राष्ट्र निर्माण के लिए राजनीति और शिक्षा दोनों जरुरी : अश्विनी चौबे...!!

राजगीर, 29 दिसम्बर 2024 : पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर शनिवार को देरशाम इंटरनेशनल कन्वेंशन हॉल (आरआईसीसी) में “मैं अटल रहूंगा” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने किया। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी एवं राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर के तस्वीर पर पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्वलित कर नमन किया।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं अटल हूं, यह संदेश पूरे देश को देना है। वाजपेयी जी ने संकल्प की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब हम किसी उद्देश्य को हासिल करने का संकल्प लें तो हमें उसमें पूर्ण विश्वास रखना चाहिए और हर परिस्थिति में अपने संकल्प टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता थे। उनके विचार आज भी लोगों को मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी के अनुसार अपनी गलतियों को स्वीकार करना और उन्हें सुधारना ही आत्म विकास का मार्ग है। गलतियों को छुपाना केवल खुद को और दूसरों को धोखा देने के समान है। मैं अटल हूं यह भाव लेकर हमें चलना होगा। वे भारतीय राजनीति के शिल्पकार थे। उन्होंने कहा था कि सपनों के पीछे नहीं भागे, सपनों को साकार करें। आज मोदी सरकार भी उनके पद चिन्हों पर चल रही है। आज देश तेज गति से विकास कर रहा है। सभी वर्गों को योजनाओं का लाभ मिल रहा है। नालंदा का बेटा आज बिहार का मुख्यमंत्री है और कल भी रहेगा। बिहार में एनडीए पूरी तरह से मजबूत है। उन्होंने कहा- बिहार के विकास में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी का अमूल्य योगदान है। बाजपेयी जी कहते थे बिहार के विकास बिना, भारत का विकास अधूरा है। बिहार के शासन की चर्चा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार अभी भी मुख्यमंत्री है और 2025 के चुनाव बाद भी मुख्यमंत्री रहेंगे। उन्होंने अनेकों संस्मरण को याद करते हुए  वाजपेयीजी के विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका अनुशरण कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में देश और प्रदेश का विकास हो रहा है। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को शिल्पकार बताते हुए कहा कि वे सब के साथ और सभी को साथ लेकर चलते थे। पूर्व प्रधानमंत्री के संदेश को गांव-गांव पहुंचाने की चर्चा करते हुए कहा कि उनके विचारों से समाज को जोड़ा जा सकता है। कहा कि संगत, मंचन और पंगत का शुभारंभ राजगीर से होगा। उन्होंने न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके द्वारा पूरे देश में साहित्य और संस्कृति का अलख जगाया जा रहा है। 
मंच संचालन करते हुए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के अजातशत्रु थे। वे राजनीतिक संत थे। राजनीति में उनका कोई जोड़ नहीं था।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक डॉ. जयनंदन पाण्डेय ने कहा कि आज भी मुश्किलों के क्षणों में, कविता आशा की किरण के रूप में काम करती है, जो हमें मजबूती से खड़े होने, संघर्ष करने और नए जोश के साथ अपनी यात्रा जारी रखने का आग्रह करती है। उन्होंने कहा कि वाजपेयी के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि बाधाएं अस्थायी होती हैं और दृढ़ संकल्प के साथ हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा" केवल एक कविता नहीं है, बल्कि अपनी गहन कविता के माध्यम से वाजपेयीजी ने राष्ट्र पर एक अमिट छाप छोड़ी। ये पंक्तियां विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ता का संदेश देती हैं। इन शब्दों के माध्यम से, वाजपेयी सभी को सकारात्मक सोच के साथ नई चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

कविताओं पर आधारित शिमला की बालाओं ने कथक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी, देख आत्म विभोर हुए दर्शक 
 
कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी एवं राष्ट्रकवि दिनकर की कविताओं पर शिमला की कथक कलाकार पूनम शर्मा द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई। वहीं लोकमान्य तिलक की कालजयी कृति गीता रहस्य पर आधारित नृत्य नाटिका का भी मंचन किया गया। गीता के श्लोकों को घुंघरू में पिरोया, साथ ही अटल जी की कविता ‘मिलकर दीया जलाएं, हार नहीं मानूंगा, कदम मिलाकर चलना होगा’। राष्ट्रकवि दिनकर की कविता वसुधा का नेता कौन हुआ, भूखंड विजेता कौन हुआ पर नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हुई।
केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य विवेक किशोर ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व अनुकरणीय है। वे देश सेवा के लिए समर्पित रहे हैं। वाजपेयी जी का हृदय उदार और विराट था। उनसे देशवासियों को प्रेरणा लेनी चाहिए। 
इस अवसर पर संघ प्रचारक उपेंद्र त्यागी, सिलाव नगर पंचायत की मुख्य पार्षद राजलक्ष्मी, इतिहासकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, प्रोफेसर शकील अहमद अंसारी, नवनीत कृष्ण, लाल सिंह, विवेक किशोर, अनीता गहलौत, परीक्षित नारायण सुरेश, राजा रंजन, नरेंद्र कुमार शर्मा नेपुरिया, संतोष कुमार, कृष्णकांत ओझा, अंशु कुमार एवं अन्य के द्वारा विचार व्यक्त किया गया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक रामविलास प्रसाद द्वारा किया गया।

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