बबुरबन्ना में महापद्म नंद की 2414वीं जयंती मनाई...!!

● बबुरबन्ना में नंदवंशीय सम्राट महापद्मनंद की जयंती मनाई गई
●बबुरबन्ना में एआईएमसीए के सदस्यों ने महापद्म नंद की जयंती मनाई
सोहसराय बबुरबन्ना, 13 अप्रैल 2025 : 12 अप्रैल दिन शनिवार को देर शाम ऑल इंडिया महापद्म नंद कम्युनिटी एजुकेटेड एसोसिएशन नालंदा की ओर से साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना स्थित बिहारी निवास में भारत के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट महापद्म नंद की 2414 जयंती का आयोजन महापद्म नंद कम्युनिटी एजुकेटेड एसोसिएशन के जिला संरक्षक राकेश बिहारी शर्मा की अध्यक्षता में किया गया। एसोसिएशन के लोगों ने महापद्म नंद के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किया।
समारोह में अध्यक्षता कर रहे एआईएमसीए के जिला संरक्षक साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि संपूर्ण भारत पर एकछत्र राज करने वाले ऐतिहासिक महापुरुष, महाप्रतापी नंदवंशीय सम्राट महापद्मनंद जी की आज जयंती है। चैत पूर्णिमा पर पूरे हर्षोल्लास के साथ देश में पूरी कृतज्ञता और निष्ठा से मनाई जा रही है। नंदवंश की स्थापना प्रथम चक्रवर्ती सम्राट महापद्मनंद ने की थी। इनका जन्म चैत्य पूर्णिमा-389 ई.पू. को हुआ था। ये ‘नाई’ जाति के प्रतापी शासक थे। वे शासन में क्षत्रिय कुल के एकाधिकार को खत्म किया। महापद्मनंद मगध के प्रतापी राजा थे। उन्होंने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। इन्होने अपने शासनकाल में अनेक छोटे-बडे़ स्वतंत्र राज्यों को जीतकर अपने सम्राज्य में शामिल किया था। उन्होंने अपने शासन काल में क्षत्रिय कुल के एकाधिकार को खत्म कर दिया था। पुराणों में उन्हें सभी क्षत्रियों का संहारक बतलाया गया है। समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त कर बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए सभी का आह्वान किया। उन्होंने कहा- हमें संविधान का अध्ययन करना चाहिए और अपने अधिकार के लिए जागरूक होना चाहिए।   
मौके पर मुख्य वक्ता एवं एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक कुमार ने कहा कि नंदवंशी कुल गौरव, वृहत्तर भारत वर्ष के निर्माता, केंद्रीय शासन के जनक, इतिहास में प्रथम चक्रवर्ती सम्राट महापद्म नंद की जयंती को सभी नंदवंशी को श्रद्धा एवं हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। हमें एक दूसरे के प्रति द्वेष और घृणा का भाव त्याग कर मानव धर्म का निर्वहन करना होगा तभी नंदवंशी समरस समाज का विकास होगा। उन्होंने कहा- सम्राट महापद्मनंद के गर्जना मात्र से विश्व विजेता सिकंदर जैसे योद्धा मगध की ओर आंख उठाकर भी नहीं देख पाया और उल्टे पैर वापस लौट गया था। यह उनके पराक्रम और विशाल सैन्य शक्ति का ही परिणाम था। उनके 9 पुत्र थे जो नव नंद कहलाते थे।
समाजसेविका हेमलता जी ने कहा देश के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट महापद्मनंद केन्द्रीय शासन प्रणाली के जनक थे। इन्हें मगध का पहला शासक माना जाता है। सम्राट महापद्मनंद को "दूसरे परशुराम" की उपाधि दी गई हैं। उन्होंने कहा- महापद्म नंद के विचार समाज के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। लोगों को उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। 
समाजसेविका सविता बिहारी ने कहा कि नन्द राजाओं के काल में मगध साम्राज्य राजनैतिक तथा सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टियों से प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ। उन्होंने सभी नंदवशियों से अपने बच्चों को शिक्षित एवं संस्कारित करने का आवाहन किया।
इस दौरान अरुण बिहारी शरण, धीरज कुमार, पूजा कुमारी, संतोष कुमार शर्मा, अनिता देवी, साधना देवी, स्वाति कुमारी, विजय कुमार सहित कई लोग मौजूद थे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ककड़िया विद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुंडा के बलिदान को किया याद...!!

61 वर्षीय दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन का निधन, मानववाद की पैरोकार थी ...!!

ककड़िया मध्य विद्यालय की ओर से होली मिलन समारोह का आयोजन...!!