्रीय शायर एवं कवि नवनीत कृष्ण ने किया। समारोह में उपस्थित लोगों ने उनके तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
समारोह के मुख्य वक्ता प्रदेश के प्रख्यात् व नामचीन इतिहासज्ञ प्रो. (डॉ.) लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि शोषित वंचितों की आवाज अमर शहीद जगदेव प्रसाद की राजनीतिक हत्या कांग्रेस के शासन में आपात काल के दौरान कराई गई थी। अरवल जिला में सभा कर रहे जगदेव प्रसाद की मंच से नीचे उतार कर बर्बर हत्या कर दी गई थी। लेकिन जगदेव प्रसाद रहे या न रहे उनके विचारों एवं संकल्पों को शोषित समाज जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करता रहेगा। उन्होंने कहा- जो समाज अपने महापुरुषों की कद्र नहीं करता वो कभी भी क्रांति नहीं कर सकता और हमेशा दासता की बेड़ियों में जकड़ा जाता है। आज आलम ये है कि हमारा बहुसंख्यक समाज अपने समाज के महापुरुषों के दिखाये रास्ते से भटक कर अपने ही समाज का दुश्मन बन बैठा है।
समारोह के संयोजक एस.पी. वर्मा कॉलेज, रुक्मिणी देवी आई.टी.आई.राजाकुआँ-बिहारशरीफ के चेयरमैन व अल्लामा इकवाल कॉलेज, बिहार शरीफ के विद्वान प्रोफेसर सच्चिदानन्द प्रसाद वर्मा ने कहा कि जगदेव प्रसाद व्यक्ति नहीं विचार थे। व्यक्ति तो मर जाता है पर विचार अमर रहता है। उन्होंने कहा कि जगदेव बाबू के बताये मार्गो पर चलकर ही शोषितों एवं वंचितों को न्याय मिल सकता है।
मौके पर साहित्यकार आर.बिहारी ने कहा कि बाबू जगदेव प्रसाद भारत में शोषित क्रांति के जनक थे। उन्होंने ताजिंदगी शोषितों की लड़ाई लड़ी। शोषित का सर्वाधिक प्रयोग करने का श्रेय जगदेव प्रसाद को ही है। उनकी पार्टी के नाम में, झंडा में, नगरों में तथा हर जगह शोषित छाया रहता था। सौ में नब्बे शोषित है नब्बे भाग हमारा है-यहीं उनका प्रमुख नारा था। 
सेवा निवृत्त जिला जज दामोदर प्रसाद ने कहा कि जगदेव बाबू शोषण और अत्याचार के खिलाफ लड़ना सिखाते थे। वे देश के तमाम पिछड़े, अतिपिछडे, दलित और मुसलमानों को संगठित करके 90 प्रतिशत शोषितों को 10 प्रतिशत शोषकों से मुक्ति का राह दिखाते थे। आंदोलन करने के क्रम में ही 5 सितम्बर 1974 को कुर्था प्रखंड कार्यालय परिसर में प्रदर्शन करते हुए शहीद हो गये। उनके साथ दलित छात्र लक्ष्मण चौधरी भी शहीद हो गये थे।
समारोह में उपस्थित लक्ष्मण भक्त ने कहा कि जगदेव प्रसाद सिर्फ एक जात के नहीं बल्कि शोषित जमात के नेता थे। इनकी शहादत पिछड़ों दलितों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। और इसी का परिणाम है कि आज उन्हें हर जगह हक व अधिकार दिया जा रहा है।
सेवा निवृत्त इंजीनियर देवेन्द्र प्रसाद सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जगदेव बाबू की प्रासंगिकता वर्तमान में भी जरुरी है। जब तक समता मूलक समाज की स्थापना नहीं हो जाती है तब तक उनका सपना पूरा नहीं होगा।
 इस समारोह में अशोक महतो ने सपत्नीक अपनी उपस्थिति दर्ज कर कहा कि जगदेव बाबू आज भी हमारे प्रेरणास्रोत रहे हैं।
शायर बेनाम गिलानी ने कहा कि जगदेव बाबू गरीबों के मसीहा थे। पाखंड, आडम्बरवाद तथा मनुवाद के विरोधी थे। वे जीवन पर्यत सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक असमानताओं को दूर करने के लिए संघर्षशील रहे।
 
किसान नेता जगलाल चौधरी ने कहा कि जगदेव बाबू समाज के अंतिम पायदान पर पड़े शोषित लोगों के लिए लड़ते हुए शहीद हो गये थे।
अखिल भारतीय कुशवाहा महासभा रामसेवक प्रसाद ने कहा कि बाबू जगदेव प्रसाद सामंतों के खिलाफ एवं गरीबों के हक हकूक के लिए हमेशा लड़ते रहे। जगदेव बाबू गरीबों के मसीहा थे। जगदेव बाबू का कहना था कि सौ में नब्बे शोसित है नब्बे भाग हमारा है। दस का शासन नब्बे पर नहीं चलेगा नहीं चलेगा।
इस अवसर पर प्रो. अशोक कुमार,अनिल कुमार "अकेला", विपिन कुमार, शैलेंद्र कुमार,संयुक्ता कुमारी।  सैकड़ों लोग मौजूद थे।

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