नालंदा जिला का 52 वां स्थापना दिवस पर विशेष ...!!
●नालंदा जिला का अतीत और वर्तमान
● ह्वेनसांग ने नालन्दा के अतीत को संजोने का कार्य किया
लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली
नालंदा जिला का स्थापना दिवस हर वर्ष 9 नवंबर को जिले में प्रमुखता से मनाया जाता है। नालंदा का बिहारशरीफ एक ऐतिहासिक नगर है, बिहारशरीफ राजगीर तथा पाटलिपुत्र के बाद मगध का तीसरा शहर है। बुद्ध और महावीर कइ बार बिहारशरीफ व नालंदा में ठहरे थे। माना जाता है कि महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति पावापुरी मे की थी, जो नालंदा मे स्थित है। बुद्ध के प्रमुख छात्रों मे से एक, शारिपुत्र, का जन्म नालंदा में हुआ था। 750-1543 ईस्वी में जब राजगीर उजड़ चुका था और पाटलिपुत्र जलमग्न होकर बर्बाद हो गया था तो उदंतपूरी यानी बिहारशरीफ जो पहले पाल राजा की और फिर तुर्क अफगान शासन की राजधानी रही थी, विहारों की अधिकता देखकर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नगर का नाम बिहार रख दिया। विहारों की अधिकता से बिहार कहलाने बाला यह नगर हजारों मजारों की अधिकता से तीर्थ सूचक शरीफ शब्द जुड़ जाने से बिहारशरीफ हो गया। 1865 में यह बिहार अनुमंडल का और 9 नवंबर 1972 में नालंदा जिला का मुख्यालय बना। वैसे तो 1957 में नालंदा लोकसभा के नाम से देश के संसदीय क्षेत्र में एक अलग लोकसभा क्षेत्र शामिल किए गए। 1869 में स्थापित बिहार नगरपालिका 2002 में बिहारशरीफ नगर परिषद तथा 2007 में बिहारशरीफ नगर निगम बनी। जब 09 नवंबर 1972 को नालंदा जिला गठित हुआ तो 10 नवंबर 1972 का यह दिन बड़ा ऐतिहासिक था सोगरा उच्च विद्यालय के मैदान में भारी जन सैलाब उमड़ा तत्कालीन मुख्यमंत्री केदार पांडे जिला उद्घाटन के लिए पधारें थे। बिहार के तत्कालीन मंत्री डॉक्टर रामराज प्रसाद सिंह ने अध्यक्षता किया था। तत्कालीन जिलाधिकारी विंध्यनाथ झा ने स्वागत किया। साहित्यकार हरिश्चंद्र प्रियदर्शी ने मुख्यमंत्री के अभिनंदन के पत्र पढ़े और मानपत्र समर्पित किया। मुख्यमंत्री ने यंत्र चालित बटन दबाकर जिला के नक्शे को आलोकित-उदघाटित किया था। तालियों व नारों के बीच समारोह के सचिव प्रख्यात डॉक्टर आर ईसरी अरशद के धन्यवाद के साथ समारोह संपन्न हुआ था। ऐतिहासिक बिहारशरीफ जिला मुख्यालय बन गया। नालंदा जिला पूरब में सरमेरा, अस्थावां तक पश्चिम में तेल्हाडा तक दक्षिण में गिरियक तक उतर में हरनौत तक फैला हुआ है। जिला बनने के बाद नालंदा ने अभूतपूर्व प्रगति की है। चौड़ी-चौड़ी सड़के, शिक्षा, विशिष्ट संस्थान एवं अन्य कई विकास कार्य हुए हैं। चीनी चात्री ह्वेनसांग के बिना नालन्दा का इतिहास अधूरा है। ह्वेनसांग ने नालन्दा के अतीत को संजोने का कार्य किया था, वे यहां आए तो थे बौद्ध धर्म की उत्पति को समझने, लेकिन उन्होंने यहां के इतिहास को आज भी जिंदा रखने का काम किया है। नालन्दा पुर्नजीवित होने के रास्ते पर चला है इसमें ह्वेनसांग की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 1972 में नालंदा एक स्वतंत्र जिला के रूप में स्थापित किया गया और तब से लेकर अब तक नालंदा ने विकास के कई मील के पत्थर छुए हैं। नालंदा में तीन अनुमंडल- बिहारशरीफ, हिलसा, राजगीर है। जिले में 20 प्रखंड-अंचल- गिरियक, रहुई, नुरसराय, हरनौत, चंडी, इस्लामपुर, राजगीर, अस्थावां, सरमेरा, हिलसा, बिहारशरीफ, एकंगरसराय, बेन, नगरनौसा, करायपरसुराय, सिलाव, परवलपुर, कतरीसराय, बिन्द, थरथरी है। इस जिले में249 पंचायत है। यहां की मुख्य कृषि- धान, गेहूं, आलू और प्याज है। विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में जिले ने जबरदस्त उन्नति की है। जब नालंदा पटना के अधीन था। तब जिले में एक भी आईटीआई या तकनीकी शिक्षा संस्थान नहीं था। लेकिन आज नालंदा में चार आईटीआई, अस्थावां पॉलिटेक्निक कॉलेज, चंडी इंजीनियरिंग कॉलेज, विम्स पावापुरी मेडिकल कॉलेज, नालंदा विश्वविद्यालय, नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी और रहुई में डेंटल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान मौजूद हैं। ये सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान हैं। जो नालंदा को शिक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी जिले के रूप में स्थापित करते हैं। नालंदा जिले में तीन राष्ट्रीय मार्ग हैं और गांव-गांव तक पक्की सडकें बन चुकी हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में विकास का एक नया युग शुरू हुआ है। जिले के हर-घर तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है। इससे जीवन स्तर में सुधार हुआ है और विकास की गति तेज हुई है। औद्यो गिक क्षेत्र में भी नालंदा पीछे नहीं है। जिले में दो एथेनॉल फैक्ट्रियों, चार राइस मिल, 21 अंडा उत्पादन फॉर्म और नालंदा डेयरी ने आर्थिक विकास को नई दिशा दी है। इसके अलावा जू सफारी और नेचर सफारी जैसे पर्यटन स्थलों ने नालंदा को एक महत्वपूर्ण पर्यटक केंद्र बना दिया है। राजगीर का घोडा कटोरा भी जिले की शान में चार चांद लगा रहा है।
नालंदा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व :
नालंदा जिला सिर्फ आधुनिक विकास के लिए नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है। प्राचीन काल में नालंदा शिक्षा का प्रमुख केंद्र था और यहां बौद्ध धर्म का बड़ा प्रभाव था।
फ़ैक्सियन, ह्वेनसांग और यिजिंग उन सैकड़ों चीनी भिक्षुओं में से थे जिन्होंने पहली सहस्राब्दी ई. पू. के दौरान भारत की तीर्थयात्रा की थी। ह्वेनसांग की यात्रा के लगभग 30 वर्ष बाद, यिजिंग या इ-त्सिंग नामक एक अन्य चीनी भिक्षु ने भारत का दौरा किया और भारत की शिक्षा प्रणाली पर अपनी छाप छोड़ी। और नालंदा की महानता का वर्णन किया है। गुप्त राजाओं और राजा हर्षवर्धन ने इसे संरक्षण दिया। जिससे यह एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र के रूप में उभरा। आज नालंदा के इतिहास की यह विरासत नालंदा विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के रूप में जीवित है। जो न केवल देश, बल्कि दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित कर रहे हैं। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। भगवान बुद्ध ने यहाँ उपदेश दिया था। भगवान महावीर भी यहीं रहे थे। प्रसिद्ध बौद्ध सारिपुत्र का जन्म यहीं पर हुआ था। नालंदा में राजगीर में कई गर्म पानी के झरने है, इसका निर्माण कहा जाता है की राजा बिम्बिसार ने अपने सासन काल में किया था, राजगीर नालंदा का मुख सहारे है, ब्रह्मकुण्ड, सरस्वती कुण्ड और लंगटे कुण्ड यहाँ पर है, कई बिदेसी मन्दिर भी है यहाँ चीन का मंदिर, जापान का मंदिर आदि है। नालंदा जिले में जामा मस्जिद भी है जो की बिहारशरीफ मे पुलपर है। यह बहुत ही पुराना और विशाल मस्जिद है। नालंदा पूर्व में अस्थावां तक पश्चिम में तेल्हाड़ा तक दक्षिण में गिरियक तक उतर में हरनौत तक फैला है। विश्व् के प्राचीनतम विश्वंविद्यालय के अवशेषों को अपने आंचल में समेटे नालन्दाा बिहार का एक प्रमुख पर्यटन स्थशल है। यहाँ पर्यटक विश्वमविद्यालय के अवशेष, संग्रहालय, नव नालंदा महाविहार तथा ह्वेनसांग मेमोरियल हॉल देख सकते हैं। इसके अलावा इसके आस-पास में भी घूमने के लिए बहुत से पर्यटक स्थ।ल है। राजगीर, पावापुरी, गया तथा बोध-गया यहां के नजदीकी पर्यटन स्थ्ल हैं।
भौगोलिक और जनसांख्यिकी विवरण :
नालंदा जिला 2,355 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें 1.64 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र है। यह जिला उत्तर और उत्तर-पूर्व में पटना, दक्षिण में नवादा, दक्षिण-पूर्व में शेखपुरा और पश्चिम में जहानाबाद और गया जिलों से घिरा हुआ है। नालंदा जिले की जनसंख्या 2021 की जनगणना के अनुसार 28,77,653 है। जिसमें 14,97,060 पुरुष और 13,80,593 महिलाएं शामिल हैं। जिले का लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 949 महिलाओं का है। नालंदा में राजस्व ग्रामों की संख्या,1084 है। यहां 92.78% जनसंख्या हिंदू की है। कुल साक्षर- 33,24,068, जिसमें साक्षरता प्रतिशत- 64.43% है। साक्षर (महिला)- 6,00,375 साक्षर (पुरुष)- 9,19,558 हैं।
नालंदा की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है। इससे साफ है कि यह क्षेत्र कृषि उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण है। नालंदा ने अपनी स्थापना के बाद से शिक्षा, बुनियादी ढांचे और औद्योतगिक विकास के क्षेत्र में जो प्रगति की है। वह काबिल-ए-तारीफ है। आने वाले समय में नालंदा अपने ऐतिहासिक गौरव और आधुनिक विकास के संयोजन के साथ और भी ऊंचाइयों को छूने की ओर अग्रसर है। नालंदा का यह 52 साल का सफर यह बताता है कि कैसे यह जिला शिक्षा और सांस्कृतिक धरोहर के साथ आधुनिकता की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है और भविष्य में भी यह विकास की कहानी लिखता रहेगा।
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