धूमधाम से मनाया गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का प्रकाशोत्सव...!!

●धूमधाम से मनाई गई गुरु गोविंद सिंह का प्रकाश पर्व : गुरुद्वारे में कई धार्मिक कार्यक्रमों के साथ लंगर का हुआ आयोजन :
●बिहारशरीफ के भरावपर गुरुद्वारा में मनाई गई गुरु गोविंद सिंह की जयंती:
●हर्षोल्लास के साथ गुरु गोविंद सिंह की जयंती मनाई गई:
●558 वां प्रकाश उत्सव का आयोजन, शब्द कीर्तन, गुरुवाणी और प्रार्थना का पाठ हुआ
बिहारशरीफ 19 जनवरी 2025 : बिहारशरीफ के भरावपर स्थित श्री गुरु नानक संगत पैजाबा गुरुद्वारा में सिक्खों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह की 558 वां प्रकाश उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा में सुबह से ही शब्द कीर्तन, गुरुवाणी और प्रार्थना का पाठ किया गया। 
पटना से आए रागी जत्था ने शब्द कीर्तन का ऐसा समा बांधा जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
 
मौके पर बिहार सिख फेडरेशन पटना के महासचिव सूरज सिंह ने बताया कि सिक्खों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया था। इनके अनुसार गुरु गोविंद सिंह ने हमेशा यह उपदेश दिया कि भगवान तक पहुंचने के लिए प्रेम ही एक माध्यम है। 
गुरु गोबिंद सिंह कवि और दार्शनिक थे :

गुरुद्वारे में बिहार सिख फेडरेशन के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता राकेश बिहारी शर्मा ने शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को बिहार के पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक योद्धा, कवि और दार्शनिक भी थे। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोबिंद सिंह के जन्म दिवस को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इन्होंने ही गुरु ग्रंथ साहिब को पूर्ण किया था।
इंसान से प्रेम करना ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है :

बिहार सिंह फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष सरदार दिलीप सिंह पटेल ने गुरु गोविद सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा इंसान से प्रेम करना ही ईश्वर की सच्ची आस्था और भक्ति का संदेश दिया। उनका मानना था कि ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें।
गुरु गोविंद सिंह महान योद्धा और धार्मिक व्यक्ति थे :

मौके पर गुरुद्वारा के ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि 22 दिसंबर 1666 को गुरु गोविंद सिंह का जन्म पटना में हुआ था। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी जिसे सिख धर्म में प्रमुख माना जाता है। गुरु गोविंद सिंह एक महान योद्धा और धार्मिक व्यक्ति थे।
पटना साहिब में हुआ था गुरु गोबिंद सिंह का जन्म : 

बिहार सिख फेडरेशन के संस्थापक भाई सरदार त्रिलोक सिंह निषाद ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को 1666 में पटना साहिब में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। उनके पिता सिक्खों के 9वें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह के बचपन में गोबिंद राय के नाम से बुलाया जाता था। गुरु गोविंद सिंह ने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए हैं जिन्हें पंज ककार कहा जाता है। ये पांच चीजें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा है। 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिंद सिंह जी ने करके एक नई कौम को जन्म दिया था। सिख धर्म में पुरुष नाम के पीछे सिंह और महिला कौर रखने के आदेश गुरु ने ही दिए थे।
देश और धर्म के लिए किया था बलिदान :

तख्त पटना साहिब के पूर्व महासचिव सह सदस्य सरदार महेंद्र पाल ढिल्लो ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक तथा सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। जिनके बाद सिखों के 10 गुरु हुए। सभी गुरुओं ने सिक्ख धर्म तथा समाज को शिक्षा के साथ-साथ कुछ ना कुछ दिया है, लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा बलिदान और प्रेम गुरु गोविंद सिंह जी के द्वारा दिया गया। जिन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए न सिर्फ खुद को बल्कि अपने पूरे परिवार को बलिदान कर दिया। देश और धर्म की रक्षा में उनके दो पुत्रों को जिंदा ही दीवार में चुनवा दिया। जिसके बाद भी उन्होंने अपने कर्तव्य तथा देश और समाज की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। जिनकी जयंती पर सिख समुदाय बड़े भव्य तरीके से कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें याद करते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह रणनीतिकार और अप्रतिम योद्धा थे :

मानवाधिकार संघ दिल्ली के सदस्य डॉ. आनंद मोहन झा ने कहा- गुरु गोबिंद सिंह जी भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के एक महानतम व्यक्तित्व हैं। वे एक महान दार्शनिक, लेखक, कवि होने के साथ-साथ बेजोड़ रणनीतिकार और अप्रतिम योद्धा थे।
 गुरु गोबिंद सिंह ने कमज़ोरों को वीर और बहादुरों को सिंह बना दिया :
 
शंखनाद के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के बुराई के खिलाफ आवाज उठाया और ‘सत श्री अकाल’ का नारा लगाया था। गुरु जी ने कमज़ोरों को वीर और बहादुरों को सिंह बना दिया था। जब कोई भी व्यक्ति गुरु गोबिंद सिंह जी का नाम सुनता है तो उसके मन में सिर्फ एक ही नाम आता है, शौर्य और साहस के प्रतीक गुरु गोबिंद सिंह जी का।
कार्यक्रम के दौरान पटना से आए प्रसिद्ध ज्ञानी रागी जोगिंदर सिंह जत्था तथा उनके साथियों द्वारा गुरु की महिमा, गुरुवाणी, कीर्तन प्रस्तुत किया। प्रस्तुति को सुनकर उपस्थित श्रद्धालु निहाल हुये। सुबह के कार्यक्रम के बाद लंगर का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने एक साथ लंगर खाया।
 
कार्यक्रम में सक्रिय रूप से बिहार सिख फेडरेशन नालंदा के अध्यक्ष सरदार भाई  वीर सिंह, रणजीत सिंह, फेडरेशन के समन्वयक बिनोद सिंह, बुद्धा सैनिक सेंटर के संस्थापक दीपक कुमार के दर्जनों शिष्य, छतीसगढ़ के सुखजीत सिंह बच्चू, हरजीत कौर बच्चू,  समाजसेवी धीरज कुमार, धर्मवीर सिंह, संजीत सिंह, नीतीश सिंह, परमजीत सिंह, नगीना सिंह,सतवीर सिंह, राजा राम, सरदार दीप सिंह, ग्रंथी भाई रवि सिंह जी सहित सैकड़ों लोगों ने शिरकत करने गुरुद्वारा पहुंचे।

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