कवियों ने अटल जी को कविता के माध्यम से याद कर श्रद्धांजलि दी...!!


 

बिहारशरीफ, 25 दिसम्बर 2024 : भारत रत्न कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में बुधवार को समाहरणालय स्थित हरदेव भवन में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 

यह संगोष्ठी शिक्षा विभाग और कला संस्कृति एवं युवा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला शिक्षा पदाधिकारी नालंदा राजकुमार जी ने किया और संगोष्ठी का संचालन शिक्षक अजय कुमार ने किया। 

हरदेव भवन सभागार में कार्यक्रम का शुभारंभ जिला शिक्षा पदाधिकारी नालंदा राजकुमार और अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया। 

 मौके पर जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी नालंदा के सुश्री शालिनी प्रकाश जी ने साहित्यकारों कवियों व अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा की अटल बिहारी वाजपेयी जी एक अच्छे कवि, साहित्यकार और निर्भीक पत्रकार थे। उनका मन साहित्य में खूब रमता था। उनकी कविताओं से देश के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा होता है। उन्होंने देश की राजनीति को एक नई दिशा दी। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया।

मौके पर शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा- अटल बिहारी वाजपेयी न केवल राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी थे, बल्कि वे एक सशक्त कवि भी थे। उनकी कविताएँ जीवन के संघर्ष, उम्मीद और दृढ़ता की झलक दिखाती हैं। उनकी कविता की पंक्तियाँ, “हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा, काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ, गीत नया गाता हूँ”, हर व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
 
मंच संचालन करते हुए उच्च विद्यालय छविलापुर के शिक्षक अजय कुमार ने कहा- अटल बिहारी वाजपेयी भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और योगदान सदैव हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके नेतृत्व का दौर न केवल भारत की राजनीतिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का भी युग था। उनके द्वारा स्थापित आदर्श आज भी हर नागरिक के लिए प्रेरणादायक हैं।
 
अध्यक्षता करते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार जी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी संयमी, कर्मयोगी, राष्ट्रवाद और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। यही वजह है कि उनके विरोधी हों या समर्थक, सभी उनका सम्मान करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी सभी के ह्रदय में वास करते थे। सबको साथ लेकर चलते थे। वो हर जाति, संप्रदाय और विचारधारा के लोगों में लोकप्रिय थे और उनकी राजनीति, किसी से वैचारिक विरोध के बाद भी बातचीत का सिलसिला नहीं तोड़ती थी। सरकार की आलोचना और आरोप पर अटल जी की बातों से भारत के जननायक आज भी सीख ले सकते हैं।

मौके पर धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अपर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समग्र शिक्षा श्री श्याम नंदन झा ने कहा कि ओजस्वी वक्ता, कवि हृदय, पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी न केवल एक सशक्त राजनेता थे, बल्कि वे एक संवेदनशील कवि, एक दूरदर्शी विचारक और एक फक्कड़ व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी नेतृत्व क्षमता ने भारत को वैश्विक मंच पर सशक्त पहचान दिलाई, और उनके जीवन-मूल्य आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। 

कवि कामेश्वर प्रसाद ने अपनी कविता "कौन कहता प्रेम करना पाप है। इस धरा पर ईस का यक प्रेम ही वरदान है।मिलता जिसे है प्रेम प्रभु उसके लिए साकार है"।

आफताब हसन शम्श-
"तू सलामत रहे मेरे प्यारे वतन,नाज करते हैं तुझ पर निगारे वतन"

कवयित्री डॉ. रेखा सिन्हा ने अपनी कविता "बड़ी प्रतिष्ठा की ज्वाला थी शत्रु कारीगिल पर चढ़ आए लेकिन अटल की दिल चेतन ने शत्रु के छक्के छुड़ाएं" सुनाई

शंखनाद के मीडिया प्रभारी शायर नवनीत कृष्ण ने "शहिदों तुमको मेरा सलाम....कुर्बानी का व्रत किया तू पिया शाहद्दत जाम ...सुनाया।

इस दौरान बड़ी पहाड़ी उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिग्गविजय नारायण पुरुषोत्तम, भाई सरदार वीर सिंह, साहित्यसेवी धीरज कुमार, आदित्य तिवारी, अरशद रज़ा, शकील अहमद अंसारी, तनवीर साक़ित, नक्की हसन, सुभाष चंद्र पासवान, कामेश्वर प्रसाद, उमाशंकर प्रसाद, रामसागर राम, रणजीत कुमार पासवान, ब्यूटी कुमारी सहित सैकड़ों लोगों ने अपनी बातों को गम्भीरता से रखा।

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