ककड़िया में आजादी की लड़ाई के गुमनाम नायक बत्तख मियां की 156 वीं जयंती मनाई...!!
●ककड़िया विद्यालय में मनाई गई बत्तख मियां की जयंती
●बत्तख मियां महात्मा गांधी के जीवनदाता थे
नूरसराय-ककड़िया, 25 जून 2025 : स्थानीय मध्य विद्यालय ककड़िया के प्रांगण में स्वतंत्रता संग्राम के लोकप्रिय नायक एवं गांधीजी के प्राण रक्षक बत्तख मियां अंसारी की 156 वीं जयंती समारोह श्रद्धा पूर्वक मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाध्यापक शिक्षाविद् दिलीप कुमार ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार, शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने स्वतंत्रता सेनानी बत्तख मियां की तस्वीर पर श्रद्धा पुष्प अर्पित कर किया।
इस अवसर पर समारोह में विषय प्रवेश कराते हुए शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने उपस्थित छात्रों को आजादी में गांधीजी के प्राण रक्षक बत्तख मियां अंसारी की महत्वपूर्ण भूमिका बतायी। छात्रों को इमानदार और एक अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने छात्रों को स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों से सीखने और दिन-प्रतिदिन की चुनौतियों का सामना करने में अधिक साहसी बनने के लिए प्रेरित किया। विद्यार्थियों को राष्ट्रीय एकता एवं भाईचारे के लिए प्रेरित किया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम योद्धा बत्तख मियां का जन्म 25 जून 1869 को मोतिहारी से कुछ किलोमीटर दूर सिसवा अजगरी गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम मोहम्मद अली अंसारी था। बत्तख मियां के पुत्र जान मियां अंसारी और उनके दो पोते - असलम अंसारी और ज़ाहिद अंसारी हैं। गांधी जी को बचाने के कारण ही बत्तख मियां को अंग्रेजों ने 17 साल तक जेल में रखा था।
इस दौरान विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने स्वतंत्रता सेनानी बत्तख मियां के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को उनके विचारो से प्रेरणा लेने की बात कही। छात्रों को बत्तख मियां की तरह अपनी जिंदगी में देश के प्रति वफादार सच्चे ढंग के साथ कार्य करने व अपने देश को प्यार करने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा- बतख मियां का असली नाम बतख मियां अंसारी था। वे बिहार के चंपारण के रहने वाले थे। 1917 में, जब महात्मा गांधी चंपारण गए थे, तब अंग्रेजों ने उन्हें मारने की साजिश रची थी और बतख मियां ने ही इस साजिश का खुलासा किया था, जिससे गांधी जी की जान बच गई थी। बत्तख मियां महात्मा गांधी के जीवनदाता बने थे। अगर वह नहीं होते तो नाथूराम गोड्से से पहले अंग्रेज गांधी की हत्या कर चुके होते। बत्तख मियां की सूझबूझ से अंग्रेजों की साजिश का पता चल गया और महात्मा गाँधी की जान बच गयी। गांधी के जाने के बाद अंग्रेजों ने न केवल बत्तख मियां को बेरहमी से पीटा और सलाखों के पीछे डाला, बल्कि उनके छोटे से घर को ध्वस्त कर कब्रिस्तान बना दिया था।
मौके पर शिक्षिका पूजा कुमारी ने स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण के कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष, उनके बलिदान से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती है और राष्ट्र के इतिहास को उसके सही परिप्रेक्ष्य में जानने का अवसर मिलता है। राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले अपने राष्ट्र-पुरुषों का स्मरण कर उनके जीवन आदर्शों को आत्मसात करना ऐसे आयोजनों को सार्थकता तो प्रदान करता ही है, साथ ही राष्ट्र की सेवा के संकल्प को प्रखरता मिलती है।
इस दौरान शिक्षक सर्वश्री जितेंद्र कुमार मेहता, मनुशेखर कुमार गुप्ता, रणजीत कुमार सिंहा, अरविंद कुमार शुक्ला, अनुज कुमार, सुरेश कुमार, सतीश कुमार, विश्वरंजन कुमार, मो. रिजवान आफताब, बाल संसद के प्रधानमंत्री अर्जुन कुमार, शिक्षा मंत्री सोनाली कुमारी, राजवीर कुमार, सोनाली कुमारी, निशांत कुमार, साहिल कुमार, अजय कुमार, नंदनी कुमारी, चांदनी कुमारी, स्वीटी कुमारी, अंशु कुमारी, प्रतिमा कुमारी, शिवानी कुमारी, रजनीश कुमार, रवीश कुमार, अंकित राज, रवि कुमार, मोहन कुमार, सुहानी कुमारी, काजल कुमारी सहित विद्यालय परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे।
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