मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की दसवीं पुण्यतिथि पर विशेष....!!

●मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 'जनता के राष्ट्रपति' थे
●मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 'जनता के राष्ट्रपति' थे
लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली

सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने दे। ये प्रेरणा देने वाले एक महान शिक्षक, महान वैज्ञानिक, विचारक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज नौवीं पुण्यतिथि है। 
आज मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम की दसवीं पुण्यतिथि है। प्रख्यात वैज्ञानिक, अभियंता, श्रेष्ठ शिक्षक, भारत रत्न से सम्मानित देश के पूर्व ग्यारहवें राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम का देश हमेशा आभारी रहेगा। भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का सपना देखने वाला ये कर्मवीर योद्धा मरते दम तक देश के लिए काम करते रहे एवं आखिरी क्षणों में भी विद्यार्थियों व बच्चों को हमेशा से अपने ओजस्वी भाषण से प्रेरित करते रहे।


डॉ. कलाम ने भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एपीजे अब्दुल कलाम का देश हमेशा आभारी रहेगा। डॉ. कलाम न केवल एक महान राष्ट्रपति थे बल्कि एक अद्भुत वैज्ञानिक भी थे, जिन्हें हम सब मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं। विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया है, जिसकी वजह से उन्हें सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने जीवन के लगभग चालीस साल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के लिए काम करते हुए बिताए। 
भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने का सपना देखने वाला ये कर्मवीर योद्धा मरते दम तक देश के लिए काम करते रहे एवं आखिरी क्षणों में भी विद्यार्थियों व बच्चों को हमेशा से अपने ओजस्वी भाषण से प्रेरित करते रहे। आज से नौ साल पहले 27 जुलाई  2015 को उनका निधन मेघालय के शिलांग में हुआ था। यहां वे एक कॉलेज में लेक्चर देने गए थे। मशहूर वैज्ञानिक अब्दुल कलाम आईआईएम शिलॉन्ग में लेक्चर दे रहे थे तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा, आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अफसोस डॉक्टरों की टीम उन्हें बचा नहीं सकी। 83 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा था।
एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे- 'मैं शिक्षक हूं और इसी रूप में पहचाना जाना चाहता हूं।' और सचमुच अपनी अंतिम श्वास लेते समय वे विद्यार्थियों के बीच ही तो थे एक शिक्षक के रूप में। वे हमारी आंखों में आंसू नहीं, स्वप्न देखना चाहते थे। वे कहा करते थे- 'सपने वे नहीं होते जो सोते वक्त आते हैं, बल्कि सपने तो वे होते हैं जो कभी सोने ही नहीं देते।' युवाओं के बूते देश में नई क्रांति लाने का उनका यह ध्येय नवीन भारत की आधारशिला थी। सचमुच डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसा व्यक्तित्व का इस धरती पर जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है। एक बार डॉ. कलाम जब स्कूल के बच्चों को लेक्चर दे रहे थे तभी बिजली में कुछ गड़बड़ी हो गई। डॉ. कलाम उठे और सीधा बच्चों के बीच चले गए और उन्हें घेरकर खड़े हो जाने के लिए कहा। इस तरह से उन्होंने लगभग चार सौ बच्चों के साथ बिना माइक के संवाद किया। राष्ट्रपति बनने के कुछ दिन बाद वो किसी इवेंट में शरीक होने केरल राजभवन त्रिवेंद्रम गए। उनके पास अपनी तरफ से किन्हीं दो लोगों को बुलाने का अधिकार था, और आप जानकर हैरान होंगे कि उन्होंने किसे बुलाया- एक मोची को और एक छोटे से होटल के मालिक को। दरअसल, डॉ. कलाम बतौर वैज्ञानिक काफी समय त्रिवेंद्रम में रहे थे, और तभी से वे इन लोगों को जानते थे, और किसी नेता या सेलेब्रिटी की बजाए उन्होंने आम लोगों को महत्व दिया। ऐसी ऊँची सोच रखने वाले 'मिसाइलमैन' अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं। जब कलाम ने देश के सर्वोच्च पद यानी 11 वें राष्ट्रपति की शपथ ली थी तो देश के हर वैज्ञानिक का सर फख्र से ऊंचा हो गया था। वे 'मिसाइलमैन' और 'जनता के राष्ट्रपति' के रूप में लोकप्रिय हुए। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में विख्यात थे। अब्दुल कलाम के विचार आज भी विद्यार्थियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। एक मछुआरे का बेटा ट्रेन के द्वारा फेंके गए अखबारों के बंडल को सही करके वितरण करने के बाद स्कूल जाया करता था। बचपन में अखबार बांटने वाला वही बच्चा अपने जीवन में ऐसी ऊंचाई छू लेता है कि वो एक दिन दुनिया के समस्त अखबारों की सुर्खियां बटोरता नजर आता है। वास्तव में डॉ. कलाम का जीवन, समाज के अंतिम व्यक्ति के राष्ट्र का प्रथम नागरिक बनने की एक प्रेरणादायक कहानी है।

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म एवं शिक्षा

कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ था। पिता जैनुलाब्दीन मछुआरों को किराये पर नाव देते थे। परिवार में पांच भाई एवं पांच बहन थे। 5 वर्ष की आयु में एक प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा की शुरू की। एक बार उनके अध्यापक समुद्र तट पर पक्षियों के उड़ने के तरीके समझा रहे थे, तभी कलाम के मन में उड़ते पक्षियों के बीच विमान उड़ाने का विचार पैदा हुआ। पढ़ाई का खर्च निकालने हेतु वह सुबह अखबार वितरण करते, और शाम को ट्यूशन पढ़ाते थे। 1950 में मद्रास (अब चेन्नई) इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने हेतु भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश किया। 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। उन्होंने कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं मंस योगदान देते हुए परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 का निर्माण किया, और 1982 में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया।

 माँ की जली हुई रोटियां

एक बार कलाम बच्चों के सामने अपने बचपन का जिक्र कर रहे थे, एक दिन मां ने सब्जी-रोटी बनाकर पिताजी को परोसी। मैंने देखा रोटियां जल गई थी, लेकिन पिताजी ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किये बिना रोटी-सब्जी खाकर प्रसन्नता पूर्वक काम पर चले गये। मुझे लगा उन्होंने जली रोटियां देखी नहीं थी। शाम को लौटने उन्होंने पूछा, -कलाम आज स्कूल का दिन कैसा था, मैंने बात काटते हुए पूछा, -आपकी रोटियां जली थी, मगर आपने मां को कुछ बोला नहीं, आप जली रोटी कैसे खा सके। पिताजी ने जवाब दिया, -थोड़ी जली रोटी से हमारी सेहत नहीं बिगड़ती, लेकिन जले हुए शब्द बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं।

एपीजे अब्दुल कलाम शुद्ध शाकाहारी

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम भारत के पहले बैचलर राष्ट्रपति थे, जिन्होंने कभी शादी नहीं की। वह धर्म से सच्चे मुसलमान थे, नमाज पढ़ते रोजा रखते थे, लेकिन कभी भी मांस-मछली जैसे मांसाहारी पदार्थों का सेवन नहीं किया। वे शुद्ध शाकाहारी थे, और बच्चों एवं पशु-पक्षियों से अगाध प्रेम करते थे।
 डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 'भारत रत्न' से सम्मानित

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को विज्ञान के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत के नागरिक सम्मान के रूप में 1981 में पद्मभूषण, 1990 में पद्मविभूषण तथा 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया था। कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति रहे हैं जिन्हें 'भारतरत्न' का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर जाकिर हुसैन हैं। ये प्रथम वैज्ञानिक थे, जो राष्ट्रपति बने थे और प्रथम राष्ट्रपति भी रहे हैं, जो अविवाहित थे। अब्दुल कलाम एक राष्ट्रपति के अलावा वे एक आम इंसान के तौर पर वे युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक रहे हैं। उनकी बातें, उनका व्यक्तित्व, उनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं, कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है। भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा विलक्षण व्यक्तित्व का स्वामी थे। डॉक्टर कलाम साहब भारतीयता के आदर्श थे। यूं तो डॉक्टर अब्दुल कलाम जी राजनीतिक क्षेत्र के व्यक्ति नहीं थे। लेकिन राष्ट्रवादी सोच और राष्ट्रपति बनने के बाद भारत की कल्याण संबंधी नीतियों के कारण इन्हें कुछ हद तक राजनीतिक दृष्टि से सम्पन्न माना जाता है। अपने इस मिसाइलमैन को भारत सरकार के पदमभूषण और भारत रत्न देकर इन सम्मानों की ही गरिमा बढ़ाई है।
 
डॉ. कलाम 'जनता के राष्ट्रपति' थे

वे कहते थे मैं शिक्षक हूँ और इसी रूप में पहचाना जाना चाहता हूँ और सचमुच 27 जुलाई 2015 को अपनी अंतिम साँसे लेते समय वे विद्यार्थियों के बीच ही तो थे, एक शिक्षक के रूप में भारत माँ के इस सच्चे सपूत को इस 27 जुलाई पुण्यतिथि पर सच्ची श्रद्धांजलि भारत माँ का सच्चा सपूत बनकर ही दी। कलाम साहब ने ही 2009 में चंद्रयान की नींव रखी थी। उन्होंने ही ISRO के वैज्ञानिकों को चंद्रयान-2 मिशन पर काम शुरू करने के लिए कहा था। कलाम साहब आज हमारे बीच नहीं है लेकिन वो जहां भी होंगे आज बहुत खुश होंगे। कलाम सही मायने में एक 'जनता के राष्ट्रपति' थे, जिन्होंने हर भारतीय विशेषकर युवाओं को अपना समर्थन दिया। वे सादगी, ईमानदारी और समझदारी के प्रतीक थे।

 डॉ. कलाम का मानवीय पक्ष बहुत मज़बूत था

डॉ. कलाम का विचार इतना नेक की अपने परिवार को राष्ट्रपति भवन में ठहराने के लिए साढ़े तीन लाख का चेक काटा। डॉ. कलाम को अपने बड़े भाई एपीजे मुत्थू मराइकयार से बहुत प्यार था। लेकिन उन्होंने कभी उन्हें अपने साथ राष्ट्रपति भवन में रहने के लिए नहीं कहा। उनके भाई का पोता ग़ुलाम मोइनुद्दीन उस समय दिल्ली में काम कर रहा था जब कलाम भारत के राष्ट्रपति थे। लेकिन वो तब भी मुनिरका में किराए के एक कमरे में रहते थे। एक बार एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति भवन में मई 2006 में कलाम ने अपने परिवार के करीब 52 लोगों को दिल्ली आमंत्रित किया. ये लोग आठ दिन तक राष्ट्रपति भवन में रुके थे। कलाम ने उनके राष्ट्रपति भवन में रुकने का किराया अपनी जेब से दिया था। यहाँ तक कि एक प्याली चाय तक का भी हिसाब रखा गया। वो लोग एक बस में अजमेर शरीफ़ भी गए जिसका किराया कलाम ने भरा। उनके जाने के बाद कलाम ने अपने अकाउंट से तीन लाख बावन हज़ार रुपयों का चेक काट कर राष्ट्रपति भवन कार्यालय को भेजा। दिसंबर 2005 में उनके बड़े भाई एपीजे मुत्थू मराइकयार, उनकी बेटी नाज़िमा और उनका पोता ग़ुलाम हज करने मक्का गए। जब सऊदी अरब में भारत के राजदूत को इस बारे में पता चला तो उन्होंने राष्ट्रपति को फ़ोन कर परिवार को हर तरह की मदद देने की पेशकश की। कलाम का जवाब था, 'मेरा आपसे यही अनुरोध है कि मेरे 90 साल के भाई को बिना किसी सरकारी व्यवस्था के एक आम तीर्थयात्री की तरह हज करने दें।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा रचित ये पुस्तकें हैं :-  1. इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम 2. विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी 3. इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया 4. द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स 5. गाइडिंग सोल्स: डायलॉग्स ऑन द पर्पस ऑफ लाइफ 6. मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ 7. इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज 8. यू आर बोर्न टू ब्लॉसम: टेक माई जर्नी बियोंड 9. द साइंटिफिक इंडियन: ए ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी गाइड टू द वर्ल्ड अराउंड अस 10. फेलियर टू सक्सेस: लीजेंडरी लाइव्स 11. टारगेट 3 बिलियन 12. यू आर यूनिक: स्केल न्यू हाइट्स बाई थॉट्स एंड एक्शंस 13. टर्निंग पॉइंट्स: ए जर्नी थ्रू चैलेंजेस 14. इन्डोमिटेबल स्प्रिट 15. स्प्रिट ऑफ इंडिया 16. थॉट्स फॉर चेंज: वी कैन डू इट 17. माई जर्नी: ट्रांसफॉर्मिंग ड्रीम्स इन्टू एक्शंस 18. गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया 19. मैनीफेस्टो फॉर चेंज 20. फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग 21. बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया 22. द गायडिंग लाइट: ए सेलेक्शन ऑफ कोटेशन फ्रॉम माई फेवरेट बुक्स 23. रिग्नाइटेड: साइंटिफिक पाथवेज टू ए ब्राइटर फ्यूचर 24. द फैमिली एंड द नेशन 25. ट्रांसेडेंस माई स्प्रिचुअल एक्सपीरिएंसेज जैसे अनेकों दुर्लभ पुस्तकें हैं। 
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन एक जीवंत उदाहरण है कि कैसे एक सामान्य परिवार से आने वाला व्यक्ति अपनी मेहनत, समर्पण और दृष्टिकोण के बल पर देश के सर्वोच्च पद पर पहुँच सकता है। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी विचारधारा ने भारतीय समाज में एक गहरा प्रभाव डाला है। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को सदैव सराहा जाएगा, और उनका जीवन युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करता रहेगा। ऐसे स्वर्णिम भारत की कल्पना करने वाले भारत के महान वैज्ञानिक एवं देश के पूर्व राष्ट्रपति 'मिसाइल मैन' डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

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