मध्य विद्यालय ककड़िया में भगत सिंह की 118वीं जयंती मनाई....!!

● राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में शुमार थे भगत सिंह

नूरसराय-ककड़िया, 28 सितम्बर 2025 : स्थानीय मध्य विद्यालय ककड़िया के प्रांगण में स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बलिदानी भगत सिंह की 118वीं जयंती की पूर्व संध्या पर मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाध्यापक शिक्षाविद् दिलीप कुमार ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार, शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह की तस्वीर पर श्रद्धा पुष्प अर्पित कर किया गया।
मौके पर अध्यक्षता करते हुए प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने छात्रों को बलिदानी भगत सिंह की तरह अपनी जिंदगी में हर एक काम बड़े सच्चे ढंग के साथ करने व अपने देश को प्यार करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि 28 सितंबर 1907 को पंजाब, भारत (अब पाकिस्तान) के लायलपुर  जिले के बंगा गांव में एक सिख परिवार में भगत सिंह का जन्म हुआ था। सरदार किशन सिंह और विद्यावती के तीसरे बेटे भगत सिंह के पिता और चाचा गफ्फार पार्टी के सदस्य थे। यह परिवार राष्ट्रवाद में डूबा हुआ था और आजादी के लिए आंदोलनों में शामिल था। उनके पिता राजनीतिक आंदोलन में सक्रिय थे यहाँ तक कि भगत सिंह के जन्म के समय जेल में थे। चंद्रशेखर आजाद व अन्य साथियों के साथ मिलकर उन्होंने देश की आजादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ ब्रिटिश सरकार का मुकाबला किया था। आजादी की लड़ाई के वक्त भगत सिंह विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत थे। उनका पूरा जीवन संघर्ष से भरा रहा। मात्र 23 साल की उम्र में उन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
 
इस अवसर पर समारोह में विषय प्रवेश कराते हुए शिक्षक राकेश बिहारी शर्मा ने बलिदानी भगत सिंह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सच्चा नायक बताया। उन्होंने कहा कि भगत सिंह ने मात्र 23 वर्ष की आयु में अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती दी और 23 मार्च 1931 को अपने साथियों राजगुरु व सुखदेव के साथ फांसी का फंदा चूमा। उनकी शहादत ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और युवाओं में क्रांति की भावना जगाई। भगत सिंह राष्ट्रवादी आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में शुमार थे। उन्होंने कहा स्वतंत्रता सेनानियों को स्मरण के कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष, उनके बलिदान से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती है और राष्ट्र के इतिहास को उसके सही परिप्रेक्ष्य में जानने का अवसर मिलता है। राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले अपने राष्ट्र-पुरुषों का स्मरण कर उनके जीवन आदर्शों को आत्मसात करना ऐसे आयोजनों को सार्थकता तो प्रदान करता ही है, साथ ही राष्ट्र की सेवा के संकल्प को प्रखरता मिलती है। उन्होंने कहा कि आजादी बिना कुर्बानी दिए नहीं मिली और न ही मिल सकती है। आज भी अगर आप पुराने रीति रिवाजों, बुराईयों से आजादी चाहते हैं तो आपको पुराने विचारों की कुर्बानी देनी पड़ेगी। सफल विद्यार्थी को नींद की कुर्बानी देनी पड़ेगी। ज्यादा पढना पडेगा। अच्छे चरित्र पाने के लिए बुरी संगति की कुर्बानी देनी पड़ेगी। राजेन्द्र जागलान ने हमारे देश की आजादी में अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव के योगदान के बारे में बच्चों को बताया और उन्हे उनके जीवन से प्रेरणा लेने को कहा। समाज में फैली बुराईयों के खिलाफ लड़ने को कहा। अपने माता-पिता, गुरूजनों, बहनों पर आंच आए तो कैसे दुश्मनों से टक्कर लेनी है।
शिक्षक सतीश कुमार ने कहा कि भगत सिंह का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने छात्रों से उनके विचारों और सिद्धांतों को आत्मसात कर राष्ट्रहित एवं समाज सेवा में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया।
शिक्षिका पूजा कुमारी ने बताया कि आज आजादी की नींव रखने वाले शहीद भगत सिंह की जयंती मनाई जा रही है। इस मौके पर वह आने वाली पीढ़ी और छात्रों को यह संदेश देना चाहते हैं कि बच्चों में भगत सिंह जैसे संस्कार हो, जब भी कभी देश को जरूरत पड़े तो हमें भगत सिंह बनने में कोई परहेज ना हो। देश की संस्कृति और आजादी को बनाए रखने के लिए हमें भगत सिंह के संस्कारों को अपनाना चाहिए।
शिक्षक जितेन्द्र कुमार मेहता ने शहीदों को पुण्य-स्मरण के कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इससे शहीदों के संघर्ष, उनके बलिदान से भावी पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती है और राष्ट्र के इतिहास को उसके सही परिप्रेक्ष्य में जानने का अवसर मिलता है।
शिक्षक रणजीत कुमार सिन्हा ने स्कूली बच्चों को अमर शहीद भगत सिंह के जीवन के बारे में जानकारी देते हुवे बताया की  वीर अमर शहीद भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी थे वो अक्सर कहा करते थे कि जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं' देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए वह महज तेइस वर्ष की उम्र में ही फांसी के फंदे पर झूल गए थे। 
शिक्षक मो. रिजवान अफ़ताब ने भगत सिंह के बलिदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। उनकी क्रांतिकारी सोच ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
मौके पर शिक्षक सर्वश्री अनुज कुमार, सुरेश कुमार, विश्वरंजन कुमार, मुकेश कुमार, रामजी चौधरी, बाल संसद के प्रधानमंत्री अर्जुन कुमार, शिक्षामंत्री सलोनी कुमारी, दिव्या भारती, नंदनी कुमारी, स्नेहा कुमारी, चांदनी कुमारी, नीतु कुमारी, रेखा कुमारी, राजवीर कुमार, मोहित कुमार, अनमोल कुमार तथा विद्यालय परिवार के सदस्य समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

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