खासगंज मोहल्ले में ईद मिलन समारोह में दिखी सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल, सवैया खिलाकर कराया मुंह मीठा..!!
●ईद है मानव से मानव के मिलन का त्योहार :
●भाईचारे का संदेश देता है ईद मिलन समारोह :
● ईद मिलन समारोह कौमी एकता की शानदार मिसाल :
बिहारशरीफ, 31 मार्च 2025: बिहारशरीफ के खासगंज मोहल्ले स्थित प्रोफेसर डॉ. शकील अहमद अंसारी साहब के आवास पर सोमवार को देश की सांस्कृतिक धरोहर कौमी एकता को मजबूती प्रदान करने तथा सर्व धर्म सद्भाव का पैगाम शहर के लोगो को देने के मक़सद से ईद मिलन समारोह का आयोजन किया गया।
समारोह की अध्यक्षता शंखनाद साहित्यिक मंडली के अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने जबकि संचालन शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने किया।
इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की बधाई दी। अध्यक्ष की अगुवाई में गंगा-जमुनी तहजीब की परंपरा को जीवंत रखते हुए हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख सभी एकत्रित होकर आपसी भाईचारे का परिचय दिया।
कार्यक्रम संचालन करते हुए शंखनाद के महासचिव समाजसेवी राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि यह देश सभी धर्म व वर्गों का देश है। उन्होंने कहा कि किसी भी मुल्क, समाज व कौम की तरक्की के लिए लोगों में आपसी प्रेम व सद्भाव जरूरी है। ईद बुराइयों के विरुद्ध उठा एक प्रयत्न है। इसी से जिंदगी जीने का नया अंदाज मिलता है, औरों के दुख-द:र्द को बांटा जाता है, बिखरती मानवीय संवेदनाओं को जोड़ा जाता है। आनंद और उल्लास के इस सबसे मुखर त्योहार का उद्देश्य मानव को मानव से जोड़ना है। मैंने बचपन से देखा कि हिंदुओं का दीपावली और मुसलमानों की ईद- ये दोनों ही पर्व-त्योहार इंसानियत से जुड़े हैं।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए शंखनाद के अध्यक्ष इतिहासकार प्रो. डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने बताया कि इस्लामिक धर्म ग्रंथ के अनुसार मदीना में 1400 साल पहले मनाई गई थी पहली ईद। मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ था। रमजान का पूरा महिना रहमतों का महीना माना जाता है और लोग 30 दिनों तक रोजा रखने के साथ-साथ अल्लाह या ईश्वर की ईबादत करते है और चाँद के नजर आने के बाद ईद का त्यौहार ईश्वर या अल्लाह में विश्वास रखने वाले सभी लोग मिलकर मनाते है। ईश्वर के बंदों को रमजान माह और ईद के दिन सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदो को दान और नेक कार्य करने चाहिए। आज सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिली है। इस्लाम धर्म के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब एक मास तक मक्का की गुफा में निर्जल तथा बिना किसी आहार को ग्रहण किये, भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत में रहे थे।
मौके पर हिंदी साहित्य के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर डॉ. शकील अहमद अंसारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस तरह से पूरे देश भर में हालात देखने को मिल रहे हैं। इससे बहुत बेहतर हमारे राज्य बिहार की व्यवस्था है। यहां सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर त्यौहार मनाते हैं। दुर्गा पूजा हो, ईद हो, या फिर क्रिसमस का त्योहार ही क्यों ना हो हम सभी एक साथ मिलकर भाईचारे का परिचय देते हुए एक दूसरे को बधाइयां देते हैं। आज ईद मिलन पर नालंदा के साहित्यकारों व प्रबुद्ध वर्ग ने सभी धर्म के लोगों को एक साथ एक छत के नीचे लाकर भाईचारे का परिचय देते हुए ईद मिलन समारोह का आयोजन किया है, जो सफल भी हुआ है।
समारोह में शंखनाद के कोषाध्यक्ष समाजसेवी भाई सरदार वीर सिंह ने कहा कि हमारा देश विभिन्नताओं में एकता का देश है। हम सभी धर्म सम्प्रदाय के लोग एक साथ मिलजुल कर सभी पर्व त्यौहार मनाते हैं ताकि हमारी एकजुटता और आपसी भाईचारा बना रहे, जिसके लिए भारतवर्ष दुनिया भर में जाना जाता है। ईद भाईचारा और शांति का पैगाम लेकर आता है। इसे बनाए रखने की जरूरत है।
समारोह में योग गुरु रामजी प्रसाद यादव ने कहा कि ईद बहुत ही पवित्र पर्व है। हिंदू-मुस्लिम-सिख-इसाई सभी एक साथ मिलकर इसे मनाने का संकल्प लें। उन्होंने सभी को ईद की बधाई देते हुए कहा कि सभी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर समय साथ चलेंगे तो राष्ट्र समृद्ध होगा और आपसी प्रेम बढ़ेगा। उन्होंने कहा- ईद तीस दिन के रोजे रखने के बाद परवरदिगार की तरफ से उपहार है। ईद का असली संदेश आपसी भाईचारा बढ़ाना और देश प्रदेश में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखना है।
शहर के नामचीन छंदकार सुभाषचंद्र पासवान ने कहा कि ईद मिलन का आयोजन आपसी सौहार्द और भाईचारा की अनूठी मिसाल पेश करता है। समारोह का मकसद है समाज के सभी तबके व समुदाय को आपस में जोड़ना। उन्होंने कहा- ऐसे आयोजन निरंतर होते रहने चाहिए। हिंदू-मुसलमान एक गुलदस्ते की तरह हैं। हमारे बीच सदियों पुराना आपसी सौहार्द की मिठास बरकरार रहनी चाहिए।
इस दौरान अजित कुमार, मो. रिंटू, मोहम्मद शाहबुद्दीन, मोहम्मद शमशाद, मोहम्मद इस्लामुल हक सहित कई साहित्यकार, प्रबुद्धजन, समाजसेवी एवं विभिन्न धर्मो के लोग उपस्थित हुए।
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