भारतीय लवकुश मंच मनाएगा अगस्त क्रांति दिवस।...!!!

●अगस्त क्रांति दिवस के आयोजन हेतु बैठक

बिहारशरीफ, 7 जुलाई 2025 : 6 जुलाई 2025 को देर शाम भारतीय लव-कुश मंच एवं सम्पूर्ण क्रांति मोर्चा की संयुक्त तत्वावधान में पटना के ऐतिहासिक भूमि पर अगस्त क्रांति शहीद समारोह मनाने को लेकर बैठक की गई। जिसकी अध्यक्षता भारतीय लव-कुश मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री ब्रह्मदेव पटेल तथा मंच संचालन,इस मंच के प्रदेश महासचिव प्रोफेसर डॉ.लक्ष्मीकांत सिंह ने किया।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए मंच के संयोजक श्री ब्रह्मदेव पटेल ने कहा कि  अगस्त क्रांति दिवस समारोह, पटना के ऐतिहासिक भूमि पर 10 अगस्त दिन रविवार के दिन एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसके लिए बिहार के कोने-कोने से भारतीय लव-कुश मंच एवं सम्पूर्ण क्रांति मोर्चा के सदस्यों के साथ-साथ विद्यार्थियों का जमावड़ा लगेगा। उन्होंने संगठन के सभी सदस्यों से कार्यक्रम में सहयोग करने की भी अपील की। श्री पटेल ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ "भारत छोडो आंदोलन" की याद में मनाये जाने वाले अगस्त क्रांति दिवस का उल्लेख करते हुए बताया कि सन् 1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर लाखों लोग भारत माता की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। इस दौरान हजारों क्रांतिकारी बंदी बना लिए गए। ब्रिटिश शासन की गोलियों का सैकड़ों लोग शिकार हुए। लेकिन शासकीय दमन के बावजूद क्रांति की ज्वाला भड़कती गयी और विद्रोह भी बढ़ता गया। गांधी जी ने नारा दिया था- "करो या मरो"। इस आह्वान के बाद ब्रिटिश सरकार ने भी दमनात्मक कार्रवाइयां की और महात्मा गांधी समेत सभी बड़े क्रांतिकारियों को जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने आगे बताया कि 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय में जो घटना घटी, वह पूरे देश को झकझोर देने वाली थी। 9 अगस्त 1942 के दिन ‘अगस्त क्रांति’ की ऐतिहासिक घटना के महज दो दिनों के बाद 11 अगस्त को पटना सचिवालय पर भारतीय-ध्वज तिरंगा झंडा फहराने की कोशिश क्रम में बिहार के सात स्कूली छात्र एक-एक कर ब्रिटिश पुलिस की गोलियों के शिकार हो गये थे, जिसमें दर्जन भर से ज्यादा युवा अंग्रेजों के द्वारा चलाई गई गोलियों के शिकार हुए थे। अपने झंडे की शान के लिए जान की बाजी लगाने वाले इन छात्रों की याद में पटना विधानमंडल के सामने शहीद स्मारक बनाया गया है।
मौके पर मंच संचालन करते हुए लव-कुश मंच के प्रदेश महासचिव प्रोफेसर डॉ.लक्ष्मीकांत सिंह ने कहा कि आज से 83 साल पहले भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हुई थी। पूरे देश की तरह बिहार भी इस आंदोलन में एक झटके में कूद पड़ा था और महज दो दिन बाद 11 अगस्त को पटना सचिवालय के समक्ष जो घटना घटी वह पूरे देश को मर्माहत कर देने वाली थी। सचिवालय पर झंडा फहराने की कोशिश में सात स्कूली छात्र एक-एक कर ब्रिटिश पुलिस की गोलियों का शिकार हो गये। अपने तिरंगे की शान के लिए जान देने वाले इन निहत्थे छात्रों की याद में आज भी पटना विधानसभा के सामने शहीद स्मारक बना है, उसमें सात लोगों के नाम अंकित है। मगर क्या ये सचमुच सात ही थे? क्योंकि, सरकारी दस्तावेजों के आधार पर लिखी गयी एक किताब कहती है कि वे सात नहीं आठ थे। सात की मत्यु 11 अगस्त को हुई थी,और आठवें ने 12 अगस्त को अस्पताल में दम तोड़ा था। इसलिए आठवें की गिनती,उसमें नहीं हुई और किसी ने उसे याद भी नहीं रखा। बिहार राज्य अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित पुस्तक "अगस्त क्रांति" जिसके लेखक प्रो. बलदेव नारायण हैं ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 11 अगस्त को पुलिस की गोली में सात नहीं आठ छात्र शहीद हुए थे। ऐसी जानकारी उन्होंने कुछ सरकारी दस्तावेजों के आधार पर दी है। वे लिखते हैं कि उस रोज की गोली बारी में 24 लोग घायल हुए थे, सात की मौत उसी दिन हो गयी। इनमें तीन छात्रों की घटना स्थल पर, एक की अस्पताल जाते वक्त और तीन की अस्पताल में इलाज के दौरान हुई थी। शाम में इन सातों शवों को लेकर पटना में जुलूस निकला और उनका एक साथ गंगा किनारे दाह संस्कार किया गया था। इसलिए सात शहीद शब्द प्रचलित हो गया। मगर अगले ही सुबह अस्पताल में एक और जख्मी ने दम तोड़ दिया। उसके बारे में किसी को कुछ याद नहीं रहा। दुर्भाग्य से आज हमें उनका नाम भी मालूम नहीं। वह छात्र महज एक दिन बाद शहीद होने की वजह से इन सातों के बीच अपनी गिनती कराने से चूक गया। आज हम उमाकांत सिंह (रमण), रामानन्द सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगपति कुमार, देवीपद चौधरी, राजेंद्र सिंह, राम गोविंद सिंह इन सात शहीदों का नाम और उनका पता जानते हैं। मगर आठवां आज भी गुमनाम है।
हिंदी साहित्य के प्रकांड विद्वान साहित्यकार सुबोध कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में नालंदा जिले के हिलसा के नौजवान भी गांधीजी के आह्वान पर हिलसा के राम बाबू हाई स्कूल के मैदान में सैकड़ों की संख्या में जुटे, तथा आस-पास के क्रांतिकारी युवाओं ने बैठक कर हिलसा थाना पर तिरंगा फहराने का निर्णय लिया था। उत्साही युवाओं ने बैठक के तुरंत बाद ही हिलसा थाना पर तिरंगा फहराने के लिए पहुंच गए थे। उन युवाओं पर अंग्रेजी हुकूमत के सिपाहियों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी थी। जिसमें दर्जन भर से ज्यादा युवा अंग्रेजों के द्वारा चलाई गई गोलियों के शिकार हुए थे। हिलसा थाना के सामने जिस स्थल पर युवाओं की लाशें पड़ी थी, वहीं पर शहीद एवं गोलियों से घायल युवाओं पर अंग्रेजी सिपाहियों ने पेट्रोल छिड़क कर जला देने का क्रूरतापूर्ण कार्य किया था। 11 शहीद युवाओं की याद में हिलसा थाना के ठीक सामने अवस्थित शहादत स्थल के एक छोटे से भाग के एक कोने में शहीद स्मारक बना हुआ है। जिस पर अगस्त क्राति में शहीद हुए 11 युवाओं का नाम अंकित है। जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने जीवन की आहूति दे दी। उनके बलिदान का ही परिणाम है कि आज हम आजाद भारत की खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्होंने 10 अगस्त दिन रविवार को पटना में होने वाले कार्यक्रम में अधिक से अधिक लोगों को उपस्थित होने की अपील की।
इस दौरान अधिवक्ता इंद्रजीत चक्रवर्ती, प्रोफेसर डॉ. सच्चिदानंद प्रसाद वर्मा, राकेश बिहारी शर्मा,मधु मंजरी कुशवाहा, विनोद कुमार ठाकुर, शायर नवनीत कृष्ण, सरदार वीर सिंह, जय लाल प्रसाद, डॉ. अशोक कुमार यादव, प्रोफेसर अशोक कुमार, प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र कुमार ठाकुर, ललित नारायण प्रसाद, अवधेश कुमार, नंदकिशोर जी, प्रणव देव आनंद, तिमिर प्रकाश लाल, डॉ. विनय सिंह, अरुण कुमार सिंह, रवि रंजन कुमार, छोटेलाल सिंह, राजीव कुमार मेहता सहित कई प्रमुख गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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