राष्ट्रीय मिठाई जलेबी सिर्फ मिठाई नहीं बल्कि आयुर्वेदिक दवाई भी है..!!
लेखक :- साहित्यकार राकेश बिहारी शर्मा, महासचिव शंखनाद साहित्यिक मंडली
कारीगर का नाम सतीश कुमार हलुवाई , जलेबी बनाते हुए ...
भारत में जलेबी को लोग बड़े चाव से खाते हैं। इसे भारत की राष्ट्रीय मिठाई भी कहा जाता है। हालांकि, कई लोगों को लगता है कि जलेबी भारत की मिठाई है लेकिन ऐसा नहीं है। जलेबी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। मुंह से लार टपकने लगता है। सामने आ जाए तो बड़े-बड़े सुरमा अपना कंट्रोल खोल देते हैं और लजीज जलेबी पर टूट पड़ते हैं। यह मिठाई ऐसी ही है जो हर किसी को अपनी ओर आकृषित करती है।
जलेबी का इतिहास:
संसार की सभी मिठाइयों का, बाप, बाबा, पितामह अपना भारत ही है। भारत लोग खाने के शौकीन होने के कारण हमेशा नए नए अविष्कार करते हैं और वे खाने में स्वादिष्ट होने के साथ साथ पोष्टिक, ताकतवर भी होते हैं। भारत में चाट का इजाद हुआ यहां चाट चाटी जाती है और चीन में चू (?) चाटने का चलन है। जलेबी का इतिहास 13 वीं शताब्दी से भी जुड़ा है। मुहम्मद बिन हसन के द्वारा लिखी गयी किताब 'अल ताबीख' में इसे जौलबिया का जिक्र है। दुनिया में सर्वप्रथम जलेबी का अविष्कार किसने किया यह तो ज्ञात नहीं हो सका। लेकिन उत्तरभारत का यह सबसे लोकप्रिय व्यंजन है। भारत की जलेबी अब अंतरराष्ट्रीय मिठाई है। विदेश से भारत आने के बाद कब राष्ट्रीय मिठाई बन गयी लोगों की जुबान पर चढ़ गया इसका पता ही नहीं चला। कुछ लोगों का मानना है कि जलेबी मूल रूप से अरबी शब्द है और इस मिठाई का असली नाम है जलाबिया। जिसका उद्भव पश्चिम एशिया में हुआ था। ईरान में जलेबी को जुलाबिया या जुलुबिया नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि जलेबी 500 साल पहले तुर्की आक्रमणकारियों के साथ भारत पहुंची थी और अब यह मिठाई भारत की पहचान बन चुकी है। भारत में शायद ही ऐसा कोई होगा जिसने जलेबी न खाया हो या इस मिठाई का नाम न सुना हो। भारत के अलावा यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और ईरान के साथ-साथ तमाम अरब मुल्कों का भी एक लोकप्रिय व्यंजन है। भारत में जलेबी को लोग बड़े चाव से खाते हैं। इसे भारत की राष्ट्रीय मिठाई भी कहा जाता है। हालांकि, कई लोगों को लगता है कि जलेबी भारत की मिठाई है लेकिन ऐसा नहीं है। भारत में जलेबी का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। एक जैन भिक्षु की लिखी पुस्तक में इसे कुंडलिका या जलाविका कहा गया है जिसे एक अमीर व्यापारी द्वारा दिए गए भोज के दौरान परोसा गया था। 1600 ईस्वी के संस्कृत ग्रन्थ ‘गुण्यगुणबोधिनी’ में जलेबी बनाने का तरीका विस्तार से बताया गया है। सत्रहवीं शताब्दी की ही एक और किताब ‘भोजनकुतूहलम’ में भी जलेबी निर्माण का सन्दर्भ आता है। यह विदेश से आई मिठाई है जो आज भारत के हर कोने में लोकप्रिय है। आमतौर पर तो जलेबी सादी ही बनाई व पसंद की जाती है, लेकिन पनीर या खोया जलेबी को भी लोग बड़े चाव से खाते हैं। बारिश और जाड़े के दिनों में तो जलेबी खाने का अपना अलग ही मजा है। जलेबी का दूसरा कहानी भी बहुत प्राचीन इतिहास है और इसका आविष्कार मुगल रसोइयों द्वारा किया गया था ऐसी मान्यता है। एक राजकुमार जहांगीर को मिठाई का बड़ा शौक था। अपने नौकरों द्वारा बनाई जा रही नियमित मिठाई खाकर वो ऊब गया था इसलिए वह कुछ नया खाना चाहता था। उसने रसोइयों से कुछ नया बनाने के लिए कहा. तभी खानसामा को इमरती जैसा डेजर्ट याद आया जिसे जुलबिया फारसी में जुलबिया कहते हैं। उन्होंने इसे थोड़ा सा ट्विस्ट दिया और उड़द की दाल का बैटर बनाकर उसे पहले फ्राई किया और फिर चाशनी में डुबोकर राजकुमार को पेश किया। यह रेसिपी राजकुमार सलीम को बेहद पसंद आई और यही कारण है कि इसका नाम जांगरी पड़ा।
जलेबी से मिलती-जुलती मिठाई इमरती
वैसे आमतौर पर जलेबी छोटी ही बनाई जाती है, लेकिन मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में तो 300 ग्राम वजन की एक जलेबी मिलती है। बाजारों में जलेबी की तरह ही एक और मिठाई मिलती है, जिसे इमरती कहा जाता है। बनाने की विधि से लेकर स्वाद तक में इमरती बिल्कुल जलेबी की तरह की होती है। हां, इमरती की बनावट जलेबी से थोड़ी अलग जरूर होती है।
जलेबी का आयुर्वेदिक उपयोग :
जलेबी एक भारतीय व्यंजन है जो की जलोदर नामक बीमारी का इलाज में प्रयोग की जाती थी। खाली पेट दूध-जलेबी खाने से वजन और लम्बाई बढ़ाने के लिए किया जाता था। माइग्रेन की और सिर दर्द के लिए सूर्योदय से पहले दूध जलेबी खाने को आयुर्वेद में लिखा है। हमारे प्राचीन ग्रंथ में जलेबी बनाने की विधि संस्कृत भाषा में लिखी है, साथ ही जलेबी बनाने की विधि पुराणों में भी है। इसे रस कुंडलिका नाम दिया है। भोज कुतुहल में इसे जल वल्लीका नाम दिया है। सबसे बड़ी बात की जलेबी कुंडली के आकार की की होती है, जिसका संबंध आंतो से है कब्ज का ये रामबाण इलाज है।
भारतीय संस्कृति में जलेबी शुद्ध भारतीय मिठाई है
भारतीय संस्कृति के अनुसार यहाँ सभी प्रदेशों की मिठाई में भी कुछ-कुछ विभिन्नता और समानता है। उदाहरण के लिए पूर्वी भारतीय मिठाइयों में छेने की प्रमुखता है तो उत्तर भारतीय मिठाइयों में खोये की। उत्तर भारत की मिठाइयों में दूध की प्रमुखता है तो दक्षिण भारत की मिठाइयों में नारियल और अन्न की। त्योहारों व पारिवारिक अनुष्ठानों में मिठाई का बहुत महत्व होता है। दैनिक जीवन में मिठाई खाने के उपरान्त खाई जाती है। कुछ मिठाइयों को खाने का समय निर्धारित होता है जैसे जलेबी सवेर के समय खाई जाती है, तो कुछ मिठाइयाँ पर्वों से सम्बन्धित होती हैं, जैसे गुझिया उत्तर भारत में होली पर और दक्षिण भारत में दिवाली पर बनाने की परम्परा है। जलेबी शुद्ध भारतीय मिठाई है इसे बनाने के लिए सबसे पहले मैदे का खमीरा उठाया जाता है, बाद में इसे तेल में तल कर शक्कर की चाशनी में डुबोकर निकाला जाता है।जलेबी शुद्ध भारतीय मिठाई है इसे बनाने के लिए सबसे पहले मैदे का खमीरा उठाया जाता है बाद में इसे तेल में तल कर शक्कर की चाशनी में डुबोकर निकाला जाता है
जलेबी के बिना अधूरा है स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस:
स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस, इस दिन जलेबी का वितरण किया जाता है। स्कूल, कॉलेज या फिर कोई संस्थान सभी जगह झंडा फहराने के बाद जिलेबी बांटी जाती है, लेकिन मजे से जलेबी खाने वाले कभी नहीं सोचा कि आखिर में इस दिन जलेबी ही क्यों बांटी जाती है? कोई और मिठाई भी तो बांटी जा सकती थी लेकिन जिलेबी ही क्यों? इसका जवाब आज मिलेगा।
राष्ट्रीय मिठाई है लजीज जलेबी :
यह उत्तर भारत के साथ-साथ अन्य सभी रज्यों में बड़े मजे से खाया जाता है। पूरे राष्ट्र में पहचान बनाने के कारण इसे राष्ट्रीय मिठाई घोषित किया गया। हालांकि यह कब की गयी इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है। 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर देश में जलेबी (मिठाई) वितरित की जाती है। इस दिन इसकी अच्छी डिमांड होती है।
अलग-अलग राज्यों में फेमस है जलेबी :
देश के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में जिलबी, बंगाल में जिलपी बिहार, उत्तर प्रदेश हरियाणा, राजस्थान आदि में जलेबी कहा जाता है। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के जलेबी फेमस है। इसे अलग-अलग तरीके से बनाया भी जाता है जो खाने में काफी लाजवाब होती है।
बिहार की इमरती जलेबी :
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इमरती नाम से जलेबी काफी फेमस है। इसे उड़द के दाल से तैयार किया जाता है। बिहार में इसे खूब पसंद किया जाता है। यह आकार में बड़ी होती है। एक जलेबी खाने के बाद मन भर जाता है। गोलाकार जलेबी के चारो ओर छल्ले बने होते हैं। इसमें रस काफी होता है।
उत्तर प्रदेश का जलेबाः
उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जलेबा फेमस है। यह आकार में काफी बड़ा होता है। इसे देसी घी में तैयार किया जाता है। इसे खाने के बाद छोटी-छोटी जिलेबी खाना छोड़ देंगे। एक झांगरी नाम से जलेबी है जो उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत तक पहुंच गयी। इसे अपरती नाम से भी जाना जाता है। इसे भी उड़द दाल से बनाया जाता है।
बंगाल की चनार जलेबी :
पनीर जलेबी अपने आप में खास है। इसे आम जलेबी की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट माना जाता है। इसे बंगाल में चनार जलेबी के नाम से पहचाना जाता है। राजस्थाना और हरियाणा की जलेबी भी अच्छी मानी जाती है। यह स्वाद में थोड़ी खट्टी होती है लेकिन इसकी डिमांड काफी अधिकत होती है। अन्य राज्यों में भी राजस्थानी और हरियाणा फेपस जलेबी खायी जाती है।
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