शोध ग्रंथ 'लद्दाख : कल और आज' का लोकार्पण एवं परिचर्चा....!!

●इतिहासकार डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की चर्चित पुस्तक “लद्दाख : कल और आज” का हुआ लोकार्पण
● शंखनाद परिवार द्वारा हुआ शोध ग्रंथ 'लद्दाख : कल और आज'  का लोकार्पण
बिहारशरीफ, भैसासुर 31 अगस्त 2025 : रविवार को बिहार के बहुचर्चित यशस्वी इतिहासविद् एवं साहित्यकार, शंखनाद साहित्यिक मंडली के अध्यक्ष प्रोफेसर लक्ष्मीकांत सिंह एवं प्रो. पुरंजय कुमार की चर्चित शोध ग्रंथ 'लद्दाख : कल और आज' का लोकार्पण समारोह बिहारशरीफ के भैसासुर मोहल्ले स्थित शंखनाद कार्यलय के सभागार में हुआ। 
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि किसान कॉलेज,सोहसराय के प्राचार्य प्रो.दिबांशु कुमार  एवं किसान कॉलेज के प्रोफेसर अनुज कुमार के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ हुआ।
समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार प्रोफेसर लक्ष्मीकांत सिंह ने किया। समारोह में आगत अतिथियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
लोकार्पण समारोह में विषय प्रवेश कराते हुए शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा कि यह पुस्तक 'लद्दाख : कल और आज' एक शोध ग्रंथ है, जो पूर्णतः अनुसंधान पर आधारित है। इस पुस्तक में लद्दाख के इतिहास-भूगोल के साथ जीव-जंतु, वनस्पतियां, खनिज संपदा और परिवहन प्रणाली के बारे में भी विस्तार से पर्याप्त जानकारी दी गई है। वस्तुतः प्रोफेसर लक्ष्मीकांत सिंह, पालि भाषा के शिक्षक हैं और पुरंजय कुमार भूगोल के जो कई ऐतिहासिक शोध ग्रंथों के लेखक हैं। आज बिहारशरीफ के लिए गौरवपूर्ण दिन है कि इस बिहारशरीफ की धरती पर विद्यार्थियों का लोकप्रिय पुस्तक 'लद्दाख : कल और आज' का लोकार्पण हो रहा है। इतिहासज्ञ डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की यह पुस्तक दुर्लभ ग्रंथ है।
समारोह के मुख्य अतिथि किसान कॉलेज के प्राचार्य दिबांशु कुमार ने कहा- शोध ग्रंथ 'लद्दाख : कल और आज' पुस्तक में प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह एवं डॉ. पुरंजय कुमार ने लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र की यात्रा के उपरांत  वहां के प्राचीन ऐतिहासिक तथ्यों एवं साक्ष्यों को संग्रहित कर एक पुस्तक का आकार दिया है। इस असाधारण कार्य के लिए लेखक द्वय वाकई बधाई के पात्र हैं। शंखनाद साहित्यिक मंडली के सौजन्य से लोकार्पण के इस कार्यक्रम को देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। उम्मीद है डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह का अनुगमन कर युवा शोधार्थी, लेखक, को उत्साह के साथ सदैव आगे बढ़ाते रहेंगे। यह पुस्तक उत्तर भारतीय हिमालयी क्षेत्र  के भौगोलिक शृंखला तथा लद्दाख के जन-जीवन एवं इतिहास और वर्तमान में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में एक है।
प्रकांड भाषाविद साहित्य के मर्मज्ञ एवं कई पत्रिकाओं के संपादक धन्नजय श्रोत्रिय ने कहा कि भाषा और भूगोल के विरल विद्वान लेखक द्वय डॉ. लक्ष्मीकान्त सिंह एवं डॉ. पुरंजय कुमार की यह पुस्तक 'लद्दाखः कल और आज' न सिर्फ यात्रा और एडवेंचर प्रेमी वरन लेखक, अनुसंधित्सुओं और विद्यार्थियों के लिए एक उपयोगी पुस्तक है। और, इन सबसे भी ज्यादा उपयोगी है यह उनके लिए, जिनके दिल में भारत के कमतर होते भूगोल तथा लद्दाख और उसके भू-भाग के लिए कसक बनी रहती है।
साहित्यकार जाहिद हुसैन अंसारी ने कहा कि इस पुस्तक का लाभ लेने के लिए आपका भूगोल या भाषा-भूगोल से जुड़े होने की आवश्यकता नहीं, कला या विज्ञान सभी संकाय के पाठकों को इसमें भरपूर सामग्री मिलेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। लेखक डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह एवं डॉ. पुरंजय कुमार को मेरी अशेष शुभकामनाएं!
प्रोफेसर अनुज कुमार ने कहा कि यह पुस्तक  बर्फीले प्रदेश लद्दाख की वर्तमान स्थिति के वर्णन के साथ-साथ लद्दाख के भूगोल एवं इतिहास पर केन्द्रित है। इसमें लद्दाख की भौगोलिक स्थिति, स्थलाकृतियों, जलवायु, जनसंख्या, जनजातियाँ, रीतिरिवाज, त्यौहार, कृषि एवं बागानी खेती, आदि पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। 
मौके पर लेखक प्रोफेसर पुरंजय कुमार ने कहा कि 'लद्दाख : कल और आज' शोध ग्रंथ न केवल उत्तर भारत के इतिहास से दर्शन कराती है बल्कि लद्दाख के सामाजिक, भौगोलिक, सांस्कृतिक तथा बौद्ध साम्राज्य से भी परिचित कराती है।
प्रोफेसर सच्चिदानंद प्रसाद वर्मा ने कहा कि शोध ग्रंथ 'लद्दाख : कल और आज' शोध पुस्तक शोधकर्ताओं के लिए एक दुर्लभ पुस्तक है। शोध पुस्तक लिखना लेखक डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह की बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो आने वाले समय में संदर्भ ग्रंथ के रूप में लिया जाएगा इनकी यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगीं।  शोधकर्ताओं के लिए यह सारगर्भित पुस्तक है।
इस दौरान प्रोफेसर शकील अहमद अंसारी, साहित्यसेवी गोपाल सागर, प्रखर एवं विद्वान पत्रकार आशुतोष कुमार आर्य, समाजसेवी सरदार वीर सिंह, धीरज कुमार, साहित्यकार प्रिया रत्नम, इंजीनियर मिथिलेश प्रसाद चौहान, संजय कुमार शर्मा, अरुण बिहारी शरण सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

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