किसान कॉलेज के संस्थापक रामजी प्रसाद की 108 वीं जयंती मनाई गई....!!
● आजादी के पहले त्रिवेणी संघ के सक्रीय कार्यकर्ता थे रामजी प्रसाद
●जयंती पर श्रद्धा से याद किए गए कॉलेज के संस्थापक रामजी प्रसाद
बिहारशरीफ, 07 मई 2025 : 06 मई दिन मंगलवार को देर शाम सोहसराय के साहित्यिक भूमि बबुरबन्ना स्थित बिहारी निवास में शंखनाद साहित्यिक मंडली के तत्वावधान में किसान कॉलेज सोहसराय के संस्थापक सचिव स्व. रामजी प्रसाद की 108 वीं जयंती समारोह मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता शंखनाद के अध्यक्ष साहित्यकार प्रो. डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने और जबकि संचालन शंखनाद के मीडिया प्रभारी शायर नवनीत कृष्ण ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, महासचिव राकेश बिहारी शर्मा, प्रोफेसर डॉ. सच्चिदानंद प्रसाद वर्मा ने स्व. रामजी प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया।
मौके पर कार्यक्रम में विषय प्रवेश कराते हुए शंखनाद के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि किसान कॉलेज के संस्थापक रामजी प्रसाद जी की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए कम है। आज के परिवेश में ऐसे पुरोधा गिने चुने ही देखने को मिलेंगे। सोहसराय सलेमपुर में जन्म लेकर उन्नीसवीं सदी में शिक्षा का अलख जो उन्होंने इस शहर में जगाया वह काबिले तारीफ है। उन्होंने रामजी प्रसाद जी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा- लोकप्रिय समाजसेवी, दानवीर दधीचि, दलितों, पिछड़ों के मसीहा एवं समरस समाज के पुरोधा, प्रखर स्वतंत्रता सेनानी, कर्मयोगी प्रगतिशील किसान स्व. रामजी प्रसाद जी का जन्म 06 मई 1917 को तत्कालीन पटना जिला के बिहारशरीफ सब डिवीजन के अंतर्गत सलेमपुर गाँव में एक उन्नतिशील किसान चतुर्भुज महतो जी के घर में हुआ था। ये अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। ये अपने नाम के अनुरूप पुरुषोत्तम राम के आदर्श पर आजीवन कायम रहें। उन्होंने अपना सारा जीवन गाँधीजी की विचारधाराओं से सम्मोहित होकर अपना जीवन सही मायने में दधीचि के तरह सार्थक किया।
मौके पर अध्यक्षीय सम्बोधन में शंखनाद के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि बिहार की उर्वर भूमि जुझारू एवं कर्मठ व्यक्तित्व को जन्म देती रही है। बिहार प्रदेश में खेतिहर और लठिहर लोगों का संगठन था त्रिवेणी संघ इसमें तीन जातियां कोइरी, कुर्मी और अहीर(यादव) शामिल थे। यह संगठन बिहार और उत्तर प्रदेश में स्वतंत्रता पूर्व से सक्रिय सामाजिक संगठन था। यह पिछड़े वर्गों के लिए स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य सेवा, सड़क परिवहन, तालाब एवं कुओं का निर्माण सामाजिक सहयोग से निस्वार्थभाव से करवाता था। रामजी बाबू, उस वर्ग से आते हैं, जिन्होंने शिक्षा को अपना धर्म समझा। शिक्षण संस्थानों को अपना मंदिर समझा और उनके निर्माण तथा विकास के लिए जीवनपर्यन्त कोशिश करते रहे। ब्रिटिश सरकार ने जिस वैज्ञानिक आधार वाले शिक्षा व्यवस्था का बीजारोपण भारत में किया था, उसको जागरूक समाज के द्वारा अपनाया और विस्तार किया गया। सम्पन्न वर्ग इसमें सबसे आगे रहा और समाज के उत्थान एवं विकास के लिए शिक्षण संस्थानों का निर्माण, संपोषण किया। अँग्रेज़ी काल में शिक्षा दान एक धार्मिक कृत्य माना जाता था। रामजी प्रसाद, उसी अँग्रेज़ी जमाने के शिक्षित व्यक्ति थे और उन्होंने शिक्षा दान की परिपाटी को आगे बढ़ाया और किसान कॉलेज जैसे संस्था को संरक्षित, पल्लवित एवं पुष्पित किया। ताकि बंचित वर्ग के लोग शिक्षा के अमृत का पान कर समाज और देश को उँचाइयों पर पहुँचाने का काम करें। यद्यपि, आज रामजी प्रसाद के विचारधारा के लोग नहीं हैं और शिक्षा दान की व्यवस्था की जगह अब शिक्षा व्यापार बन गया है।
जनवादी नेता मकसूदन शर्मा ने कहा कि कॉलेज ने आज जो भी मुकाम हासिल किया है उनमें रामजी प्रसाद का बहुत बड़ा योगदान है। उनके प्रयास का नतीजा है कि यह कॉलेज वर्तमान में शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहा है।
मौके पर प्रोफेसर डॉ. सच्चिदानंद प्रसाद वर्मा ने कहा कि बाबू रामजी प्रसाद जी एक युग पुरुष थे, उनके द्वारा संस्थापित किसान कॉलेज सोहसराय से पढ कर निकलने वाले छात्र, जिन्होंने देश ही नहीं विदेश में भी राष्ट्र के साथ-साथ कॉलेज का नाम रोशन किया है, रामजी बाबू से ये समाज कभी उऋण नहीं हो सकता।
शंखनाद के कोषाध्यक्ष सरदार भाई वीर सिंह ने कहा- बाबू रामजी प्रसाद ने सोहसराय क्षेत्र के किसानों से जमीन दान लेकर किसान कॉलेज का निर्माण करवाया था कि इस ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी शिक्षित होकर आगे बढ़े, इस क्षेत्र से अशिक्षा दूर हो सके।
इस दौरान समारोह में उपस्थित लोगों ने किसान कॉलेज के संस्थापक के जीवन और उनके योगदान को श्रद्धापूर्वक याद किया। याद करने वालों में मुख्यरुप से योग गुरु रामजी प्रसाद यादव, मीडिया प्रभारी राष्ट्रीय शायर नवनीत कृष्ण, शायर तंग अय्युवी, सविता बिहारी, हरिलाल दास, अनिता देवी, अंजित कुमार, अमर सिंह, जितेंद्र कुमार मेहता, मनुशेखर कुमार, रणजीत कुमार सिंहा, सुरेश प्रसाद, प्रमोद कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए और अपने विचारों को रखा।
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