ककड़िया में शिक्षा दिवस के रूप में मनाई गई मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती...!!


 
नूरसराय-ककड़िया, 11 नवम्बर 2024 : मध्य विद्यालय ककड़िया में भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 136 वीं जयंती मनायी गयी। जिसकी अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने किया।
 इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमी समाज सुधारक सिकंदर कुमार हरिओम ने छात्र-छात्राओं को शिक्षा का महत्व बताते हुए कहा- सुखी जीवन, स्वस्थ जीवन, सम्मानित जीवन, प्राप्त करना विद्यार्थियों का उद्देश्य होना चाहिए। मनुष्य जीवन में सुख पाने के लिए पौष्टिक भोजन नशा पदार्थ का परित्याग, संतुलित पर्यावरण अर्थात जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखना होगा। और मेहनत के बल से सफल जीवन प्राप्त करना होगा। आग लगी नफरत कि इसे मिलकर बुझाना है। बुद्ध और गांधी का संदेश जीवन में अपना कर सबको बतलाना है। 18 वर्ष के बाद रक्तदान कर लोगों को जान बचाना है। बच्चों ने संकल्प लिया :- शिक्षा दिवस के शुभ अवसर पर एक संकल्प लेते हैं ऊँच-नीचे का भेद भूलाकर सबको गले लगाएंगे। जाति धर्म भेद का भ्रम मिटाकर मानवता को अपनाना है।
मौके पर शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने मौलाना अबुल कलाम आजाद की जीवनी पर प्रकश डालते हुए कहा कि मौलाना आजाद एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय कर्मठ, कर्मयोगी व निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। 1992 में इन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 2008 में भारत सरकार ने उनके जन्म दिवस 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज में अहम भूमिका निभाने की बात कही। हमारे समाज में शिक्षा से वंचित बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ा जाए, ताकि अपने बच्चों को सही शिक्षा प्रदान किया जा सके। उन्होंने कहा- शिक्षा दिवस का महत्व केवल शिक्षकों व विद्यार्थियों की भूमिका की सराहना करने में नहीं है, बल्कि यह शिक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। शिक्षक समाज के उन महत्वपूर्ण स्तंभों में से हैं जो बच्चों और युवाओं को सही दिशा देने का कार्य करते हैं। उनके बिना, शिक्षा का उद्देश्य अधूरा रह जाता है। शिक्षक व विद्यार्थी की भूमिका केवल पाठ्यक्रम को पढने और पढ़ाने तक सीमित नहीं है। वे जीवन के विभिन्न पहलुओं में विद्यार्थियों के मार्गदर्शक भी होते हैं। एक अच्छा शिक्षक न केवल ज्ञान देता है, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने कहा कि आज के दिन प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनायी जाती है। समाज के सभी वर्गों को समान रूप से शिक्षा मिले। इसके लिए हम सभी को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आजाद भारत के स्वतंत्रता सेनानी और महान शिक्षाविद थे। वह स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बनाये गए। वे कवि, लेखक, पत्रकार व भारतीय स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के शोषण करने वाले रवैये का खुलकर उन्होंने विरोध किया। मौलाना आजाद की सोच मात्र शिक्षा तक सीमित नहीं थी, वे गंगा-जमुनी तहजीब के प्रवर्तक भी थे, उन्होंने विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के समन्वय को बढ़ावा दिया।
शिक्षक सतीश कुमार ने कहा कि मौलाना आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान और उनकी दूरदर्शी सोच अद्भुत थी। मौलाना अबुल कलाम आजाद स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और आधुनिक भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री के रूप में जाने जाते हैं। उनकी दूरदर्शी सोच ने भारत में शिक्षा की नींव को मजबूत किया।
इस अवसर पर शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद, अरविन्द कुमार शुक्ला, मनुशेखर कुमार गुप्ता, अनुज कुमार, रणजीत कुमार सिन्हा, मुकेश कुमार, शिक्षा सेवक रामजी चौधरी तथा विद्यालय परिवार के सदस्य समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

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